ल्यूकेमिया क्या है? इसके क्या लक्षण हैं? यह कितना ख़तरनाक है? इससे बचाव एवं उपचार के क्या उपाय हैं? (What is lukemia? What are its symptoms? How much dangerous It is? What are the remedial measures?)
भारत की ओर से ऑस्कर पुरस्कार के लिए एक गुजराती फिल्म ‘द छैल्लो शो’ को ऑफिशल एंट्री के रूप में भेजा गया है। लेकिन 2 अक्टूबर 2022 को इसके मुख्य पात्र 10 वर्षीय बाल कलाकार राहुल कोली की मौत हो गई। बताया जाता है कि कोली की जान ल्यूकेमिया की वजह से गई। इसके बाद से ल्यूकेमिया को लेकर बहुत अधिक चर्चा है।
हर कोई जानना चाहता है कि यह ल्यूकेमिया क्या है? इसके क्या लक्षण हैं? यह कितना ख़तरनाक है? इससे बचाव एवं उपचार के क्या उपाय हैं? आदि। यदि आप भी ऐसे ही लोगों में है तो आज हम आपको इस पोस्ट में ल्यूकेमिया के बारे में सारी जानकारी विस्तार से देंगे। आपको बस इस पोस्ट को शुरू से अंत तक पढ़ते जाना है। आइए शुरू करते हैं-
ल्यूकेमिया क्या है? (What is lukemia?)
मित्रों, सबसे पहले जान लेते हैं कि ल्यूकेमिया क्या है? (What is lukemia?) साथियों, साधारण शब्दों में ल्यूकेमिया को खून का कैंसर भी कहा जाता है। यह बोन मैरो यानी हड्डी के अंदर जहां खून बनता है, में होने वाला कैंसर है। मित्रों, विशेष यह है कि यह बच्चों एवं किशोरों में पाया जाने वाला सबसे आम तरह का कैंसर है। यदि भारत की बात करें तो भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 12 हजार से भी अधिक बच्चे ल्यूकेमिया कै शिकार हो जाते हैं।
ल्यूकेमिया कैसे होता है? (How lukemia happens to a person?)
साथियों, आइए अब उस कारण को जान लेते हैं, जिसकी वजह से ल्यूकेमिया यानी खून का कैंसर होता है। आपको बता दें कि यह बोन मैरो के ठीक से काम न करने पर होता है। बोन मैरो दरअसल हड्डी के अंदर का एक बेहद मुलायम स्थान होता है, जहां खून बनता है। यह एक खून की कोशिका यानी सेल्स फ़ैक्टरी (cells factory) की भांति होता है।
यहीं खून की तमाम कोशिकाओं का निर्माण होता है। इन्हें हेमेटोपोएटिक कोशिकाएं कहते हैं। यदि बोन मैरो ठीक से काम करती है तो ये खून बनाने वाली कोशिकाएं अंत में लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells), सफेद रक्त कोशिकाओं (white blood cells) व प्लेटलेट्स (platelates) में तब्दील हो जाती हैं।
ल्यूकेमिया से ग्रस्त मरीज में खून बनाने वाली कोशिकाएं ठीक से परिपक्व नहीं होतीं। खून में बहुत सारी अपरिपक्व कोशिकाएं कैंसर ग्रस्त हो जाती हैं। ऐसा होने पर खून अपना कार्य सही तरीके से नहीं कर पाता। दरअसल, लाल रक्त कोशिकाओं का कार्य शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाना होता है। एनीमिया यानी खून की कमी के कारण व्यक्ति बहुत अधिक थकने लगता है।
सफेद रक्त कोशिकाओं का कार्य संक्रमण और रोगों से लड़ना होता है। इनके अपरिपक्व रहने पर व्यक्ति बीमार पड़ जाता है। वहीं, प्लेटलेट्स खून का थक्का बनाने का काम करती हैं। इनके अपरिपक्व रहने पर व्यक्ति का खून आसानी से बहने लगता है और घाव होने लगते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग में शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं (white blood cells) की संख्या असामान्य (abnormal) रूप से बढ़ जाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जब सफेद रक्त कोशिकाओं के डीएनए (DNA) को क्षति पहुंचती है, तो ल्यूकेमिया बीमारी विकसित होती है। इस प्रकार ल्यूकेमिया ग्रस्त मरीज के बहुत अधिक समय तक रहने के चांस कम हो जाते हैं।
ल्यूकेमिया कितने प्रकार का होता है? (Lukemia is of how many types?)
मित्रों, आइए अब जान लेते हैं कि ल्यूकेमिया कितने प्रकार का होता है। आपको बता दें कि यह मुख्यत: दो प्रकार का होता है। पहला एक्यूट ल्यूकेमिया (accute lukemia) और दूसरा क्रॉनिक ल्यूकेमिया (chronic lukemia)। एक्यूट ल्यूकेमिया में रोग के लक्षण तेजी से विकसित होते हैं। ऐसे में बगैर इलाज यह रोग तेजी से बढ़ता है। वहीं, क्रॉनिक को पुराना रोग कहा जाता है। इस रोग लक्षणों में धीरे-धीरे वृद्धि होती है।
एक्यूट ल्यूकेमिया किनमें अधिक पाया जाता है? (Who suffers more from accute lukemia?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि एक्यूट ल्यूकेमिया (accute lukemia) अमूमन बच्चों में अधिक पाया जाता है। लक्षण तेजी से विकसित होने की वजह से तो ठीक से कराने का मौका भी नहीं मिलता। जैसा कि ‘द छेल्लो शो’ के पात्र राहुल कोली के संबंध में देखने को मिला। उनके पिता के अनुसार राहुल को लगातार बुखार आ रहा था। उनका बुखार नहीं टूट रहा था। उन्हें इसके बाद खून की उल्टियां हुईं और इसी बीच बाल कलाकार (child artist) की मौत हो गई।
ल्यूकेमिया के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms of lukemia?)
ल्यूकेमिया के बारे में सबसे आवश्यक है, इसके लक्षण की जानकारी होना। ऐसा होने पर इस रोग का इलाज वक्त से शुरू किया जा सकता है। ये लक्षण इस प्रकार से हैं-
- हड्डियों एवं जोड़ों में दर्द।
- लगातार बुखार।
- बार-बार संक्रमण का होना।
- कमजोरी रहना।
- थकान लगना।
- आसानी से खून बहना।
- घाव हो जाना।
ल्यूकेमिया की जांच कैसे की जा सकती है? (How it one can test that there is lukemia?)
अब आपको जानकारी देते हैं कि यदि किसी को इस बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे ल्यूकेमिया है कि नहीं, इसकी जांच (test of lukemia) कैसे की जा सकती है। इसका यह तरीका है-
- खून की जांच (blood test)
- शरीर की जांच (physical test)
- मेडिकल हिस्ट्री (medical history)
- बोन मैरो का एक टुकड़ा निकालना (bone marrow piece extraction)
- छाती का एक्स-रे (chest x-ray)
ल्यूकेमिया का क्या इलाज है? (What is the treatment of lukemia?)
दोस्तों, यदि टेस्ट में ल्यूकेमिया साबित होता है तो अब बात आती है इसके इलाज की। आपको बता दें कि ल्यूकेमिया यानी खून के कैंसर (blood cancer) का इलाज उसके प्रकार एवं risk group पर निर्भर करता है। आपको बता दें कि इसका सबसे आम इलाज कीमोथेरेपी (chemotherapy) है। इसके अतिरिक्त ल्यूकेमिया के अन्य इलाज इस प्रकार से हैं-
- इम्यूनोथेरेपी (immunotherapy)।
- हेमेटोपोएटिक (hamepoetic)।
- कोशिकाओं का ट्रांसप्लांट (cells transplant)। इसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट (bone marrow transplant) भी पुकारा जाता है।
रोगों से दूर रहने के लिए किस प्रकार का भोजन करें? (What type of diet one should take to keep away from sickness?)
दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि अधिकांश रोग सही एवं संतुलित भोजन न लेने एवं बाहरी खाने पर बहुत अधिक निर्भरता की वजह से होते हैं। यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो इसके लिए अच्छी डाइट लें। ऐसा भोजन लें, जिसमें सभी पोषक तत्त्व शामिल हों। जैसे- आप अपने भोजन में अधिक से अधिक फल और सब्जियां शामिल करें। प्रतिदिन कम से कम 2½ कप सब्जियों एवं फलों का सेवन करें। कोशिश करें कि आप जो भी भोजन करें, उसमें सब्जियां एवं फल शामिल हों।
इसके अलावा साबुत-अनाज का ब्रेड, पास्ता, जौ जई से बने अनाज पर अधिक फोकस करें। यदि आप चावल खाना चाहते हैं तो ब्राउन राइस खाएं। इसके अतिरिक्त अपने भोजन में प्रोटीन अवश्य शामिल करें, जैसे- अंडे, बीन्स और नट्स आदि। यदि आप मीट के शौकीन हैं तो लीन मीट, पोल्ट्री, सीफूड आदि लें सकते हैं।
यदि आप डायबिटीज अथवा किसी अन्य क्रोनिक बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपको डाक्टर के परामर्श के अनुसार ही भोजन लेना होगा। इसके साथ ही दवाओं का भी उचित समय से सेवन करें। ज्यादातर वह भोजन लें, जो आपकी रोगों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी को बढ़ाए।
बीमारी का लक्षण दिखने पर उसे नजर अंदाज न करें (don’t ignore the symptoms of any desease)
मित्रों, जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे देश की 70 फ़ीसदी आबादी गांवों में रहती है, ऐसे में वे लोग बीमारियों के प्रति बहुत जागरूक नहीं होते। जब रोग के लक्षण अचानक सामने आते हैं और तेजी से बढ़ते हैं तो वे एकदम से उसका इलाज नहीं करा पाते। नतीजा यह होता है कि अधिकांश लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं।
कई बार यह भी होता है कि लोग अपनी जिम्मेदारियों में इतने उलझ जाते हैं कि अपने शरीर से लापरवाह हो जाते हैं। किसी बीमारी का लक्षण दिखने पर भी उसे नजर अंदाज करते रहते हैं। यह एटीट्यूड एक दिन उनके लिए बड़ी समस्या बन जाता है। कई बार इलाज में यह देरी जानलेवा साबित होती है।
इसलिए एक बात गांठ बांध लें कि यदि लंबा और स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो अपने शरीर अथवा किसी बीमारी का लक्षण दिखने पर उसे नजर अंदाज न करें। डाक्टर से चेकअप करें व सही समय पर इलाज कराएं। इससे कई बार आप बीमारी के घातक होने से बच सकेंगे।
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ल्यूकेमिया क्या है?
यह बोन मैरो यानी हड्डी के अंदर जहां खून बनता है, में होने वाला कैंसर है।
साधारण शब्दों में ल्यूकेमिया को क्या पुकारा जाता है?
साधारण शब्दों में ल्यूकेमिया को खून का कैंसर या ब्लड कैंसर पुकारा जाता है।
ल्यूकेमिया कितने प्रकार का होता है?
ल्यूकेमिया मुख्यत: दो प्रकार का होता है – एक्यूट एवं क्रोनिक ल्यूकेमिया।
एक्यूट एवं क्रॉनिक ल्यूकेमिया में क्या अंतर है?
एक्यूट ल्यूकेमिया के लक्षण बड़ी तेजी से विकसित होते हैं, जबकि क्रॉनिक ल्यूकेमिया पुराना रोग होता है।
ल्यूकेमिया के क्या लक्षण होते हैं?
ल्यूकेमिया के क्या लक्षण हैं, इस संबंध में हमने आपको ऊपर पोस्ट में जानकारी दी है। आप वहां पढ़ सकते हैं।
इस रोग में सफेद रक्त कोशिकाओं का कौन सा रूप देखने को मिलता है?
इस रोग में सफेद रक्त कोशिकाओं में असामान्य रूप से वृद्धि देखने को मिलती है।
ल्यूकेमिया का सबसे प्रचलित इलाज क्या है?
ल्यूकेमिया का सबसे प्रचलित इलाज कीमोथेरेपी है।
मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको ल्यूकेमिया क्या है? इसके क्या लक्षण हैं? यह कितना ख़तरनाक है? इससे बचाव एवं उपचार के क्या उपाय हैं? आदि के संबंध में आवश्यक जानकारी दी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट आप हमसे चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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