बाल मजदूरी क्या है? कारण, नियम, सज़ा, दुष्परिणाम | बालश्रम पर निबंध

बाल मजदूरी रोकने के उपाय इन हिंदी – हमारा देश भारत बहुत ही विशाल है। यहां पर जनसंख्या को संतुलित करना भी आवश्यक है। यहां लोगों ने भी अपने हिसाब से अपने जीवन को ढाल लिया है, अपनी जरूरतों को पूरा करना हर परिवार का कर्तव्य होता है परिवार में बहुत से लोग होते हैं, जो काम काज कर परिवार को संभालने का कार्य करते हैं। जीवन की उथल-पुथल और बदलाव के बीच सब आसान हो जाता है।

अगर हम गरीब परिवार की बात करें, तो यहां पर बड़े से लेकर छोटे बच्चों को भी कार्य करने में लुटा दिया जाता है। सारे परिवार की मेहनत के फल स्वरुप ही जीवन आसान नजर आता है। कई बार हमने देखा है कि लोग अपने घर के छोटे बच्चों से काम करवाते हैं, जो प्रायः घरों और दुकानों में कार्य करते हुए देखे जा सकते हैं। छोटे बच्चों से काम, किसी भी प्रकार का शारीरिक कार्य करवाना कानूनी रूप से अपराध माना जाता है और इसे बाल मजदूरी के नाम से भी जाना जाता है।

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बाल मजदूरी क्या है? What is child labor?

दोस्तों, बाल मजदूरी का तात्पर्य ऐसी मजदूरी से है, जो बच्चों द्वारा करवाई जाती है। कानून के तहत ऐसा कार्य जिसमें व्यक्ति कानून के द्वारा निर्धारित उम्र सीमा से छोटा होता है। प्राचीन समय में यह बाल मजदूरी का अधिकतर उपयोग किया जाता था। बच्चों का ध्यान छोटी उम्र में अपनी शिक्षा के में केंद्रित होना चाहिए परंतु ऐसा नहीं होता है अपने परिवार को चलाने के लिए बच्चों को ऐसे कार्य में लगा दिया जाता है, जो कानूनन अपराध है।

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बाल मजदूरी के कारण – What are the causes of child labor?

बाल मजदूरी की समस्या को कम करने के लिए सबसे पहले इसके कारण जाना आवश्यक है क्योंकि बिना कारण के निदान नहीं हो सकता है। बालश्रम के कई कारण हो सकते हैं

  1. देश में बाल मजदूरी का सबसे बड़ा कारण गरीबी है गरीबी के कारण पढ़ाई लिखाई नहीं कर पाने और परिवार को चलाने में मदद करने के लिए बालश्रम किया जाता है।
  2. परिवार में ज्यादा सदस्यों के होने पर माता-पिता सभी बच्चों को शिक्षा की सुविधा नहीं दे पाते और इसी से बाल मजदूरी को बढ़ावा मिलता है।
  3. कुछ माता-पिता लापरवाही के कारण शिक्षा का अधिकार नहीं दिला पाते और बालश्रम करवाते हैं।
  4. बच्चों का पढ़ाई और किसी अन्य कार्य में मन ना लगने के कारण बालश्रम को बढ़ावा मिल जाता है।
  5. कुछ बच्चे अनाथ होने की वजह से उनका कोई अपना नहीं होता और  मजबूरी में उन्हें बाल मजदूरी जैसा कार्य करना पड़ता है।
  6. लोगों को कानून के बारे में जानकारी नहीं होती है जिसके फलस्वरूप में बच्चों को घरों, दुकानों और कारखानों में काम करने में लगा देते हैं।

बाल मजदूरी सम्बंधित धारणा – Child labor related perception

इंडिया जैसे विशाल देश में गरीबों को अपनी आजीविका चलाना मुश्किल होता है। अपने घर के खर्च को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका कभी-कभी घर के बच्चे भी निभाते हैं। पिछले कुछ वर्षों के गणना के अनुसार भारत में बाल मजदूरी की संख्या कुछ हद तक कम हुई है। फिर भी पूरी तरह से बाल मजदूरी पर लगाम नहीं लगाया जा सका है।

भारत में बालश्रम रोकने के लिए उठाये गए महत्वपूर्ण कदम – Important steps taken to stop child labor in India –

भारत में बाल श्रम अधिनियम 1986 में 14 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के रूप एक बच्चे को परिभाषित किया गया है। गरीबों में बाल मजदूरी के प्रमाण प्रत्यक्ष रूप से देखे जा सकते हैं। कई बार बच्चों को मजदूरी के चलते शिक्षा से भी दूर होना पड़ता है। भारत में बाल श्रम अधिनियम 1986 में यह बताया गया है कि बच्चे कितनी उम्र और कहां पर कार्य कर सकते हैं? संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 24 जो बच्चों को किसी भी खतरनाक कार्य को करने की कड़ी निंदा करता है।

यह अनुच्छेद बालश्रम पर रोक भी लगाता है। अनुच्छेद 21 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार देता है परंतु अभी भी बच्चों को पूर्ण रूप से यह अधिकार नहीं मिल सका है। अनुच्छेद के तहत सरकार के पास ऐसी शक्ति है जिसके तहत बाल मजदूरी को रोकने के सारे कार्य किए जाते हैं।

दूसरे संशोधन में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों को किसी भी प्रकार के रोजगार या कार्य में प्रतिबंधित किया गया है। यदि किसी भी तरह के बाल मजदूरी में सहयोग दिखाई देता है, तो सजा का भी प्रावधान है।

बालश्रम अधिनियम को 1986 – Child Labor Act 1986

बच्चों  को वे सारे अधिकार प्राप्त हैं, जो भविष्य में उनको उनका एक अच्छा मार्गदर्शन देता है। बाल मजदूरी जैसे कार्य को रोकने के लिए “गुरुपाद स्वामी समिति” की सिफारिशों के आधार पर बालश्रम अधिनियम को 1986 में लागू किया गया जिसके तहत बाल मजदूरी को कम करने की कोशिश की गई है।

बाल मजदूरी से संबंधित संवैधानिक प्रावधान – 

बाल मजदूरी को रोकने के लिए सरकार की कोशिश जारी रहती है

  • अनुच्छेद 53( 3 )–बच्चों के लिए अलग से कानून बनाने का अधिकार है, जिसमें बच्चों के हित के लिए उनके अधिकार उन्हें दिए जाएंगे।
  • Article 21 – अनुच्छेद 21 —इसके तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का अधिकार है।
  • अनुच्छेद 23 —ऐसा देखा जाता है कि बच्चों को खरीदने और बेचने का क्रम चलता रहता है। इस अनुच्छेद में बच्चे की खरीदी बिक्री में रोक लगाया गया  है
  • Article 89 – अनुच्छेद 89 —अनुच्छेद के अंतर्गत बच्चों के स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दिया जाता है और उन्हें जरूरी दवाइयां उपलब्ध कराई जाती है।
  • अनुच्छेद 51a —माता पिता को बच्चों की शिक्षा के लिए अवसर प्रदान किया जाता है ताकि वह बच्चों को सही प्रकार से शिक्षित कर सकें।

बाल श्रम रोकने के लिए कानूनी उपाय एवं प्रयास – बाल मजदूरी रोकने के उपाय इन हिंदी

1) कारखाना अधिनियम 1948 – Factories Act 1948

ऐसा देखा जाता है कि भारत में 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चे भी कारखाने में काम करते हैं। इस वजह से उन्हें कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। इस अधिनियम के तहत ऐसे कार्य को रोक लगाया जाता है।

2) खदान अधिनियम 1952 – Mines Act 1952

खदान में काम करना बहुत ही मुश्किल और खतरनाक काम होता है। इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम बच्चों को खदान में काम करने की मनाही है। यदि काम करते हुए देखा जाए तो सजा का प्रावधान किया गया है।

3) बाल श्रम अधिनियम 1986 – Child Labor Act 1986

इस अधिनियम के अंतर्गत 14 वर्ष के कम उम्र के बच्चों का  कहीं भी कार्य करने के लिए रोक लगा दिया गया है।

4) राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग 2007 – National Child Protection Commission 2007

बच्चों के अधिकार खतरे में हैं और बच्चों का हनन लगातार होता ही रहता है। इस अधिनियम के अंतर्गत बाल अधिकारों का हनन रोका जाता है जिससे बच्चों को कम से कम नुकसान हो सके।

5) निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2004 – The Right to Free and Compulsory Child Education Act 2004

इस अधिनियम के अंतर्गत बच्चों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त होना आवश्यक है, जो भविष्य को निर्धारण करता है। इस अधिनियम के लिए समाज को भी जागरूक होना अति आवश्यक है।

बाल श्रम को रोकने के लिए इंडियन कानून – Indian law to stop child labor

1) एकीकृत बाल संरक्षण योजना 2009 -10 – Integrated Child Protection Scheme 2009 -10

इस योजना के अंतर्गत ऐसे बच्चों को सुविधा दी जाती है जिनके पास घर नहीं होता। अपना गुजारा जैसे तैसे चलाते हैं और कई प्रकार की समस्याओं से गुजरते हैं। बच्चों को न्याय दिलाने के लिए और गरीब बच्चों के लिए योजना चलाई जाती है जिससे उन्हें पूरे अधिकार मिल सके।

2) बाल श्रम संशोधन विधेयक 2016 – Child Labor Amendment Bill 2016

बहुत से बच्चे बाल मजदूरी में लिप्त होते हैं। इस विधेयक के महत्व माध्यम से बाल मजदूरी को कम करने की कोशिश की गई है। इस बात का ध्यान रखा गया है कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे किसी भी रोजगार में लिप्त ना रहे। और फैक्ट्रियों में काम करने पर भी रोक लगा दिया गया है।

राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना – National Child Labor Project

बाल मजदूरी जैसे अपराधों को कम करने के लिए तथा बच्चे को नया आयाम देने के लिए बाल श्रम योजना परियोजना बनाई गई है। इसके तहत बालश्रम में लिप्त बच्चों को आजादी दिलाना और विद्यालय में दाखिला करवा कर पढ़ाई पूरी करवाना है। समुचित आहार और स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं भी प्रदान की जाती है, जो बच्चों के लिए फायदेमंद होती है।

बाल मजदूरी पर रोक – Ban on child labor

इंडिया में बालश्रम मुख्य समस्याओं में एक हैं। बाल मजदूरी को जड़ से खत्म करने के लिए बहुत से उपाय किए गए हैं। इसके लिए बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।  इस सिलसिले में लोगों में जागरूकता होना बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए 2002 में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बाल मजदूरी से उत्पन्न होने वाली समस्याएं – Problems arising from child labor

  1. बाल मजदूरी में संलग्न होने के कारण बच्चे शिक्षा से दूर हो जाते हैं, जो उनका मूल अधिकार होता है। इस समस्या को हटाना बहुत ही मुश्किल है लेकिन नामुमकिन  नहीं। ऐसी कोशिश की जानी चाहिए जिससे कि सारे बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिल सके।
  2. साथ ही बाल मजदूरी की आड़ में बच्चों से बुरा व्यवहार किया जाता है, जो सर्वथा अनुचित है।
  3. बालश्रम लगातार करते रहने से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर होता है। स्वास्थ्य की देखभाल करना सभी का कर्तव्य बनता है फिर वह चाहे बच्चे की हो या  बड़ों की।
  4. बच्चों का बचपन छीन लिया जाता है जिसकी वजह से बच्चे मनोरंजन, खेल कूद और अन्य गतिविधियों में अपना योगदान नहीं दे पाते हैं।
  5. बाल मजदूरी करवाने वाले लोग भिक्षावृत्ति में भी संलग्न रहते हैं, जो कानूनन अपराध होता है।

बाल मजदूरी को रोकने के लिए विशेष कार्यक्रम – Special program to stop child labor

दोस्तों, बालश्रम को रोकने के लिए सरकार ने भी कड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने कुछ ऐसे कार्यक्रम चलाए हैं जिनकी बदौलत बच्चों में बाल मजदूरी को कम किया जा सके।

  1. बचपन बचाओ आंदोलन
  2. प्रथम संगठन
  3. तलाश एसोसिएशन
  4. क्राय चाइल्ड  राइट एंड यू
  5. कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन

बाल मजदूरी से होने वाले रोग –

बाल मजदूरी बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक होती है। कई बार बच्चे ऐसे खतरों से खेल जाते हैं जिसका उन्हें अंदाजा भी नहीं होता। बच्चों को बाल मजदूरी से कई सारे रोग लगने की संभावना होती है जिनमें से टीवी, रीढ़ की हड्डी की बीमारी, आंखों में खराबी, सर्दी,खांसी, आग से दुर्घटना, चर्म रोग आदि हो सकते हैं। यह सारे रोग बच्चों को बीड़ी उद्योग,  चर्म उद्योग, चूड़ी उद्योग, माचिस उद्योग, कृषि उद्योग में काम करने की वजह से हो सकते हैं। ऐसे में बहुत आवश्यक है बच्चों का ख्याल  सही तरीके से रखा जाए।

माता पिता की भूमिका –

बाल मजदूरी को बढ़ावा तभी मिलता है, जब बच्चों के माता-पिता भी संलग्न रहते हैं। घरों की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण माता-पिता बच्चों पर ही निर्भर रहते हैं। बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखते हैं, जो सर्वथा गलत है। यदि कहा जाए कि माता-पिता  स्वार्थ वश बच्चों से बाल मजदूरी करवाते हैं, तो यह गलत नहीं होगा।  ऐसे समय में माता-पिता का कर्तव्य है अपने बच्चों से उनका बचपन ना छीने। उन्हें विद्यालय भेजने की भी यथासंभव कोशिश करनी चाहिए। जीवन में यदि अपने बच्चों का सही तरीके से पालन पोषण किया जाए, तो उत्तरदायित्व पूर्ण नजर आते हैं। बाल मजदूरी के उपयोग पर पारिवारिक प्रभुत्व में परिवर्तन प्रभावित कर रहा है। माता पिता को ही आगे आकर ऐसी परिस्थिति से बाहर निकलना चाहिए।

बाल मजदूरी रोकने के उपाय – Solutions to stop child labor

  • 1) बालश्रम का मुख्य कारण गरीबी है। रोजगार या किसी उद्योग धंधे के लिए ऋण लेने की सरल व्यवस्था करने से बाल मजदूरी को रोका जा सकता है।
  • 2) बालश्रम को रोकने के लिए आवश्यक है कि शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए। लोगों में जागरूकता लाने से बालश्रम को कम किया जा सकता है।
  • 3) बढ़ती हुई जनसंख्या भी बाल मजदूरी का कारण होती है। यदि जनसंख्या को नियंत्रण कर लिया जाए ऐसे में बाल मजदूरी कम हो सकती हैं। भारत जैसे विशाल देश में जनसंख्या कम करना आसान नहीं लेकिन कोशिश करने से सारी समस्याएं हल हो सकती है।
  • 4) लोगों की भलाई के लिए यदि रोजगार का सृजन किया जाए इससे भी बालश्रम कम हो सकती है।

बाल मजदूरी के लिए होने वाली सजा – Punishment for child labor

बालश्रम कानूनन अपराध है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बालश्रम करवाने पर 2 साल की कैद और ₹50000 का जुर्माना देना अनिवार्य है। यदि बच्चे का पारिवारिक कारोबार है, ऐसी स्थिति में वह मदद कर सकता है।

इतने नियम कानून होने के बाद भी लोगों में बाल मजदूरी करवाई जाती है, जो कि आसानी से देखा जा सकता है।

बाल मजदूरी के दुष्परिणाम – Child labor effects

  • बालश्रम के कराए जाने से बच्चों के विकास में बाधा होती है। बच्चे इस बात को समझ नहीं पाते कि उन्हें अपने भविष्य में क्या करना है? किसी और के कहने पर बाल मजदूरी के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • बालश्रम होते रहने से शिक्षा का अभाव होता है। यदि बच्चा मजदूरी करता है ऐसे में वह शिक्षा ग्रहण नहीं करता। यह स्थिति भविष्य के लिए बहुत ही संकट और खतरे वाली हो सकती है।
  • बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को खतरा होने की संभावना होती है। मजदूरी करने वाले बच्चे कई प्रकार की फैक्ट्री कारखानों में कार्य करते हैं जिनके वजह से उन्हें नुकसान होने की आशंका है। कई बार ऐसे कारखानों में काम करना सेहत से खिलवाड़ साबित हो सकता है

एक आंकड़े के अनुसार करीब 30 करोड़ बच्चों में दो करोड़ बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं। अगर विश्व में देखा जाए तो लगभग 15.2 करोड़  बच्चे बाल मजदूरी से ग्रसित हैं।

मजदूरों के बालकों के लिए शिक्षा की व्यवस्था – The system of education for the children of laborers

सरकार ने मजदूर के बच्चों के लिए शिक्षा की उचित व्यवस्था की है जिससे वह अपना भविष्य सवार सकते हैं

  1. बाल श्रमिक — स्कूल सरकार ने ऐसे स्कूलों की स्थापना की है, जो श्रमिकों के बच्चों के लिए है या फिर जो बाल मजदूरी का काम करते हो। ऐसे स्कूल शाम को भी चलाए जाते हैं ताकि बच्चे आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सके।
  2. मुफ्त शिक्षा– बाल मजदूरों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रावधान रखा गया है। जिसके तहत उन्हें बिना किसी परेशानी के संपूर्ण शिक्षा दी जाएगी।

इस प्रकार से हमारे भारत देश में बाल मजदूरी की समस्या बढ़ रही है जिसके लिए सरकार ने भी उचित कदम उठाया है। सरकार के फैसले को भी कई बार इन लोगों द्वारा नकार दिया जाता है। आज के बदलते परिवेश में लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ गई है। समाज ने भी अपनी भागीदारी सही तरीके से निभाई है। बाल मजदूरी को रोकने के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है।

लोगों को भी अपने आसपास के लोगों को जागरूक करना जरूरी है ताकि सही तरीके से भविष्य समझ सके और बाल मजदूर भी आगे बढ़ सकें। इस देश में शिक्षा का अधिकार हर व्यक्ति को है और इस अधिकार को लेने से कोई किसी को नहीं रोक सकता। बाल मजदूरी को जड़ से खत्म करने का आसान तरीका शिक्षा और जागरूकता है। हम सभी को जागरूक होकर समाज को आगे बढ़ाने की सोच रखनी चाहिए।

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