What is CAA In Hindi – दोस्तों, आपने गौर किया होगा कि इन दिनों आप टीवी खोलते हैं तो किसी ना किसी शहर से हिंसक प्रदर्शन की खबर आ रही होती है। कहीं हिंसा करते आंदोलनकारी नजर आते हैं तो कहीं लाठियां भांजती पुलिस। कहीं से इंटरनेट सेवा बंद कर दिए जाने की हेडलाइन टीवी स्क्रीन पर नुमाया होती है तो कहीं ऐहतियात के तौर पर कुछ लोगों को हिरासत में लिए जाने की। दोस्तों, यह सब हो रहा है नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर। इसके विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं तो वहीं इस अधिनियम का समर्थन करने वाले भी कम नहीं हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस अधिनियम को लेकर बहस बहसी छिड़ी हुई है । प्रदर्शन विरोध में भी हो रहे हैं और समर्थन में भी। विरोध में आवाज बुलंद करने प्रदर्शनकारी इसे अपने लिए खतरा बता रहे हैं तो वहीं समर्थन करने वालों का दावे के साथ कहना है कि इस अधिनियम से किसी भी धर्म के किसी भी व्यक्ति का कोई नुकसान नहीं होने वाला है।
दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि यह नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA क्या है? इसका विरोध क्यों हो रहा है ? और समर्थन करने वाले क्यों इसके पक्ष में हैं? अगर नहीं जानते तो भी कोई दिक्कत नहीं। आइए आज हम आपको इस post के माध्यम से CAS के बारे में सारी जानकारियां बिंदुवार मुहैया कराएंगे। आप बस post को सिलसिलेवार पढ़ जाइए-
CAA क्या है?
दोस्तों, CAA के बारे में जानने से पहले आइए नागरिकता संशोधन विधेयक यानी citizenship amendment bill (CAB) के बारे में जान लेते हैं। इस विधेयक को बीती नौ दिसंबर को लोकसभा में लाया गया, जहां इसे 80 के मुकाबले 311 मत से पारित कर दिया गया। इसके बाद इस विधेयक को दो ही दिन बाद बीती 11 दिसंबर को राज्यसभा में पेश किया गया, जहां इसके पक्ष में 125 वोट पड़े थे जबकि इसके विरोध में 99 सांसदों ने मतदान किया।
इस तरह संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद इस बिल यानी विधेयक को अगले दिन सुबह 12 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष ले जाया गया, जिन्होंने इस बिल पर हस्ताक्षर कर इसे अपनी मंजूरी दे दी और यह कानून बन गया। कानून बनने के बाद इसे नागरिकता संशोधन कानून कहिए या नागरिक संशोधन अधिनियम यानी CAA पुकारा गया।
CAA में प्रावधान क्या है?
दोस्तों, CAA के जरिए भारत के 3 पड़ोसी मुस्लिम देशों बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों, जिनमें छह समुदाय हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी को धार्मिक या किसी अन्य कारण से अपना देश छोड़कर आने पर भारतीय नागरिकता का प्रावधान किया गया है।
CAA के लिए क्या शर्त रखी गई है?
साथियों, छह अल्पसंख्यक समुदायों के इन लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए शर्त यह रखी गई है कि यह अल्पसंख्यक बीते 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हों। इससे पहले भारतीय नागरिकता के लिए उन्हें इस देश में 11 साल बिताने पड़ते थे, CAA के तहत इस अवधि को घटाकर 6 साल कर दिया गया है।
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CAA का विरोध देश में क्यों हो रहा?
दोस्तों, CAA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध इस वक्त पूरे देश में हो रहा है। आइए, आपको बताते हैं कि यह विरोध क्यों हो रहा है। दरअसल, इसके विरोध की वजह यह है कि यह कानून जिन अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात कर रहा है, जिन्हें यह प्रदान करने की बात करता है उसमें 6 गैर मुस्लिम समुदाय शामिल हैं। जैसे कि हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी। इनमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, यही विरोध की जड़ है।
सबसे पहले कहां शुरू हुआ विरोध –
दोस्तों, हमारे देश के जो मुस्लिम बहुल राज्य है वहां इनका विरोध शुरू हो गया है। सबसे पहले पूर्वोत्तर को इस आग ने अपनी चपेट में लिया। उसके बाद बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करने वाले असम और पश्चिम बंगाल में इस अधिनियम का पुरजोर विरोध हुआ। वहां कई भवनों को टायरों को आग के हवाले कर दिया गया, हिंसा भड़क उठी। जिसके बदले में वहां सरकारी आदेश पर प्रशासन की ओर से इंटरनेट सेवाओं को ठप कर दिया गया। साथ ही ट्रेन और हवाई सेवाओं के सामान्य रूट के समय में भी परिवर्तन कर दिया गया। हिंसा की आग ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को भी अपनी चपेट में ले लिया।
दिल्ली विश्वविद्यालय में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र सड़कों पर उतर आए। इसके बाद उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र के विरोध में उतर आए। वहीं केरल और कर्नाटक में भी अधिनियम के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन जारी है। केरल में सत्तारूढ़ सरकार के साथ ही विपक्ष ने भी इस अधिनियम के खिलाफ जोरदार आवाज बुलंद की है। दिल्ली में बृहस्पतिवार को दिल्ली में 15 मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं ।कई जगह से लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। ताकि हिंसा को भड़काने में अपनी भूमिका अदा करने वाले लोगों को दूर रखा जा सके।
केंद्र सरकार का रुख क्या है?
दोस्तों, इस मामले पर केंद्र सरकार की ओर से अपना रुख स्पष्ट किया जा रहा है। इस अधिनियम को लेकर तमाम गतिरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से लोगों को शांत करने की पूरी कोशिश की है। उसने लोगों को इस बात का भरोसा दिलाया है, कि किसी भी भारतीय नागरिक के किसी भी कानूनी अधिकार से, जो कि उसे संविधान में दिए गए हैं कोई छेड़छाड़ करने का इरादा उनका नहीं है। और ना ही नागरिकता संशोधन अधिनियम का उनके अधिकारों से कोई लेना-देना है।
उनका कहना है कि भारत का जो भी वासी चाहे वह हिंदू है, चाहे मुस्लिम है, उसका इस नागरिकता संशोधन अधिनियम से कोई लेना देना नहीं है। इसमें मुसलमानों को शामिल न किए जाने के मसले पर सरकार ने साफ किया है कि वह पहले की तरह देश के नागरिकता कानून के दायरे में होंगें। संविधान का सेक्शन-6 इस संबंध में उनकी सहायता करेगा।
क्या बन सकता है मुसीबत –
दोस्तों, नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA के तहत किया यह गया है कि धार्मिक उत्पीड़न की वजह से जो भी नागरिक अपना देश छोड़कर हमारे देश यानी भारत आए हैं और उनके पास कोई वैध दस्तावेज जैसे वीजा, पासपोर्ट आदि नहीं है तो भी वे देश के नागरिक बन सकेंगे। इस अधिनियम के तहत अब 3 देशों से आए अवैध प्रवासियों को घुसपैठिया नहीं माना जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति पर अवैध प्रवासी संबंधी कोई कार्रवाई चल रही है तो भी नागरिकता के लिए उसकी पात्रता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे दुश्मन देश के जासूसों के भी फायदा उठाने की प्रबल आशंका है।
नागरिकता अधिनियम 1955 की व्यवस्था क्या थी?
दोस्तों, आपको बता दें कि इससे पहले नागरिकता अधिनियम 1955 अवैध प्रवासियों की भारतीय नागरिकता पर प्रतिबंध लगाता था। अवैध प्रवासी वह माना जाता है, जिसने भारत में वीजा, पासपोर्ट या अन्य किसी वैध दस्तावेज के बगैर प्रवेश ले लिया हो या फिर जो निर्धारित समय सीमा से अधिक समय से भारत में रह रहा हो।
और किस अधिनियम में देनी होगी छूट –
साथियों, आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत सरकार को 1920 के पासपोर्ट अधिनियम और 1946 के प्रवासी अधिनियम में भी छूट का प्रावधान करना पड़ेगा। क्योंकि 1920 का पासपोर्ट अधिनियम भारत में रहने वाले किसी भी प्रवासी के लिए पासपोर्ट को जरूरी करता है और 1946 का प्रवासी अधिनियम उनके यहां प्रवेश को प्रतिबंधित करता है । ऐसे में CAA को लागू करने के लिए इन दोनों में छूट का प्रावधान करना होगा।
इससे पहले कब लाया गया था विधेयक –
दोस्तों, आपको यह भी बता दें कि इससे पहले इस विधेयक को 8 जनवरी को इसी साल लोकसभा में लाया गया था । जहां से इस विधेयक को पारित कर दिया गया था। इसे इसके बाद संसद के उच्च सदन राज्यसभा में पेश किया जाना था, लेकिन लोकसभा का सत्र समाप्त हो जाने के कारण इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सका था। जिस वजह से यह निष्प्रभावी हो गया था। यही वजह थी कि सरकार ने इसको शीतकालीन सत्र में लाने की सोची थी। और ऐसा उन्होंने किया भी।
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि बीती नौ दिसंबर को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया, जहां यह 80 के मुकाबले 311 वोट से पास हो गया। इसके बाद फिर इसे 11 दिसंबर को राज्यसभा में भेजा गया। दोस्तों, लगे हाथों आपको यह भी बता दें कि अगर जनवरी के महीने में राज्यसभा में यह बिल पास हो गया होता और लोकसभा में ना हुआ होता तो उस वक्त निष्प्रभावी नहीं होता। और उसे दोबारा से सदन में पेश करने की जरूरत ना पड़ती। लेकिन क्योंकि ऐसा नहीं हुआ था, इसलिए इसको दोबारा सदन में लाया गया और यह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही कानून बन गया।
CAA में अब आगे क्या होगा –
साथियों, अब आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि नागरिकता संशोधन कानून लागू हो चुका है, इसके बावजूद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन जारी है। इसे वापस ले जाने की मांग की जा रही है। इस संबंध में अब आगे क्या होगा तो आपको बता दें कि इसका फैसला अब केंद्र सरकार को करना है। फिलहाल केंद्र इस मामले में बैकफुट पर आने की राह पर नहीं दिखती। लिहाजा, कोशिश यही की जाने की होगी कि फिलहाल स्थिति को सामान्य किया जाए।
लोगों को विरोध के रास्ते से हटाया जाए। अभी तक सरकार को लग रहा था कि उसने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया तो कुछ न हुआ। राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला आने के बाद कुछ नहीं हुआ तो CAA के मसले पर भी कुछ नहीं होगा। कहना होगा कि यहां उससे चूक हुई। अब सभी वर्गों को साथ लाने की पहल उसे करनी ही होगी। केवल ट्विटर पर ट्वीट भर कर देने से समस्या का समाधान होने वाला नहीं है।
CAA FAQ
CAA क्या है?
CAA एक ऐसा नागरिकता संशोधन अधिनियम जिसके अंतर्गत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आए हिंदू भारतीय जैन, पारसी जैसे जाति वर्ग के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
CAA का पूरा नाम क्या है?
CAA का full form Citizenship Amedment Act होती है जिसे हिंदी में नागरिकता संशोधन अधिनियम कहते हैं।
CAA और NRC में क्या अंतर हैं?
CAA नागरिकता कानून अधिनियम के अंतर्गत मुस्लिमों को छोड़कर छह प्रमुख धर्म के लोगों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। वही NRC में भारत में फर्जी दस्तावेज निवास कर रहे लोगों को उनकी पहचान कर देश से बाहर किया जाएगा चाहे वह किसी भी जाति या धर्म के हों।
भारतीय नागरिकता प्रदर्शित करने के लिए कौन से जरूरी दस्तावेज होने चाहिए
भारत में निवास कर रहे लोगों को अपनी नागरिकता दर्शाने के लिए भूमि बैनामा सरकार की तरफ से जारी किया गया पासवर्ड या अन्य किसी सरकारी दस्तावेज लाइसेंस का प्रमाण पत्र होना जरूरी है।
CAA कब लागू किया गया?
CAA नागरिकता संशोधन अधिनियम 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा और 11 दिसंबर 2019 को राज्य में पास किया गया था।
तो दोस्तों, यह थी नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA के बारे में पूरी जानकारी। उम्मीद है कि हमारी ये post आपको पसंद आई होगी। अगर आपका इस post के संबंध में कोई सुझाव है या आपके दिमाग में कोई सवाल आ रहा है या फिर आप और किसी विषय के बारे में हम से जानकारी चाहते हैं तो हमें नीचे लिखे comment box में comment कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आप किसी खास मुद्दे के बारे में हम से जानकारी पाना चाहते हैं तो भी इसी के जरिए आप अपनी बात हमसे साझा कर सकते हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि आपके बताए विषय से जुड़ी सारी जानकारी से आपको अवगत कराया जा सके। ।।धन्यवाद।।