फॉर्म 17सी क्या है? फॉर्म 17सी क्यों महत्वपूर्ण है? फॉर्म 17सी इन दिनों चर्चा में क्यों है?

देशभर में लोकसभा चुनाव 2024 की लहर है। प्रचंड गर्मी की वजह से वोट देने के लिए लोग बेशक कब निकल रहे हैं, लेकिन उनमें यह जानने की बड़ी उत्सुकता है कि 2024 का चुनाव कौन जीतने जा रहा है। इस बीच विपक्ष ने फॉर्म 17सी का मुद्दा बड़े जोर-शोर से उठाया है।

क्या आप जानते हैं कि यह फॉर्म 17सी क्या है? यदि नहीं तो आज बिल्कुल सही जगह पर है और जिस पोस्ट में हम आपको फॉर्म 17सी के संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे और आपको बताएंगे कि फॉर्म 17सी क्या है? फॉर्म 17सी क्यों महत्वपूर्ण है? फॉर्म 17सी इन दिनों चर्चा में क्यों है? आइए, शुरू करते हैं-

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फॉर्म 17सी क्या है? (What is form 17c)?

दोस्तों, आइए सबसे पहले यह जान लेते हैं कि फॉर्म 17सी क्या होता है? आपको बता दें कि फॉर्म 17सी में देश भर में बनाए गए मतदान केंद्रों पर डाले गए वोटों का रिकार्ड (record of votes) होता है। यह व्यवस्था चुनाव संचालन नियम-1961 के अंतर्गत की गई थी।

फॉर्म 17सी क्या है

फार्म 17c में कौन-कौन सा डाटा दर्ज किया जाता है? (What data is recorded in form 17c?)

दोस्तों, आइए अब यह जान लेते हैं कि फॉर्म 17c में कौन-कौन सा डाटा दर्ज किया जाता है। यह इस प्रकार से है-

फॉर्म 17सी का प्रथम भाग –

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि फॉर्म 17सी दो हिस्सों में भरा जाता है। इसके प्रथम भाग में जो जानकारी दी जाती है वह इस प्रकार से है-

  • मतदान केंद्र का कोड नंबर (code number)।
  • मतदान केंद्र का नाम (name)।
  • मतदाताओं की संख्या (फॉर्म 17ए)।
  • ऐसे मतदाताओं की संख्या, जिन्होंने मतदान न करने का फैसला लिया।
  • ऐसे मतदाताओं की संख्या, जिन्हें मतदान करने की इजाजत नहीं दी गई।
  • दर्ज किए गए वोटों की संख्या। (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम का डाटा)।
  • खारिज किए गए वोटों (rejected votes) की संख्या। वोटों को खारिज किए जाने के पीछे के कारण।
  • स्वीकार किए गए वोटों (accepted votes) की संख्या।
  • डाक मतपत्रों यानी पोस्टल बैलेट (postal ballot) का डाटा।

फॉर्म 17सी का दूसरा भाग-

दोस्तों, फॉर्म 17सी का दूसरा भाग बेहद अहम है। यह काउंटिंग (counting) यानी मतगणना के दिन दर्ज किया जाता है। इसमें प्रत्येक उम्मीदवार के लिए वोटों का रिकार्ड होता है। यूं कह लीजिए कि इसमें उम्मीदवार का नाम (name of candidate) एवं उसमें प्राप्त वोट की जानकारी होती है। दोस्तों जान लीजिए कि इसी से पता चलता है कि संबंधित बूथ पर गिने गए कुल वोट उसमें डाले गए कुल वोटों के समान हैं अथवा नहीं।

फॉर्म 17सी में डाटा किसके द्वारा दर्ज किया जाता है? (By whom the data is recorded in form 17c?)

दोस्तों, अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि फॉर्म 17सी में डाटा किसके द्वारा दर्ज किया जाता है? तो आपको जानकारी दे दें कि फार्म 17सी में बूथ एवं उम्मीदवार संबंधित संपूर्ण डाटा (data) संबंधित मतदान अधिकारियों द्वारा दर्ज किया जाता है। इसके पश्चात संबंधित बूथ के पीठासीन अधिकारी द्वारा इस डाटा को जांचा जाता है।

इसके पश्चात काउंटिंग वाले दिन फार्म 17सी के दूसरे भाग में डाटा मतगणना केंद्र counting (centre) के पर्यवेक्षक (observer) द्वारा दर्ज किया जाता है। इतना करने के पश्चात प्रत्येक उम्मीदवार (या उनके प्रतिनिधि) द्वारा फॉर्म पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं। फिर इसे रिटर्निंग अधिकारी (returning officer) द्वारा जांचा जाता है। यह सारी कार्रवाई इसलिए की जाती है, ताकि गड़-बड़ी की कोई भी गुंजाइश न रहे।

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फॉर्म 17सी महत्वपूर्ण क्यों है? (What is the importance of form 17c?)

दोस्तों, अब फॉर्म 17सी की महत्ता पर बात कर लेते हैं। यह तो आप जानते ही हैं कि बहुत सी चुनाव के दौरान वोटो में हेर-फेर के आरोप लगाती हैं। ऐसे में फार्म 17सी के जरिए यह जांचना संभव हो जाता है कि क्या किसी भी पार्टी द्वारा वोटों में हेर-फेर किया गया है? फॉर्म 17सी के वोटिंग डाटा का इस्तेमाल चुनाव परिणाम को कानूनी रूप से चुनौती देने के लिए भी किया जा सकता है।

दोस्तों, ऐसी स्थिति में जहां पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं, ऐसे में फॉर्म 17सी का डाटा चुनावी धोखाधड़ी को रोकने में मददगार बन सकता है।

इन दिनों फॉर्म 17सी चर्चा में क्यों है? (Why form 17c is in news these days?)

दोस्तों, इन दिनों देश भर में फॉर्म 17सी को लेकर बहुत चर्चा चल रही है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है? यदि नहीं जानते तो हम आपको बताते हैं। दरअसल, एक गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (association for democratic reforms) यानी एडीआर (ADR) की ओर से सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में एक याचिका दायर की गई थी।

इस याचिका में वोटिंग के 48 घंटे के भीतर लोकसभा चुनाव-2024 में डाले गए वोटों की संख्या सहित सभी मतदान केंद्रों पर मतदान का अंतिम प्रमाणित डाटा (voting’s last certified data) पब्लिक डोमेन (public domain) में डालने की मांग की गई थी। चुनाव आयोग द्वारा मतदान का अंतिम आंकड़ा अपनी वेबसाइट (website) पर फॉर्म 17सी की स्कैन प्रतियों (scanned copies) के साथ जारी करने की मांग उठाई गई थी।

वहीं, चुनाव आयोग द्वारा एडीआर की ओर से दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज करने की मांग की गई कि कुछ निहित स्वार्थों के चलते आयोग के कामकाज को बदनाम करने के लिए उस पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। उसके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके कहा गया कि वेबसाइट पर फॉर्म 17सी अपलोड करने से इसमें शरारत हो सकती है।

डाटा इमेज (data image) से छेड़छाड़ हो सकती है। किसी भी चुनावी मुकाबले में जीत-हार का अंतर बहुत कम हो सकता है। ऐसे मामलों में फॉर्म 17सी को सार्वजनिक करने से वोटरों के मन में डाले गए कुल वोटों के संबंध में भ्रम पैदा हो सकता है। क्योंकि बाद के आंकड़े में फॉर्म 17सी के अनुसार डाले गए वोटों के साथ-साथ पोस्टल बैलेट के माध्यम से मिले वोटों की गणना भी शामिल होगी।

विपक्ष द्वारा फॉर्म 17सी जारी किए जाने की मांग क्यों उठाई जा रही है? (Why the opposition is demanding to issue form 17c?)

दोस्तों, अब आप यह सोच रहे होंगे कि विपक्ष (opposition) द्वारा आखिर फॉर्म 17सी को जारी किए जाने की मांग क्यों उठाई जा रही है? ऐसी क्या स्थिति पैदा हुई है? तो दोस्तों आपको बता दें कि चुनाव आयोग (election commission) द्वारा पहले और दूसरे चरण के मतदान के आंकड़े देरी से जारी करने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है।

दरअसल, चुनाव आयोग द्वारा पहले चरण (first phase) का डाटा जारी करने में 10 दिन का विलंब हुआ। इसके पश्चात अगले तीन चरणों के डाटा चार-चार दिन की देरी से जारी किए गए। वहीं, पांचवें चरण का डाटा मतदान के तीन दिन बाद जारी हुआ। इस पर विपक्ष के नेताओं द्वारा चुनाव आयोग से इस डाटा को मतदान के 48 घंटे के भीतर जारी करने की मांग की जा रही है।

वोटिंग के रियल टाइम और अंतिम आंकड़े में बढ़ोतरी को लेकर विभिन्न पार्टियों द्वारा आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं। दावा किया कि मतदान के दिन के इनमें भारी अंतर का मुद्दा उठाया जा रहा है। बताते हैं कि यह अंतर 1.07 करोड़ का है, जो अब तक कभी नहीं हुआ। उनका सवाल है कि ऐसा कैसे हो सकता है।

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फॉर्म 17सी क्या है?

फॉर्म 17सी में देश भर में बनाए गए मतदान केंद्रों पर डाले गए वोटों का रिकार्ड होता है।

फॉर्म 17सी की व्यवस्था किस नियम के अंतर्गत की गई है?

इस फॉर्म की व्यवस्था चुनाव संचालन नियम -1961 के अंतर्गत की गई है।

फॉर्म 17सी में कौन-कौन सा डाटा दर्ज किया जाता है?

फॉर्म 17सी में दर्ज किए जाने वाले डाटा की सारी जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से दी है। आप वहां से देख सकते हैं।

फॉर्म 17सी से क्या फायदा होता है?

इससे विभिन्न पार्टियों द्वारा वोटों के हेर-फेर से बचा जा सकता है। क्योंकि इसमें वोटिंग से लेकर मतगणना तक का सारा डाटा दर्ज होता है।

क्या फॉर्म 17 सी के डाटा का इस्तेमाल चुनाव नतीजे को कानूनी चुनौती देने में किया जा सकता है?

जी हां। ऐसा किया जा सकता है।

क्या फॉर्म 17सी का डाटा चुनावी धोखाधड़ी को रोकने में मददगार बन सकता है?

जी हां। फॉर्म 17सी का डाटा चुनावी धोखाधड़ी को रोकने में मददगार बन सकता है?

फॉर्म 17सी का कौन सा भाग मतगणना वाले दिन भरा जाता है?

फॉर्म 17सी का दूसरा भाग मतगणना वाले दिन भरा जाता है।

उम्मीदवार की उपस्थिति ना होने पर फॉर्म 17सी पर किसके हस्ताक्षर कराए जाते हैं?

उम्मीदवार की उपस्थिति ना होने पर फॉर्म 17सी पर उसके प्रतिनिधि के हस्ताक्षर कराए जाते हैं।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको जानकारी दी कि फॉर्म 17सी क्या है? फॉर्म 17सी क्यों महत्वपूर्ण है? फॉर्म 17सी इन दिनों चर्चा में क्यों है? आदि। उम्मीद करते हैं कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट पाने के लिए आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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