क्लाउड सीडिंग क्या होती है? इसका इस्तेमाल कहां और कैसे किया जाता है?

दुनिया के बहुत से देश ऐसे हैं जहां पर प्राकृतिक रूप से वर्षा बहुत कम होती है ऐसे में वहां क्लाउड सीडिंग का सहारा लिया जाता है क्या आप जानते हैं कि यह क्लाउड सेटिंग क्या होती है यदि नहीं जानते तो आज बिल्कुल सही जगह पर है आज हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे कि क्लाउड सेटिंग क्या होती है? इसका इस्तेमाल कहां किया जाता है? आदि। आपको इस पोस्ट को शुरू से अंत तक ध्यान से पढ़ना होगा। आइए, शुरू करते हैं-

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क्लाउड सीडिंग क्या होती है? (What is cloud seeding?)

दोस्तों, आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि क्लाउड सीडिंग (cloud seeding) क्या होती है? दोस्तों, क्लाउड (cloud) का अर्थ होता है बादल और सीडिंग का अर्थ होता है बीजना। यानी कि बादल में जब कुछ पदार्थो का प्रत्यारोपण किया जाता है तो यह क्रिया क्लाउड सीडिंग कहलाती है। क्लाउड सीडिंग को मौसम संशोधन तकनीक (weather ammendment technique) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर कृत्रिम वर्षा के लिए।

क्लाउड सीडिंग क्या होती है

क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल कहां किया जाता है? (Where the cloud seeding is used?)

दोस्तों, यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक है। आपको बता दें कि इस तकनीक का इस्तेमाल आम तौर पर कृत्रिम वर्षा (artificial rain) के लिए किया जाता है। ऐसे बहुत से देश जहां प्राकृतिक वर्षा काफी कम होती है या फिर ऐसे क्षेत्र जो सूखे (drought) का सामना कर रहे होते हैं, वहां क्लाउड सीडिंग के जरिए वर्षा कराई जाती है।

क्लाउड सीडिंग की क्या प्रक्रिया है? (What is the process of cloud seeding?)

दोस्तों, आपको बता दें कि क्लाउड सीडिंग सामान्यतः बादल संघनन अथवा बर्फ के नाभिक के रूप में कार्य करने वाले पदार्थों को हवा में फैलाकर की जाती है। इसके जनरल एजेंट (general agent) मुख्यतः सिल्वर आयोडाइड (silver iodide), पोटेशियम आयोडाइड (potassium iodide) एवं सूखी बर्फ (dry ice) होते हैं ।

इसके अतिरिक्त टेबल सॉल्ट (table salt) जैसी हीग्रोस्कोपिक (hygroscopic) सामग्री भी नमी को आकर्षित करने की अपनी क्षमता के कारण इस्तेमाल की जा रही है। दोस्तों, अब आप पूछेंगे कि यह हीग्रोस्कोपिक क्या होता है? तो आपको बता दें कि ऐसे नाभिक होते हैं, जिन्हें आमतौर पर संघनन नाभिक भी कहा जाता है। ये पानी को आकर्षित करने वाले तत्व होते हैं। ये सापेक्ष आर्द्रता 100% से कम होने पर भी आसानी से अपनी सतहों पर संघनन की अनुमति देते हैं। सल्फ्यूरिक एसिड (sulfuric acid) और नाइट्रिक एसिड (nitric acid) भी ऐसे ही नाभिक हैं।

क्लाउड सीडिंग कैसे की जाती है? (How cloud seeding is done?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि क्लाउड सीडिंग केमिकल्स (cloud seeding chemicals) को विमान के जरिए, जमीन पर फैलाव संबंधी उपकरणों जैसे -जेनरेटर (generator) या एंटी-एयरक्राफ्ट गन (anti aircraft gun) या रॉकेट से दागे गए कनस्तर आदि के द्वारा फैलाया जाता है। यही नाभिक बर्फ बनने के एवं बारिश की क्षमता में सुधार (improvement in efficiency of rain) के लिए आधार बनते हैं।

क्लाउड सीडिंग का असर कितने दिन में देखने को मिलता है? (After how much time the effect of cloud seeding is seen?)

दोस्तों, अब आपके मन में सवाल उठेगा कि क्लाउड सीडिंग का असर कितने समय बाद देखने को मिलता है? यानी कि कितने समय बाद उपचारित बादल (treated cloud) बदलना शुरू हो जाता है? तो आपको बता दें कि क्लाउड सीडिंग का असर इसकी डिलीवरी विधि (delivery method) के आधार पर निर्भर करता है। इसका असर आम तौर पर लगभग तत्काल से लेकर 30 मिनट कै भीतर तक देखने को मिल जाता है।

क्लाउड सीडिंग का जनक किसे माना जाता है? (Who is assume the father of cloud seeding?)

दोस्तों, आपको बता दें कि क्लाउड सीडिंग के साथ पहला प्रयोग (experiment) अमेरिकी रसायनज्ञ और मौसम विज्ञानी डॉ. विंसेंट जे. शेफ़र द्वारा किया गया। न्यूयॉर्क की जनरल इलेक्ट्रिक लेबोरेटरी में कार्यरत डॉ. विंसेंट जे. शेफ़र कृत्रिम बादल (artificial cloud) बनाने के अनुसंधान में शामिल थे। उन्होंने आज से करीब 78 वर्ष पूर्व यानी सन् 1946 में विमान द्वारा न्यूयॉर्क के एडिरोंडैक पर्वत पर एक बादल में 6 पाउंड कुचली हुई सूखी बर्फ गिराई थी‌। यही क्लाउड सीडिंग का पहला प्रयोग माना जाता है। शेफर को ही क्लाउड सीडिंग का जनक माना जाता है।

क्या क्लाउड सीडिंग बड़े पैमाने पर मौसम में तब्दीली ला सकती है? (Can cloud seeding change the weather at big amount?)

दोस्तों, बहुत सारे लोगों के दिमाग में यह बात उठती है कि जब क्लाउड सीडिंग कृत्रिम बारिश कराने में सक्षम है तो यह बड़े पैमाने पर मौसम को बदलने की क्षमता भी रखती है। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा नहीं है। आपको बता दें कि क्लाउड सीडिंग केवल कुछ बादलों को बदल सकती है। यह बड़े पैमाने पर मौसम (weather) और जलवायु संबंधी घटनाओं (climate related incidents) के जटिल पैटर्न (typical pattern) को प्रभावित नहीं करती है ।

क्या क्लाउड सीडिंग सुरक्षित है? (Is cloud seeding safe?)

दोस्तों, आमतौर पर क्लाउड सुरक्षित माना जाता है, लेकिन बहुत से पर्यावरण विद् इसके लिए प्रयोग किए जाने वाले रसायनों एवं तत्वों (chemicals and elements) को लेकर चिंता भी जताते हैं। वे चिंता जताते हैं कि क्लाउड सीडिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन जैसे- सिल्वर आयोडाइड आदि हवा और पानी (air and water) को दूषित (pollute) कर सकते हैं।

उनका मानना है कि इससे मनुष्यों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं (health related problems) जैसे श्वसन संबंधी समस्याएं, त्वचा (skin) में जलन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं आदि पैदा हो सकती हैं।

क्या भारत में क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया गया है? (Has cloud seeding used in India?)

दोस्तों, आपको बता दें कि क्लाउड सीडिंग का प्रयोग भारत में पहले से किया जाता रहा है। यदि विशेष काल की बात करें तो भारत में गंभीर सूखे (serious drought) की स्थिति पैदा होने पर तमिलनाडु सरकार (tamilnadu government) द्वारा वर्ष 1983, 1984-87 एवं 1993-94 के दौरान वृहद पैमाने पर क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन (cloud seeding operation) चलाया गया था। इसके पश्चात वर्ष 2003 एवं 2004 में कर्नाटक सरकार (Karnataka government) द्वारा क्लाउड सीडिंग को अपनाया गया था।

हाल ही में क्लाउड सीडिंग क्यों चर्चा में रही है? (Why cloud seeding was in news recently?)

दोस्तों, यदि आप समाचारों में रुचि रखते हैं तो आप जानते ही होंगे की हाल ही में क्लाउड सीडिंग बहुत चर्चा में रही है। इसकी वजह दुबई में अचानक हुई बरसात से बाढ़ आ जाना था। वहां क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश (artificial rain) कराई गई थी। जितनी बारिश करीब डेढ़ साल में होनी थी उतनी एक ही दिन में हो गई थी। इसका बुरा असर पूरे दुबई में देखने को मिला। वहां भयंकर तबाही हुई। दोस्तों लगे हैं हाथों आपको यह भी बता दें कि

संयुक्त अरब अमीरात द्वारा सन् 2021 से ऐसे ड्रोन (drone) का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो इलेक्ट्रिक चार्ज उत्सर्जन उपकरणों एवं अनुकूलित सेंसर्स (sensors) के पेलोड से युक्त हैं। ये कम ऊंचाई पर उड़ते हैं और हवा के अणुओं को इलेक्ट्रिक चार्ज प्रदान करते हैं। दोस्तों , आपको बता दें कि इस विधि से जुलाई, 2021 में वहां भारी बारिश हुई थी।

क्लाउड सीडिंग फायदेमंद अधिक है या नुकसानदेह?

दोस्तों, आपको बता दें कि किसी भी अन्य तकनीक की भांति क्लाउड सीडिंग के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। यद्यपि इसके नुकसान की बनिस्बत इसके फायदे अधिक हैं। यही वजह है कि कृत्रिम बारिश कराने के लिए इस तकनीक का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

और दोस्तों आपको बता दें कि न केवल बारिश कराने के लिए बल्कि बारिश रोकने के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यदि आपको चीन में सन् 2008 में हुआ बीजिंग ओलंपिक याद हो तो उस समय चीन द्वारा इस तकनीक का इस्तेमाल उद्घाटन समारोह को देखते हुए कुछ समय के लिए बादलों को रोके रखने के लिए किया गया था।

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क्लाउड सीडिंग का क्या अर्थ है?

सामान्य रूप से इसका अर्थ बादलों में कुछ पदार्थो /रसायनों का प्रत्यारोपण करना है।

क्लाउड सीडिंग किस तरह की तकनीक है?

यह एक मौसम संशोधन तकनीक है।

क्लाउड सीडिंग के माध्यम से क्या किया जाता है?

क्लाउड सीडिंग के माध्यम से आमतौर पर कृत्रिम बारिश कराई जाती है।

क्लाउड सीडिंग की क्या प्रक्रिया है?

इस प्रक्रिया में सामान्यतः बादल संघनन अथवा बर्फ के नाभिक के रूप में कार्य करने वाले पदार्थों को हवा में फैलाकर कृत्रिम बारिश की की जाती है।

क्लाउड सीडिंग के जनरल एजेंट क्या-क्या हैं?

इसके जनरल एजेंट (general agent) मुख्यतः सिल्वर आयोडाइड (silver iodide), पोटेशियम आयोडाइड (potassium iodide) एवं सूखी बर्फ (dry ice) होते हैं

यह तकनीक किन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है?

यह तकनीक सूखे से प्रभावित इलाकों के साथ ही, जिन क्षेत्रों में प्राकृतिक बारिश कम होती है, वहां के लिए उपयोगी है।

क्लाउड सीडिंग का जनक किसे माना जाता है?

अमेरिकी रसायनज्ञ और मौसम विज्ञानी डॉ. विंसेंट जे. शेफ़र को क्लाउड सीडिंग का जनक माना जाता है।

क्लाउड सीडिंग का पहला सफल प्रयोग कब हुआ?

क्लाउड सीडिंग का पहला सफल प्रयोग आज से 78 वर्ष पूर्व सन् 1946 में हुआ था।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि क्लाउड सीडिंग क्या होती है? इसका इस्तेमाल कहां किया जाता है? उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट से आपकी जानकारी में वृद्धि हुई होगी। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो आप उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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