जेएन.1 क्या है? यह आजकल चर्चा में क्यों है? इसे लेकर भारत में एडवाइजरी जारी क्यों की गई है? इससे कैसे बचें?

सन् 2019 बीमारी की दृष्टि से पूरे विश्व के लिए हाहाकार रहा है। इसके बाद से फैले कोरोना ने हर एक देश की कमर तोड़ कर रख दी। चीन से निकले कोरोना वायरस का व्यापक और डरावना असर रहा है। यह लगातार रूप बदलकर नए-नए सब वेरिएंट के नाम से लोगों की परीक्षा ले रहा है।

अब जेएन.1 की चर्चा है। क्या आप जानते हैं कि यह जेएन.1 क्या है? यह आजकल चर्चा में क्यों है? इसे लेकर भारत में एडवाइजरी जारी क्यों की गई है? इससे कैसे बचें? तो आज की यह पोस्ट ध्यान से पढ़ें। हम आपको इन सब सवालों के विस्तार से जवाब देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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जेएन.1 क्या है? (What is JN.1)

दोस्तों, आपको बता दें कि जेएन.1 कोरोना (corona) के ही एक वेरिएंट ओमिक्रोन (omicron) का सब वेरिएंट (sub variant) है। यह ओमिक्रोन के सब वेरिएंट BA.2.86 से बना है। दोस्तों, आपको याद ही होगा कि BA.2.86 वेरिएंट ही दुनिया भर में सन् 2022 के आरंभ के समय तेजी से फैला था।

मित्रों, यद्यपि यह कोरोना (corona) जैसी महामारी का रूप लेगा इसमें अभी संदेह है। लेकिन केंद्र सरकार (Central government) द्वारा विभिन्न राज्यों को सतर्कता भारत के लिए एडवाइजरी (advisory) जारी की गई है। इस के मामलों पर नजर रखने के साथ ही इंफ्लूएंजा (influenza) आदि की मॉनिटरिंग (monitoring) की सलाह दी गई है।

जेएन.1 के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms of JN.1)

आइए, अब जेएन.1 के लक्षणों के बारे में जान लेते हैं। दोस्तों, इसके लक्षण ठीक वैसे ही हैं जैसे कोरोना के लक्षण रहे हैं। यानी कि सामान्य फ्लू (general flu) जैसे। लिहाजा, बीमारी का पहले से कुछ भी अंदाजा लगाया जा सकना संभव नहीं हो पाता। जैसे –

  • बुखार।
  • ज़ुकाम।
  • गले में दर्द या खराश।
  • सिर दर्द।
  • अत्यधिक थकान।
  • मांसपेशियों में कमजोरी या दर्द।
  • कई केसों में पेट से संबंधित समस्याएं जैसे -दस्त आदि।

क्या जेएन. सब वेरिएंट 1 बेहद खतरनाक है? (Is JN.1 sub variant very dangerous?)

दोस्तों, शुरू में जीएन.1 को लेकर लोगों द्वारा आशंका जताई जा रही थी कि यह बहुत खतरनाक है। लेकिन बहुत सारे विशेषज्ञों ने साफ किया है कि जिस प्रकार ओमिक्रोन कोरोना के दूसरे वेरिएंट्स की तुलना में हल्का एवं बहुत घातक नहीं रहा है, इसी प्रकार जेएन.1 का व्यवहार भी ओमिक्रोन जैसा रह सकता है। लिहाजा, अभी इसे बहुत घातक की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।

इसके बावजूद सतर्क रहने की आवश्यकता इसलिए अधिक है, क्योंकि प्रत्येक नए वेरिएंट में अधिक संक्रमण फैलाने के तत्व/गुण होते हैं। यह स्ट्रेन हमारे सिस्टम में पहले से मौजूद एंटीबॉडी की वजह से अधिक प्रभाव बेशक न डाल सके, लेकिन असावधानी लोगों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। यह जानलेवा (injurious to life) भी हो सकती है। लिहाजा, इस सब वेरिएंट (variant) को लेकर लोगों को सावधानी बरतने या अलर्ट (alert) रहने की जरूरत होगी ही।

जेएन.1 से कैसे बचें? (How to be safe from JN.1?)

अब सवाल उठता है कि जेएन.1 नाम के इस ओमिक्रोन के वेरिएंट (sub variant) से कैसे बचें? तो दोस्तों आपको बता दें कि इसके संक्रमण से बचने के लिए आपको वही कदम उठाने पड़ेंगे, जो कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए उठाने पड़ते थे। विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अपने नागरिकों के लिए जो एडवाइजरी (advisory) जेएन.1 से बचने के लिए जारी की गई है, उसमें भी इन कदमों का जिक्र किया गया है। एक नजर में ये इस प्रकार से हैं-

  • जहां तक संभव हो, अधिक भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
  • शादी-पार्टियों आदि में जाना avoid करें।
  • घर से निकलने से पहले ही मास्क (Mask) को आवश्यक रूप से पहन लें।
  • अपने हाथों को सैनिटाइजर (sanitizer) से धोएं।
  • बुखार, जुकाम आदि के शिकार व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
  • सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन करें।
  • ऐसा खान-पान लें, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी (immunity) को बढ़ाएं।

किस उम्र के लोगों को जेएन.1 से अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है? (People of which age need to be more alert from JN.1?)

मित्रों, आपको बता दें कि जे एन.1 से बचने के लिए बुजुर्ग लोगों को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। विशेषकर ऐसे लोगों को, जो 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। दरअसल, इस उम्र तक पहुंचते पहुंचते लोगों की इम्युनिटी (immunity) काम हो जाती है। लिहाजा, वायरस (virus) के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।

जेएन.1 की आशंका को लेकर आपको टेस्ट कराने की आवश्यकता कब है? (when you need to test if JN.1 is suspected?)

मित्रों, जैसा कि हमने आपको ऊपर पोस्ट में जेएन.1 के लक्षणों के बारे में बताया, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन लक्षणों के दृष्टिगोचर होते ही आपको कोरोना यानी कोविड टेस्ट (COVID test) की आवश्यकता होगी? तो आपको बता दें कि यदि ऊपर बताए गए लक्षण दो दिन से अधिक समय तक बने हुए हैं तो ही कोविड टेस्ट कराने की आवश्यकता होगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) यानी डब्ल्यूएचओ(WHO) के द्वारा भी नागरिकों को इस वायरस के प्रति सतर्कता बरतने एवं इसे सामान्य सर्दी के रूप में न लेने को लेकर आगाह किया गया है। उसके द्वारा कहा गया है कि यदि यदि कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हैं और उसके भीतर लंबे समय उपरोक्त लक्षण (symptoms) देखे जा रहे हैं, तो निश्चित रूप से यह सामान्य सर्दी (cold), जुकाम (bad cold) नहीं ही है।

क्या इस सब वेरिएंट से मुकाबले के लिए कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लेने की आवश्यकता होगी? (Will anyone need to have booster dose of corona vaccine to fight this sub variant?)

दोस्तों, आपको बता दें कि बहुत से लोगों के मन में यह सवाल भी चल रहा है कि क्या जेएन.1 नाम के इस ओमिक्रोन (omicron) के सब वेरिएंट (sub variant) से मुकाबले के लिए उन्हें कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की बूस्टर डोज (booster dose) लेनी होगी? तो दोस्तों आपको बता दें कि फिलहाल विशेषज्ञों द्वारा इसकी संभावना से इंकार किया गया है।

उनके द्वारा फिलहाल इस सब वेरिएंट को लेकर सतर्कता बरतने की ही सलाह दी जा रही है। उनके अनुसार जेएन.1 ओमिक्रोन का सब वेरिएंट (sub variant) है, लिहाजा अभी यह मानकर चला जा रहा है कि ओमिक्रोन (omicron) के खिलाफ बनाई गई वैक्सीन (vaccine) इस वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी होगी।

नए वर्ष पर ओमिक्रोन के इस सब वेरिएंट को लेकर अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता क्यों है? (Why it needs to be more alert from this sub variant of omicron during new year?)

दोस्तों, आप जानते ही हैं कि नया साल दस्तक दे रहा है दुनिया भर में तमाम जगहों पर नए साल के स्वागत के लिए न्यू ईयर पार्टी (new year party) आदि आयोजनों की तैयारी चल रही है। लोग अपने दोस्तों एवं परिजनों के साथ नया साल मनाने अलग-अलग जगहों के लिए रवाना होने की तैयारी में हैं। इस भीड़-भाड़ भरे आयोजन को देखते हुए नए साल पर इस वेरिएंट (variant) के फैलाव को लेकर अधिक सतर्कता बरते जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार इस सब वैरिएंट में एक अतिरिक्त म्यूटेशन (extra mutation) है। यही वजह है कि यह तेजी से फैल रहा है। यह किसी भी व्यक्ति की इम्यूनिटी को धता बताते हुए उसे आसानी से संक्रमित कर सकता है। ऐसे में नए साल पर भीड़-भाड़ के कारण वायरस फैलने का खतरा बढ़ सकता है, जिसे देखते हुए अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।

जेएन.1 क्या है?

यह कोरोना के ही एक वेरिएंट ओमिक्रोन का सब वेरिएंट है।

क्या यह सब वेरिएंट घातक है?

अभी तक ऐसा मान कर नहीं चला जा रहा है। लेकिन लोगों को आवश्यक रूप से सतर्क रहने को कहा गया है।

जेएन.1 के क्या क्या लक्षण हैं?

इसके लक्षण भी बेहद साधारण हैं। जैसे- बुखार, सर्दी- जुकाम, सिर दर्द, गले में दर्द या खराश, अत्यधिक थकान, शरीर में दर्द आदि।

क्या लक्षणों के दिखाने के तुरंत बाद को भी टेस्ट की आवश्यकता है?

जी नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।लेकिन यदि किसी व्यक्ति में बताए गए लक्षण दो दिन से अधिक तक बने रहते हैं, तो संबंधित व्यक्ति को कोविड टेस्ट कराने की आवश्यकता होगी।

किस उम्र के व्यक्तियों के जेएन.1 से संक्रमित होने की अधिक आशंका है?

60 वर्ष से अधिक वय वाले व्यक्तियों के इससे संक्रमित होने की अधिक आशंका जताई गई है।

क्या जेएन.1 के संक्रमण से बचने के लिए कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज की आवश्यकता होगी?

फिलहाल इसकी संभावना कम है।

जेएन.1 के संक्रमण से बचने के क्या उपाय हैं?

इसके लिए आपको कोविड एडवाइजरी का ही पालन करना होगा। जैसे -भीड़ भरे इलाकों में न जाएं, मास्क पहन कर‌ ही घर से निकलें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, सेनेटाइजर से हाथ धोएं, बीमारी के लक्षण से प्रभावित लोगों के संपर्क में आने से बचें, आदि।

मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको जेएन.1 के बारे में जानकारी दी। जागरूकता के मद्देनजर इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करना न भूलें। आपका कोई भी सवाल आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके पूछ सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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