निपाह वायरस क्या है? यह कैसे फैलता है? इससे बचाव कैसे करें?

|| निपाह वायरस क्या है? यह कैसे फैलता है? | इससे बचाव कैसे करें? | What is Nipah virus? How it spreads? How to prevent it? | निपाह वायरस संक्रमण का कोई इलाज है? | निपाह वायरस को लेकर लोगों में डर क्यों बना है? ||

ज्यादा समय नहीं बीता है, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस (कोविड-19) का दंश झेल रही थी। बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही थी। आज भी इसके नए-नए स्ट्रेन लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं। लेकिन अब एक नए तरह के वायरस के हमले से लोगों की जान को खतरा बढ़ रहा है।

भारत के केरल में भी इसके शुरुआती मामले सामने आए हैं, जो चिंता का सबब बने हुए हैं। इसे निपाह कहा जा रहा है। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी निपाह वायरस के संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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वायरस क्या होता है? (What is virus?)

मित्रों, इससे पूर्व कि हम निपाह वायरस पर बात करें, आइए सबसे पहले यह जान लेते हैं कि वायरस क्या होता है? (What is a virus?) दोस्तों, आपको बता दें कि वायरस को हिंदी में विषाणु भी पुकारा जाता है। एक संक्रामक सूक्ष्म जीव होता है। यह प्रोटीन (protein) आवरण से घिरे न्यूक्लिक एसिड (डीएनए अथवा आरएनए) के एक खंड से बना होता है।

निपाह वायरस क्या है यह कैसे फैलता है इससे बचाव कैसे करें

आपको बता दें कि एक वायरस अकेले अपनी प्रतिकृति तैयार नहीं कर सकता। लिहाजा, यह जैव कोशिकाओं को संक्रमित करता है और स्वयं की प्रतिकृति तैयार करने के लिए मेजबान कोशिका (host cells) के घटकों का उपयोग करता है। ऐसे में वायरस द्वारा कोशिकाओं का संक्रमण (infection of cells) मानव को कई रोगों का शिकार बनाता है।

निपाह वायरस क्या है? (What is Nipah virus?)

दोस्तों, अब निपाह वायरस पर आते हैं। आपको बता दें कि निपाह वायरस एक चमगादड़ (bat) जनित ज़ूनोटिक वायरस है। यह वायरस मनुष्यों एवं अन्य जानवरों में संक्रमण का कारण बनता है। यह एक उच्च मृत्यु दर (high mortality rate) वाली बीमारी है। यदि इस मृत्यु दर की बात करें तो वह लगभग 75% है आपको बता दें दोस्तों कि उत्तर पूर्वी अफ्रीका (north east Africa) और दक्षिण पूर्व एशिया (south east asia) में निपाह वायरस का बहुत अधिक प्रकोप देखने को मिला है।

निपाह वायरस कैसे फैलता है? (How Nipah virus spreads?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि आम तौर पर निपाह वायरस जानवरों अथवा दूषित भोजन के जरिए मनुष्यों में फैलता है। लेकिन अब इसके मनुष्य से मनुष्य में फैलने के मामले भी सामने आ रहे हैं, जो बेहद चिंता की बात है। दोस्तों, फल चमगादड़ यानी फ्रूट बैट (fruit bat) को इस वायरस का प्राकृतिक वाहक माना जाता है।

यह वायरस इंफेक्शन (virus infection) की चपेट में आने वाले चमगादड़ों, सूअरों के जरिए अथवा इंसान के जरिए दूसरे इंसानों में फैल जाता है। दोस्तों, यदि अन्य देशों में निपाह वायरस से संक्रमण की बात करें तो मलेशिया और सिंगापुर (Malaysia and Singapore) में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की बात सामने आई थी। वहीं, भारत एवं बांग्लादेश (India and Bangladesh) में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इससे संक्रमित होने का अधिक ख़तरा जताया जा रहा है।

निपाह वायरस संक्रमण के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms of Nipah virus infection?)

दोस्तों, यह तो आपको पता ही है कि प्रत्येक बीमारी के कुछ न कुछ लक्षण (symptom) अवश्य होते हैं, जिनके आधार पर उसे डायग्नोस (diagnos) किया जाता है। ऐसे में यदि निपाह के लक्षणों (symptoms of Nipah) की बात करें तो वे इस प्रकार से हैं-

  • 3 से 14 दिन तक तेज़ बुखार।
  • तेज सिरदर्द।
  • मांसपेशियों में खिंचाव व दर्द।
  • उल्टी।
  • गले में खराश।
  • सांस लेने में समस्या।
  • अन्य न्यूरोलॉजिकल (neurological )दिक्कतें।

दोस्तों, आपको बता दें कि इन प्रारंभिक लक्षणों (primary symptoms) के बाद मरीज सांस की गंभीर दिक्कत, इन्सेफिलाइटिस के दौरों का शिकार हो सकता है। यहां तक कि ये लक्षण 24 से 48 घंटे के भीतर मरीज़ को कोमा (coma) तक में पहुंचा सकते हैं।

दोस्तों, विशेष बात यह है कि निपाह वायरस के संक्रमण एवं लक्षण दिखने के बीच का समय चार से 14 दिनों तक अलग होता है और यह लगभग 45 दिनों तक बढ़ सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ज्यादातर लोग इंसेफिलाइटिस से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं केवल 20% ही ऐसे मरीज रह जाते हैं, जिन्हें न्यूरोलॉजिकल (neurological) दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

निपाह वायरस का मामला सबसे पहले कब और कहां सामने आया था? (When and where the the first case of Nipah virus was reported?)

साथियों, आपको जानकारी दे दें कि आज से करीब 25 वर्ष पूर्व सन् 1998-99 में मलेशिया (Malaysia) के कम्पंग सुंगाई निपाह में इस वायरस का पता चला था। आपको बता दें कि वहीं से इस वायरस को ये नाम निपाह भी दिया गया। उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर (pigs) थे। लेकिन इसके पश्चात जहां-जहां इस वायरस का संक्रमण हुआ, वहां इसके वाहकों का कुछ साफ पता नहीं लगाया जा सका।

यद्यपि आज से करीब 19 साल पहले सन् 2004 में बांग्लादेश (Bangladesh) में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए थे। यह ज्ञात हुआ कि इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले एक तरल (liquid) पदार्थ को चखा (test) था। बताया जाता है कि इस तरल पदार्थ तक वायरस को लेने जानी वाले चमगादड़ थे, जिन्हें फ्रूट बैट (fruit bat) कहा जाता है।

भारत में निपाह का मामला कहां सामने आया है? (Where the matter of Nipah has been reported in India?)

दोस्तों, यदि भारत की बात करें तो भारत में निपाह वायरस का मामला केरल से सामने आया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जहां गर्मी ज्यादा है और उमस रहती है, वहां इस निपाह वायरस के प्रसार की आशंका अधिक रहती है। फिलहाल, केरल सरकार (Kerala government) द्वारा निपाह वायरस संक्रमण को देखते हुए पूरी सावधानी बरती जा रही है। यहां निपाह वायरस के पांच मामलों की पुष्टि हुई है और सैकड़ो लोग इसके लक्षणों के चलते खौफ में हैं।

स्थिति को देखते हुए केरल सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों को 24 सितंबर 2024 तक बंद कर दिया गया है वहीं, केंद्र सरकार (Central government) की ओर से अन्य राज्यों के लिए भी निपाह संक्रमण को लेकर अलर्ट (alert) जारी किया गया है। लोगों से इसके लक्षणों (symptoms) को लेकर सावधानी (precautions) बरतने को कहा गया है.

क्या निपाह वायरस संक्रमण का कोई इलाज है? (Is there any treatment/remedy for Nipah virus infection?)

दोस्तों, निपाह वायरस संक्रमण को कोरोना वायरस (corona virus) से भी अधिक गंभीर बताई जा रहा है। इसकी वजह यह है कि इसके इलाज के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इससे बचने का केवल एक ही उपाय है और वह सावधानी है।

दोस्तों, आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा इस बीमारी को अपने रिसर्च एंड डेवलपमेंट ब्लू प्रिंट (research and development blueprint) में प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में चिह्नित किया गया है। इससे बचाव के लिए सतर्कता वाले यह कदम उठाए जा सकते हैं –

  • चमगादड़ के संपर्क में आने से यथासंभव बचें।
  • जिन स्थानों पर निपाह का संक्रमण बढ़ रहा है, वहां की यात्रा करने एवं लोगों के संपर्क में आने से यथासंभव बचें।
  • अपने हाथों को नियमित रूप से समय-समय पर धोते रहें।
  • फलों व सब्जियों को खाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें।
  • किसी भी जानवर का झूठा भोजन खाने से बचें।
  • यदि बीमारी से जुड़े लक्षण दिखे तो सीधे डॉक्टर से संपर्क करें।

निपाह वायरस को लेकर लोगों में डर क्यों बना है? (Why people are afraid of Nipah virus?)

दोस्तों, अब सवाल उठता है कि निपाह वायरस को लेकर लोगों में डर क्यों बना है? तो इसका कारण यह है कि इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा ई- बोला, जीका एवं कोरोना जैसी महामारियों की श्रेणी में रखा गया है। इस वायरस संक्रमण की उच्च मृत्यु दर (75 प्रतिशत तक) है। अभी तक इसकी कोई दवा या वैक्सीन (medicine or vaccine) तक नहीं। यही लोगों में इस वायरस संक्रमण को लेकर फैले डर की मुख्य वजह बनी हुई है।

वायरस को हिंदी में क्या पुकारा जाता है?

वायरस को हिंदी में विषाणु पुकारा जाता है।

निपाह वायरस क्या है?

निपाह वायरस एक चमगादड़ (bat) जनित ज़ूनोटिक वायरस है। यह वायरस मनुष्यों एवं अन्य जानवरों में संक्रमण का कारण बनता है। यह एक उच्च मृत्यु दर (high mortality rate) वाली बीमारी है।

निपाह को यह नाम कहां से मिला है?

निपाह को यह नाम मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से मिला था, जहां यह पहली बार 1998-99 में रिपोर्ट किया गया था।

भारत में वर्तमान में निपाह वायरस के मामले कहां मिले हैं?

भारत में वर्तमान में केरल में निपाह वायरस संक्रमण के मामले सामने आए हैं।

निपाह वायरस संक्रमण के क्या-क्या लक्षण हैं?

इसके प्राथमिक लक्षणों में 3 से 14 दिन तक बुखार, उल्टी, गले में खराश, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण शुमार हैं।

क्या निपाह वायरस संक्रमण का कोई इलाज दवा या वैक्सीन है?

जी नहीं, अभी तक इससे बचाव की कोई दवाई या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

निपाह वायरस संक्रमण से बचाव का तरीका क्या है?

इससे बचाव का तरीका केवल सावधानी अथवा सतर्कता बरतना ही है।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको निपाह वायरस (Nipah virus) के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि इससे आपके ज्ञान में बढ़ोतरी हुई होगी। यदि आप इसी प्रकार की ज्ञानवर्धक पोस्ट हमसे चाहते हैं तो इसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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