What is ED in Hindi: – आप सभी समाचार तो देखते ही होंगे और उसमें कई तरह के समाचार धन से जुड़े होते हैं। हमारे देश में भ्रष्टाचारियों और कालाधन रखने वाले लोगों और नेताओं की कोई कमी नहीं है। वह कोई भी हो सकता है, फिर चाहे वह कोई बड़े पद पर बैठा नेता या अधिकारी हो या फिर कोई सामान्य व्यक्ति या व्यवसायी या ऐसा ही कोई अन्य व्यक्ति। एक तरह से जो आर्थिक रूप से गलत काम कर रहा है, वह दूसरों के धन पर कब्ज़ा करने का प्रयास कर रहा (Enforcement directorate in Hindi) है।
ऐसे में भारत सरकार के पास असीमित शक्तियां होती है जिसका वह इस्तेमाल करती है। भारत सरकार ने जहाँ अन्य जुर्म किये जाने पर सीबीआई बनायी हुई है जो लोगों पर कार्यवाही करती है तो वहीं आर्थिक अपराध किये जाने पर ED बनायी हुई है। यह ED आपने बहुत बार चर्चा में या समाचार में सुन रखी होगी। जब से केंद्र में मोदी सरकार अर्थात भाजपा की सरकार आयी है तब से ही यह ED और सीबीआई ज्यादा चर्चा में आ गयी (ED ki puri jankari Hindi me) है।
वह इसलिए क्योंकि मोदी सरकार के द्वारा समय समय पर भ्रष्ट लोगों पर कार्यवाही की जाती है जो ED के माध्यम से होती है। ऐसे में यह ED है क्या चीज़ और इसके क्या कुछ कार्य होते हैं, उसके बारे में जानकारी ली जानी जरुरी हो जाती है। आज के इस लेख में हम ED के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और आपको बतायेंगे ED के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण (ED kya hai in Hindi) जानकारी।
ED क्या है? (What is ED in Hindi)
ED एक केंद्रीय एजेंसी या विभाग है जो भारत सरकार के द्वारा निर्देशित होती है। अब जिस तरह से राज्य सरकार के पास अपनी पुलिस, CID इत्यादि कई तरह की जांच एजेंसी होती है, ठीक उसी तरह राष्ट्रीय स्तर पर कार्यवाही करने के लिए केंद्र सरकार ने भी अपनी कई एजेंसियों का निर्माण किया हुआ है। उसमें सुरक्षा बल के रूप में भारतीय सेना होती है तो वहीं जांच एजेंसी के रूप में सीबीआई व ED होती है। इन दोनों का काम अलग अलग होता (ED kya hai) है।
CID का काम तो कहीं पर अपराध हुआ है और यदि वह धन से जुड़ा हुआ ना होकर किसी को शारीरिक या मानसिक रूप से चोट पहुँचाने से जुड़ा हुआ है तो उसे केंद्र सरकार की अनुशंसा पर कार्यवाही करने का अधिकार होता है। वहीं यदि वही अपराध आर्थिक मामले से भी जुड़ा हुआ है तो उसमें ED भी जांच करती है। यह एक तरह से पुलिस और CID से ऊँची व सर्वोच्च संस्था होती है जिसमें उच्च अधिकारी उस मामले की जांच करते हैं। वहीं यदि अपराध का दायरा देश की सुरक्षा, आंतकवाद या ऐसे ही किसी मामले से जुड़ा हुआ है तो उस पर एक अन्य राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA के द्वारा जांच की जाती (What is enforcement directorate or ED in Hindi) है।
वहीं यदि देश के अंदर या बाहर कोई अपराध आर्थिक मामले से जुड़ा हुआ है और उससे देश की सुरक्षा या आंतकवाद से कोई लेना नहीं है तो उसमें ED की भूमिका आ जाती है। एक तरह से देश में या बाहर पैसों से जुड़ा कोई भी अपराध सामने आता है फिर चाहे वह देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ हो या नहीं, उसमें ED आ ही जाती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो आर्थिक अपराध के मामलों से जुड़े क्षेत्र में ED ही अपनी जांच आगे बढ़ाती (ED kya hoti hai) है।
एक तरह से देशभर में कालाबाजारी, धन का दुरुपयोग, अनैतिक तरीकों से धन को कमाना इत्यादि काम हो रहे हैं तो उसमें ED के द्वारा जांच की जाती है और उचित कार्यवाही की जाती है। इसमें ED को भारत सरकार के द्वारा कई तरह के अधिकार दिए गए हैं जिनके बारे में हम आपको नीचे बतायेंगे।
ED की फुल फॉर्म क्या है? (ED full form in Hindi)
बहुत से लोगों को ED की फुल फॉर्म के बारे में ही नहीं पता होता है। वह इसलिए क्योंकि ED कहने में और बोलने लिखने में आसान शब्द है और इसके लिए फुल फॉर्म को याद रखने की जरुरत ही नहीं पड़ती है। किन्तु आज हम आपको ED की फुल फॉर्म भी बता देते हैं ताकि आपको ED के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हो जाए।
ऐसे में ED की फुल फॉर्म Enforcement Directorate होती है जो कि अंग्रेजी भाषा का नाम है। वहीं यदि हम इसके हिंदी नाम की बात करें तो उसे प्रवर्तन निदेशालय कहा जाता है। इस तरह से आप ED को Enforcement Directorate या प्रवर्तन निदेशालय कुछ भी कह सकते हैं। हालाँकि इसका अंग्रेजी नाम बोलना बहुत ही कठिन हो जाता है तो ज्यादातर लोगों के द्वारा या तो इसकी शोर्ट फॉर्म ED को उपयोग में लाया जाता है या फिर इसके हिंदी नाम प्रवर्तन निदेशालय को बोला जाता है।
ED किसके अंतर्गत काम करती है? (ED kiske under aati hai)
ऊपर का लेख पढ़कर आपने यह तो जान लिया है कि ED राज्य सरकार के अंतर्गत नहीं आती है और इस पर पूर्ण रूप से केंद्र सरकार अर्थात भारत सरकार का ही अधिकार होता है। ऐसे में ED के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति सहित, उनके अध्यक्ष का चुनाव, उनका कार्यकाल, किसी को निष्कासित करना, उसे जरूरी दिशा निर्देश देना इत्यादि सभी कुछ केंद्र सरकार के हाथ में ही होता है।
फिर भी इसे भारत सरकार के एक विभाग के द्वारा प्रमुख तौर पर देखा जाता है और ED के अधिकारी भी उसी विभाग को ही रिपोर्ट करते हैं। तो वह है वित्त मंत्रालय। वित्त मंत्रालय को ही हम ED की पैरेंट एजेंसी कह सकते हैं जिसके अंतर्गत ED के सभी अधिकारी व कर्मचारी आ जाते हैं। वित्त मंत्रालय के अलावा राजस्व विभाग के द्वारा भी ED के कामकाज को देखा जाता है क्योंकि इस विभाग के द्वारा देश के नगरिकों से कर लेकर राजस्व बनाया जाता है।
ED की स्थापना कब हुई थी? (ED ki sthapna kab hui thi)
अब आपको लग रहा है कि ED कोई मोदी सरकार आने के बाद बनी है या पिछले कुछ वर्षों में बनी है तो आप पूरी तरह से गलत हैं। ED की स्थापना तो देश के स्वतंत्र होने के एक दशक के भीतर ही हो गयी थी। ऐसे में यदि हम ED के स्थापना वर्ष की बात करें तो वह 1956 होगा और यदि आप पूरी तिथि जानना चाहें तो वह 1 मई 1956 होगी।
इस तरह से ED आज या कल की नहीं बल्कि बहुत पुरानी संस्था है। हालाँकि ED के कामकाज में तेजी पिछले कुछ वर्षों में आयी है जब से भारत सरकार ने उसे देश के भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों पर कार्यवाही करने की खुली छूट दी है। इसके बाद से देश के अलग अलग राज्यों में ED के द्वारा ताबड़तोड़ कार्यवाही की जाती है और छापे मारे जाते हैं।
ED का मुख्यालय कहाँ है? (ED ka mukhyalay kahan hai)
अब हम बात करें ED के मुख्यालय की तो यह आप अनुमान लगा ही सकते हैं कि जो केंद्र सरकार की मुख्य एजेंसी है, उसका मुख्यालय कहाँ हो सकता है। ऐसे में ED या प्रवर्तन निदेशालय का मुख्यालय देश की राजधानी नयी दिल्ली में स्थित (ED ka head office kahan hai) है। हालाँकि इसके कई ऑफिस हैं जो देश के अन्य प्रमुख शहरों और मेट्रो सिटी में स्थित हैं लेकिन इसका मुख्य कामकाज या सभी जरुरी दिशा निर्देश नयी दिल्ली के कार्यालय से ही दिए जाते हैं। वहीं ED के अध्यक्ष या मुख्य अधिकारी भी इसी कार्यालय में ही बैठते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय के अध्यक्ष कौन हैं? (ED ke adhyaksh kaun hai)
अब यदि आप ED के डायरेक्टर या प्रवर्तन निदेशालय के अध्यक्ष की बात करें तो वह IRS अधिकारी राहुल नवीन जी हैं। ED के अध्यक्ष या मुखिया को डायरेक्टर एन्फोर्समेंट के नाम से भी जाना जाता है जो इस एजेंसी का सर्वोच्च पद होता (ED ka head kaun hai) है। एक तरह से कहा जाए तो राहुल नवीन जी ED के अध्यक्ष, प्रधान, सर्वेसर्वा इत्यादि की भूमिका में हैं किन्तु उन्हें देश के वित्त मंत्री सहित वित्त मंत्रालय के सचिव और राजस्व विभाग के अधिकारियों को सब जानकारी देनी होती है।
ED के अधिनियम (ED ke adhiniyam)
अब आपको वह बात जान लेनी चाहिए जिसके अंतर्गत ED कार्यवाही करने का अधिकार रखता है या जो नियम ED को किसी व्यक्ति विशेष पर उचित कानूनी कार्यवाही करने का समुचित अधिकार देते हैं। इसमें मुख्य रुप से तीन धाराएँ या अधिनियम आते हैं जो ED को किसी व्यक्ति पर कार्यवाही करने के लिए बाध्य करते हैं। आइये इन तीनो के बारे में ही एक एक करके जान लेते हैं।
PMLA, 2002 (PMLA 2002 defines in Hindi)
इसमें सबसे पहले जो अधिनियम आता है उसे हम PMLA के नाम से जानते हैं। अब यदि इसकी फुल फॉर्म की बात की जाए तो वह Prevention Of Money Laundering Act, 2002 या फिर धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के नाम से जाना जाएगा। इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा अपनी PMLA कोर्ट भी खोली गयी है जहाँ पर अलग से सुनायी होती है। इस पर जिला न्यायालय का कोई अधिकार नहीं होता है। हालाँकि PMLA कोर्ट के निर्णयों को वहां के उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
तो स्वयं को मिले इस अधिनियम के अंतर्गत ED को उन व्यक्तियों पर कार्यवाही करने का अधिकार मिलता है जो गलत तरीके से धन कमाने में लगे हुए हैं या जिन्होंने काला धन जमा कर रखा है और उस पर भारत सरकार को कर भी नहीं चुकाया है। एक तरह से अनैतिक रूप से धन कमाने और उसे सामने ना लाने पर ED के अधिकारियों के द्वारा उस पर कार्यवाही की जाती है।
इसके अंतर्गत प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी के द्वारा संबंधित व्यक्ति के घर या कार्यालय या अन्य किसी भी संबंधित आवास में कभी भी छापा मारा जा सकता है और इसके बारे में पहले से सूचना भी नहीं दी जाती है। उसकी संपत्ति पर स्थित सभी पैसों व अन्य बहुमूल्य वस्तुओं को जब्त कर लिया जाता है और उस व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। एक तरह से ED को उस व्यक्ति पर कार्यवाही करने का पूरा अधिकार मिल जाता है।
FEMA, 1999 (FEMA 1999)
अब ED को मिले दूसरे अधिकार या नियम के तहत FEMA मिला हुआ है जो आज के समय में बहुत ही चर्चा का विषय बना हुआ है। इस FEMA या फेमा का पूरा नाम Foreign Exchange Management Act, 1999 या विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनयम, 1999 है। इस तरह के आर्थिक अपराध में वह सभी अपराध आ जाते हैं जो केवल भारत देश में ही ना होकर विदेश से भी जुड़ जाते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि ऊपर वाले अधिनियम में तो आर्थिक अपराध के तार केवल देश से ही जुड़े हुए थे जबकि फेमा में यह भारत सहित बाहर से भी जुड़े होते हैं।
इसके तहत यदि कोई व्यक्ति हवाला के व्यापार में है, विदेशी मुद्रा का अवैध संचय करता है, आयात निर्यात में गड़बड़ी करता है, विदेशों में संपत्ति की खरीद करता है या फिर विदेशी मुद्रा से कोई अन्य अवैध व्यापार करता है और अनैतिक रूप से धन कमाता है तो उस पर ED कार्यवाही करने का अधिकार रखती है। इसके तहत भी ED उसके किसी भी आवास या स्थान पर छापा मार सकती है और कार्यवाही कर सकती है।
इसके तहत ED के अधिकारी संबंधित व्यक्ति को अपने कार्यालय में बुलाकर उस व्यक्ति से घंटों तक पूछताछ कर सकते हैं। पूछताछ के बाद उस व्यक्ति को हिरासत में भी लिया जा सकता है और उसकी संपत्ति को कुर्क किया जा सकता है। विदेश की सरकारों को इसके बारे में सूचित कर उन पर भी कार्यवाही करने को कहा जाता है इत्यादि।
FEOA, 2018 (FEOA 2018)
ED के आखिरी अधिनियम को हाल के ही वर्षों में बनाया गया है या संशोधित किया गया है। वह इसलिए क्योंकि बहुत से ऐसे आर्थिक अपराधी होते थे जो भारत देश में अपराध कर विदेश में भाग जाते थे। यह आप FEOA के पूरे नाम से ही समझ जाएंगे। ऐसे में FEOA की फुल फॉर्म Fugitive Economic Offenders Act, 2018 या भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 होती है।
इसके तहत आप विजय माल्या, नीरव मोदी इत्यादि का उदाहरण ले सकते हैं जो बहुत बड़े नाम हैं। हालाँकि केवल यही नहीं है, आपको सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे जो भारत देश में आर्थिक अपराध कर विदेश के किसी कोने में जाकर छिप जाते हैं। अब उनके द्वारा किसी ऐसे देश का चुनाव किया जाता है जहाँ के कानून बहुत ही लचीले होते हैं या जहाँ पर दूसरे देश के कानूनों को इतनी महत्ता नहीं दी जाती है या जहाँ पर आर्थिक अपराध करने वालों का बोलबाला रहता हो।
ऐसे में ED के अधिकारियों के द्वारा उन लोगों को भी यूँ ही नहीं छोड़ दिया जाता है। बल्कि अपने को मिले अधिकारों के तहत ED के अधिकारी उस व्यक्ति की भारत में उपलब्ध सभी तरह की संपत्ति व अन्य चीज़ों को जब्त कर लेती है और उन्हें नीलाम कर देती है। इसी के साथ ही विदेश की सरकार व अधिकारियों पर उसे भारत को सौंपने का दबाव डाला जाता है और वहां पर कानूनी लड़ाई लड़ी जाती है।
ED के अधिकार (ED ke adhikar)
अब आपको ED को मिले तरह तरह के अधिकारों के बारे में सक्षेप में या आमजन की समझ में आ सकने वाली भाषा में जान लेने (ED kya kam karti hai) चाहिए। तो ED को कई तरह के अधिकार दिए गए हैं जो उसे ऊपर बताये गए नियमों के तहत कार्यवाही करने का अधिकार देती है। यह अधिकार इस प्रकार हैं:
- ED को जिस किसी पर भी शक है या जिसके विरुद्ध भी शिकायत आयी है या उसे किसी चीज़ में गड़बड़ी लगती है, वह उस व्यक्ति के आवास या उससे संबंधित सभी तरह के आवास व कार्यालयों में एक साथ या एक एक करके छापा मार सकती है और वो भी बिना किसी को सूचित (ED kya kaam karti hai) किये।
- ED को किसी व्यक्ति के यहाँ छापा मारने के लिए या वहां पर कार्यवाही करने के लिए न्यायालय की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनके खुद के न्यायालय होते हैं।
- ED के द्वारा किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने के लिए भी न्यायालय के आदेश की आवश्यकता नहीं है और वह स्वयं के विवेक के आधार पर उसे हिरासत में ले सकती (ED kya karta hai) है।
- ED को किसी आर्थिक अपराधी की संपत्ति को कुर्क कर उसे नीलाम करने या उस पर अपना स्वामित्व करने की पूरी छूट है।
- ED के द्वारा किसी व्यक्ति पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है या फिर उसके यहाँ से जब्त की गयी पूरी धन संपदा को अपने कब्जाधिकार में ले लिया जाता है।
- प्रवर्तन निदेशालय किसी व्यक्ति पर निर्णय भी सुना सकता है और उसके निर्णय को किसी भी जिला न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। संबंधित व्यक्ति को उस आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय जाना पड़ता (ED kya karti hai) है।
- ED भारत सरकार की अन्य केंद्रीय एजेंसियों जैसे कि सीबीआई व NIA के साथ मिलकर भी कार्यवाही कर सकती है क्योंकि उन्हें भी साथ में लेकर जल्दी और त्वरित कार्यवाही होती है।
इस तरह से भारत सरकार ने ED को समय समय पर कई तरह के अधिकार प्रदान किये हैं और उन्हें बढ़ाया भी जा रहा है। यदि हमें जल्द से जल्द काले धन पर अंकुश लगाना है और देश के भ्रष्ट लोगों पर कार्यवाही करनी है तो उसके लिए ED को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए जाने की आवश्यकता है।
ED क्या है – Related FAQs
प्रश्न: ईडी का क्या मतलब?
उत्तर: ईडी का मतलब प्रवर्तन निदेशालय होता है।
प्रश्न: ED का क्या काम है?
उत्तर: देशभर में कालाबाजारी, धन का दुरुपयोग, अनैतिक तरीकों से धन को कमाना इत्यादि काम हो रहे हैं तो उसमें ED के द्वारा जांच की जाती है और उचित कार्यवाही की जाती है।
प्रश्न: ED की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर: ED की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग द्वारा की जाती है।
प्रश्न: ED की जांच क्या है?
उत्तर: आर्थिक अपराध के मामलों से जुड़े क्षेत्र में ED ही अपनी जांच आगे बढ़ाती है।
प्रश्न: ED के प्रमुख कौन है?
उत्तर: ED के प्रमुख या प्रधान राहुल नवीन जी हैं।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने ED के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि ED क्या है इसकी फुल फॉर्म क्या है ED किसके अंतर्गत काम करती है इसके अधिनियम क्या है और ED के अधिकार क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी।