अंतरिक्ष की दुनिया में भारत प्रतिदिन नए-नए कीर्तिमान रच रहा है। उसने कुछ समय पूर्व ही चंद्रयान-3 को चांद पर भेजा है। अंतरिक्ष की दुनिया के संबंध में इन दिनों अग्निबाण की बहुत चर्चा है। क्या आप जानते हैं कि अग्निबाण क्या है? यह अंतरिक्ष में क्या करेगा? यदि नहीं, तो आज इस पोस्ट में हम आपको यही बताएंगे। आइए, शुरू करते हैं-
अग्निबाण क्या है? (What is agnibaan?)
दोस्तों, आपको भी अग्निबाण के बारे में जानने की उत्सुकता हो रही होगी। आपको बता दें कि अग्निबाण एक सिंगल स्टेज का रॉकेट (single stage rocket) है। इसकी खास बात यह है कि यह पहला थ्रीडी रॉकेट है। इसके इंजन का नाम अग्निलेट इंजन है। यह इंजन पूरी तरह से थ्रीडी प्रिंटेड (3D printed) है। दोस्तों, जान लीजिए कि यह एक सेमी-क्रायोजेनिक इंजन है, जो 6 किलो न्यूटन की ताकत पैदा करने में सक्षम है।
इस रॉकेट की लांचिंग (launching) आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के श्रीहरिकोटा (sriharikota) से की गई है, जो पारंपरिक गाइड रेल (traditional guide rail) से नहीं हुई है, बल्कि इसने वर्टिकल लिफ्ट ऑफ (vertical lift off) किया है। अग्निबाण 100 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स (satellites) को धरती की निचली कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है।
3D रॉकेट का क्या अर्थ है? (What is the meaning of 3D rocket?)
दोस्तों, अब आपको बताते हैं कि दें 3डी रॉकेट का क्या अर्थ है? यदि सामान्य भाषा में कहे तो इसे 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी (printing technology) से बनाया गया है। इस रॉकेट को कंप्यूटर (computer) पर डिज़ाइन (design) किया गया एवं थ्रीडी स्कैनर (3D scanner) के ज़रिए तैयार किया गया।
आपको बता दें दोस्तों कि इसके इंजन (engine) के पुर्ज़ों को जोड़ने के लिए वेल्डिंग (welding) की आवश्यकता नहीं है। लिहाजा, इसका वजन भी नहीं बढ़ता। दोस्तों, थ्रीडी मॉडल (3D model) से तैयार होने के कारण ही इसे सिंगल कंपोनेंट थ्री डी इंजन (single component 3D engine) पुकारा जाता है।
दोस्तों, अब रॉकेट के मामले में 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के लाभ देख लेते हैं। आपको बता दें कि थ्रीडी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी (3D printing technology) का इस्तेमाल करते हुए इंजन की तैयारी की लागत और समय (cost and time) में काफी हद तक कमी आ जाती है। इसके साथ ही जहां आमतौर पर रॉकेट की पूरी तैयारी में दो से तीन महीने लगते हैं, वहीं, 3D प्रिंटर से इंजन तैयार करने में 72 घंटे ही लगते हैं।
इसके अतिरिक्त थ्रीडी प्रिंटिंग से बनाए गए रॉकेट में परंपरागत मैन्युफ़ैक्चरिंग (traditional manufacturing) के मुकाबले करीब 10 गुना कम खर्चा पड़ता है। इसके फायदों को देखते हुए इस समय पूरी दुनिया में इस टेक्नोलॉजी की धूम मची हुई है। स्पेस विशेषज्ञ खासतौर पर इस टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने में जुटे हैं।
अग्निबाण को किसके द्वारा तैयार किया गया है? (By whom agnibaan has been made?)
दोस्तों, यह तो हमने आपको बता ही दिया है कि अग्निबाण पहला थ्रीडी रॉकेट है। आपको बता देते हैं कि इसका निर्माण चेन्नई (Chennai) की एक निजी स्पेस कंपनी (private space company), जिसका नाम अग्निकुल कॉसमॉस (AgniKul Cosmos) है, के द्वारा किया गया है। दोस्तों, आपको बता दें कि अग्निबाण की लांचिंग के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian space research organisation) यानी इसरो (ISRO) द्वारा अग्निकुल को सहायता प्रदान की गई है।
उसके द्वारा श्रीहरिकोटा में एक छोटा लॉन्च पैड बनाया गया। स्टेट-ऑफ-द-आर्ट टेक्नोलॉजी से लैस यह लॉन्च पैड दूसरे लांच पैड से करीब 4 किलोमीटर दूर था। आपको बता दें दोस्तों कि यहां से निजी कंपनियों के वर्टिकल टेकऑफ (vertical take-off) करने वाले रॉकेट्स (rockets) को लॉन्च किया जाता है।
अग्निबाण के निर्माण में कौन सा 3D प्रिंटर इस्तेमाल किया गया है? (Which 3D printer has been used in making agnibaan?)
दोस्तों, आपको बता दें कि अग्निबाण के निर्माण में जर्मनी (Germany) से ख़रीदा हुआ एक प्रिंटर इस्तेमाल किया गया है। दावा किया गया है कि यह इस समय भारत में सबसे बड़ा थ्रीडी प्रिंटर है। दोस्तों, आपको बता दें कि रॉकेट को वर्तमान में 10 से अधिक स्थानों से तथा भविष्य में 25 से अधिक जगहों से लॉन्च करने की भी प्लानिंग है। इसके बाद की भी योजना का खाका इसके द्वारा तैयार कर लिया गया है।
अग्निबाण को लांच किए जाने के पीछे क्या उद्देश्य है? (What is the objective behind launching of Agnibaan?)
दोस्तों, अब आप सोच रहे होंगे कि अग्निबाण की लांचिंग के पीछे क्या मकसद है? तो आपको बता दें कि यह एक सब ऑर्बिटल मिशन (sub orbital mission) है। अग्निकुल के सह-संस्थापक और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन हैं। उनके अनुसार यदि यह मिशन सफल होता है, तो वे यह जांच पाएंगे कि उनका ऑटो पॉयलट (auto pilot), नेविगेशन (navigation) एवं गाइडेंस सिस्टम (guidance system) सही से काम कर रहे हैं अथवा नहीं। साथ ही लॉन्च पैड (launch pad) के लिए किस प्रकार की तैयारी करनी है, उसके बारे में भी पता चल जाएगा।
अग्निकुल कॉसमॉस की फंडिंग किसके द्वारा की गई है? (Who has funded the agnikul Cosmos?)
दोस्तों, क्या आप भी यही सोच रहे हैं कि अग्निबाण जैसे पहले 3D रॉकेट की लांचिंग करने वाली अग्निकुल कॉसमॉस के पीछे किसका पैसा लगा है? तो आपको बता दें कि हमारे देश के जाने-माने उद्योपति आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) द्वारा अग्निकुल की फंडिंग की गई है।
दोस्तों , जान लीजिए कि आनंद महिंद्रा की ओर से कोई 10-20 नहीं, बल्कि करीब 80.43 करोड़ रुपए की फंडिंग की है। लगे हाथों आपको यह भी बता दें कि अग्निकुल कॉसमॉस एक स्पेस स्टार्टअप (space startup) है। इसकी शुरुआत आज से करीब सात वर्ष पूर्व सन् 2017 में हुई थी।
इसे श्रीनाथ रविचंद्रन (srinath ravichandran), मोइन एसपीएम (moin spm) एवं आईआईटी मद्रास (IIT Madras) के प्रोफेसर एसआर चक्रवर्ती (professor sr chakraborty) द्वारा मिलकर शुरू किया गया था। दोस्तों, यह भी जान लीजिए कि इस अहम स्पेस प्रोजेक्ट (space project) में आनंद महिंद्रा के अतिरिक्त पाई वेंचर्स, स्पेशल इन्वेस्ट एवं अर्थ वेंचर्स (special invest and earth ventures) द्वारा भी निवेश (investment) किया गया है।
वर्तमान में अंतरिक्ष में 3D टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की क्या स्थिति है? (What is the present condition of use of 3D technology in space?)
दोस्तों, यदि थ्रीडी टेक्नोलॉजी की बात करें तो अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसका इस्तेमाल दिनों-दिन बढ़ रहा है। आपको बता दें कि अमेरिका (America), रूस (Russia), यूरोप (Europe) एवं चीन (china) आदि समेत विभिन्न देशों के अंतरिक्ष (space) पर रिसर्च (research) करने वाले संगठनों द्वारा थ्रीडी टेक्नोलॉजी (3D technology) के इस्तेमाल के विभिन्न तरीक़े तलाश किए जा रहे हैं।
भारत भी लगातार क्रमबद्ध तरीके से इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। आज से करीब चार वर्ष पूर्व यानी सन् 2020 में अंतरिक्ष के क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल देने के बाद से इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अंतरिक्ष में विभिन्न देशों की निजी कंपनियों द्वारा रॉकेट भेजे जा रहे हैं। एलॉन मस्क (Alon Musk) की स्टारलिंक (starlink) इस दिशा में एक बड़ी कड़ी साबित हुई है।
बहुत से स्टार्टअप इन दोनों स्पेस और स्पेस टेक्नोलॉजी (space technology) के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इनमें से कई एंजल इन्वेस्टर्स (angel investors) के भरोसे खड़े हुए हैं। यानी की बहुत से बड़े-बड़े उद्योगपति अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप को मजबूती से खड़ा करने के लिए वित्तीय सहायता (financial help) प्रदान कर रहे हैं। भविष्य में अंतरिक्ष संभावनाओं का एक बड़ा केंद्र बनने जा रहा है इसमें कोई दो राय नहीं है।
agnibaan Related FaQ
अग्निबाण क्या है?
अग्निबाण एक सिंगल स्टेज का पहला थ्रीडी रॉकेट है।
अग्निबाण की लॉन्चिंग किस प्रकार हुई?
इसने वर्टिकल लिफ्ट ऑफ किया है।
अग्निबाण को किसने तैयार किया है?
अग्निबाण को चेन्नई की एक स्पेस कंपनी अग्निकुल कॉसमॉस द्वारा तैयार किया गया है।
अग्निबाण के इंजन का नाम क्या है?
इसके इंजन का नाम अग्निलेट इंजन है।
अग्निकुल कॉसमॉस कंपनी में किसका पैसा लगा है?
अग्निकुल कॉसमॉस कंपनी में मुख्य रूप से प्रसिद्ध उद्योगपति आनंद महिंद्रा द्वारा पैसा लगाया गया है।
अग्निकुल कॉसमॉस की स्थापना कब हुई थी?
इस कंपनी की स्थापना आज से 7 साल पहले सन् 2017 में चेन्नई में हुई थी।
अग्निबाण की लॉन्चिंग कहां से की गई है?
अग्निबाण की लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से की गई है।
अग्निबाण की लांचिंग में किसने सहायता की है?
अग्निबाण की लांचिंग में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो द्वारा सहायता प्रदान की गई है।
क्या अग्निबाण की लांचिंग के लिए अलग से लॉन्च पैड बनाया गया है?
श्रीहरिकोटा में बने बनाए लांच पैड से इसकी लांचिंग की गई है। यह अनिल लॉन्चिंग पैड से करीब 4 किलोमीटर दूर बनाया गया था।
रॉकेट के मामले में 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के क्या फायदे हैं?
इस टेक्नोलॉजी से इंजन की तैयारी की लागत और समय में कमी आती है। मैन्युफैक्चरिंग लागत 10 गुना तक कम हो जाती है।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको अग्निबाण के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई भी सवाल अथवा सुझाव आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके भेज सकते हैं ।।धन्यवाद।।