मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम – इंसान का शरीर एक मशीन की तरह कार्य करता है बल्कि मशीन से भी ज्यादा। जन्म से लेकर मृत्यु तक शरीर का प्रत्येक अंग बहुत ही महत्वपूर्ण है। एक बार की शारीरिक क्षति से भी हमें बहुत दर्द महसूस होता है यह कहना उचित होगा कि मां के गर्भ से ही हमारे अंग सही तरीके से कार्य करना प्रारंभ कर देते हैं। हमारे शरीर के मुख्य अंग जैसे किडनी, लीवर, कॉर्निया, मस्तिष्क, फेफड़े, छोटी एवं बड़ी आंते हैं। शरीर का हर अंग उचित तरीके से अपने कार्य को संपादित करते हैं और हमारे जीवन को सुरक्षित रखने का कार्य करते हैं।
हमें भी अपने अंगों का खास ख्याल रखना चाहिए क्योंकि इनके बिना हमारा जीवन असंभव है। कई बार ऐसा होता है कि हमें शारीरिक क्षति होने पर हमारे अंग खराब हो जाते है। कभी-कभी किसी दुर्घटनावश भी ऐसा हो जाता है। जब भी हम किसी बात से दुखी या परेशान होते हैं, ऐसे में भी हमारे अंगों को असर होने लगता है। डॉक्टर द्वारा भी हमें हमारा खुद का ख्याल रखने को कहा जाता है। कभी-कभी किसी वजह से शारीरिक विकृति होने पर अंग प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है इसके बाद जीवन सुचारू रूप से चलने की संभावना रहती है
अंग प्रत्यारोपण क्या है? What is organ transplant In Hindi?
अंग प्रत्यारोपण की सलाह तब दी जाती है, जब व्यक्ति के स्वस्थ होने की उम्मीद रहती है। अंग प्रत्यारोपण का मतलब किसी स्वस्थ शरीर से कार्यशील अंग को निकालकर रोगी के भीतर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। ऐसा तभी होता है, जब रोगी का अंग बुरे तरी तरह से खराब हो चुका हो। आज तक चिकित्सा जगत में जो अंग प्रत्यारोपित हुए हैं उनमें ह्रदय, यकृत, छोटी बड़ी आत, फेफड़े, कॉर्निया होते हैं। अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया जटिल व महंगी होती है। किसी दूसरे के शरीर से अंग को निकालकर रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित करना चुनौतीपूर्ण होता है।
अपने अंगों का दान कौन कर सकता है? Who can donate their organs?
अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया जटिल होने के साथ खर्चीली है जिसकी वजह से लोग इस मामले में स्वीकृति नहीं देते हैं। अंगदान करने के लिए उम्र की बाध्यता नहीं होती है चाहे तो कम उम्र के बच्चे भी अनुमति के साथ अंगदान का कार्य कर सकते हैं। किसी भी बीमारी के होने पर अंगदान करना थोड़ा संशय का विषय रहा है। एचआईवी, इनफेक्शन जैसे बीमारियों में दवाओं का उपयोग करने वाले भी अंतर्विरोध के अंतर्गत आते हैं।
अंग प्रत्यारोपण की समय सीमा – Organ transplant deadline
जब भी किसी अंग को प्रत्यारोपित किया जाता है, तो उसके बाद भी अंगों की समय सीमा निर्धारित होती है। प्रत्यारोपण होने के बाद अधिकतर रोगियों में जीने का प्रतिशत 5% ही होता है। इसी प्रकार पेंक्रियास 57% रोगी में 5 साल तक काम करते हैं। प्रत्यारोपित लीवर भी 70% रोगी में 5 साल तक या उससे ज्यादा भी काम कर सकता है। प्रत्यारोपित करने में 52% रोगी 5% कार्य कर सकते हैं प्रत्यारोपण के बाद भी ज्यादा दिन के जीवन में संशय बना रहता है
अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया – Organ transplant procedure
- अंग दान करना पुण्य का का माना जाता है। अंगदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है। दान करते समय व्यक्ति के पास दाता कार्ड आवश्यक रूप से होना चाहिए तथा परिवार द्वारा सूचित भी किया जाना चाहिए।
- अंगों के दान के अनुसरण के लिए प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत कार्य करना चाहिए। इस अधिनियम में ही कानूनी अधिकारों को अंगों को निकालने से पूर्व सूचित करने की आवश्यकता होती है। कानूनी औपचारिकता के साथ ही प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है।
अंग प्रत्यारोपण जैसे कार्य के लिए कुछ नियमों का होना जरूरी होता है। अंगों के प्रत्यारोपण से जिंदगी को खतरा बना रहता है। केंद्र सरकार नियमों में संशोधन किया है प्रत्यारोपण के लिए सभी जरूरी उपकरण का होना जरूरी है। ऐसे में उन्हें अस्पतालों को अंग प्रत्यारोपण का अधिकार होगा, जिनके पास क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया का सर्टिफिकेट होगा। ऐसे प्रत्यारोपण के लिए राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यानयन बोर्ड द्वारा भी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है। अंग प्रत्यारोपण करने का अधिकार सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर को ही मिल पाता है, जिन्हें मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के तहत मान्यता मिली हो।
सबसे पहले प्रत्यारोपण के लिए दोनों पक्षों का राज्य स्तरीय प्राधिकार समिति के समक्ष आवेदन करना होगा। अंग प्रत्यारोपण के लिए तीन प्रकार के फॉर्म होते हैं जिनमें पहला पति पत्नी, दूसरा किसी निकट के संबंधी और तीसरा किसी अन्य व्यक्ति दाता और प्राप्ति कर्ता द्वारा भरा जाता है। इन सभी फॉर्म पर फोटो लगाए जाना भी अनिवार्य होगा।
धोखाधड़ी से बचने के उपाय – Ways to avoid fraud
प्रत्येक व्यवसाय की तरह इसमें भी धोखाधड़ी हो सकती है। ऐसी समस्या ना उत्पन्न हो, इसके लिए विवाह प्रमाण पत्र, विवाह का फोटो, बच्चों की संख्या, आयु से संबंधित दस्तावेज प्राधिकार समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। इसके अतिरिक्त दान देने वाले या प्राप्तकर्ता को अगले 3 वर्ष के व्यवसाय व आय का ब्यौरा भी देना होगा। इसके बाद ही अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूर्ण हो सकती है।
अंगदान पर कानूनी स्थिति – Legal status on organ donation
अंग को प्रत्यारोपित करने पर एक नया जीवन मिल सकता है, तो ऐसे में कानून के तहत अंग प्रत्यारोपण और दान की अनुमति दी जाती है। प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के तहत कवर किया गया है इसके अंतर्गत मृतजीवी दाताओं द्वारा अंगों का दान दिया जा सकता है। 2011 नियमों में संशोधन किया गया, जिसमें मानव उतको को भी शामिल किया गया है। संशोधित हुए अधिनियम को और अंगों के प्रत्यारोपण अधिनियम 2011 कहा गया है।
अंग प्रत्यारोपण पंजीकरण कैसे करें? How to register for organ transplant?
किसी अंग को प्रत्यारोपित करने के पहले पंजीकरण करना आवश्यक माना जाता है। पंजीकरण करने के लिए सभी प्रकार की जानकारी का होना जरूरी है। अंग प्रत्यारोपण पंजीकरण में प्रत्यारोपण दाता अस्पतालों प्राप्त कर्ता और दाता के अनुवर्तन के विवरण आदि की जानकारी सभी पुनर्प्राप्ति और प्रत्यर्पण केंद्रों से आंकड़े एकत्र किए जाते हैं।
आंकड़ों को संग्रह वरीयता के आधार पर इंटरफ़ेस जमा हुए कागजातों के जरिए किया जाएगा। अस्पताल में किए गए कुल प्रत्यारोपण की कुल संख्या के साथ प्रत्यारोपण के उचित विवरण अपनी वेबसाइट पर अपडेट करेंगे। इन आंकड़ों को संकलन विश्लेषण तथा उपयोग के लिए संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार के अधिरथ व्यक्तियों द्वारा लिया जाता है।
पंजीकरण के लिए आवश्यक सामग्री – Materials required for registration
अंगदान पंजीकरण में भी दाता की संपूर्ण जानकारी को सहेज कर रखा जाता है। जिसमें जनसंख्या सूचना, अस्पताल, लंबाई, वजन, पेशा, मृत्युदाता के मामले में मृत्यु का प्राथमिक कारण, संबंधित बीमारी, ड्राइविंग लाइसेंस तथा अन्य दस्तावेज का होना अनिवार्य माना गया है।
अंग प्रत्यारोपण में समन्वयक की भूमिका – Coordinator’s role in organ transplantation
अंग प्रत्यारोपण की जटिल प्रक्रिया में समन्वयक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, जो कानून के दायरे में रहकर कार्य को अंजाम देते हैं। इसके लिए समन्वयक द्वारा परिवार से संपर्क किया जाता है। परिवार की सहमति पर नोडल अधिकारी को जानकारी दी जाती है, उसके बाद कर्मचारियों द्वारा रोगी को वेंटिलेटर पर रखने की जिम्मेदारी होती है। समन्वयक को यह सुनिश्चित करना होता है कि कागजी कार्यवाही सही तरीके से की गई है ताकि संपूर्ण प्रक्रिया को सही तरीके से संचालित किया जा सके।
अंग प्रत्यारोपण अधिनियम उद्देश्य – Organ transplant act objective
दोस्तों, अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया कानूनी रूप से होती है, जिसमें अधिनियम बनाया गया है जिसे मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 कहा गया है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मानव अंगों को निष्कासन, भंडारण को विनियमित करना है। साथ ही साथ मानव अंगों का दुरुपयोग और वाणिज्य प्रयोग को भी प्रतिबंधित करता है। इस अधिनियम के हिसाब से गैस संबंधी के अंग प्रत्यारोपण को गैरकानूनी घोषित किया गया है।
अंग प्रत्यारोपण के लिए अंगों का मिलान कैसे करतें हैं? How do organs match for organ transplant?
अंग प्रत्यारोपण को सही तरीके से करने के लिए कई प्रकार के चिकित्सा कारकों का मिलान करना होता है। इसके लिए रक्त समूह एक विशेष भूमिका निभाता है। इसके साथ ही साथ अंगों का आकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सभी अंगों के प्रत्यारोपण में गुर्दे का प्रत्यारोपण सबसे जटिल प्रक्रिया होती है। रोगियों की एक स्थानीय क्षेत्रीय रूप से बनी कंप्यूटरीकृत सूची होती है। कंप्यूटर द्वारा एक विशेष अंग के लिए रोगी का सर्वोत्तम मिलान किया जाता है, इस प्रक्रिया में उस रोगी को प्राथमिकता दी जाती है जिसे सबसे ज्यादा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। प्रतीक्षा सूची और अंग आवंटन प्रणाली का NOTTO द्वारा रखरखाव किया जाता है
प्रत्यारोपण करने से पहले फिटनेस की जांच होती है। यह भी हो सकता है कि प्रत्यारोपण के लिए दो या दो से अधिक रोगी को बुलाया जाए। इनमें से जो भी रोगी ज्यादा फिट होगा, उसी को प्रत्यारोपण का मौका पहले दिया जाएगा
अंग प्रत्यारोपण के लिए हेल्थ पॉलिसी – Health Policy for Organ Transplant
किसी भी अंग प्रत्यारोपण में लाखों रुपए खर्च होते हैं, जो कभी-कभी वहन करना मुश्किल हो जाता है। यदि अंग प्रत्यारोपित करने वाले व्यक्ति ने कोई हेल्थ पॉलिसी ले रखी हो, ऐसे में बहुत से खर्च कवर हो सकते हैं। इसके अंतर्गत अंग निकालने और लगाने का खर्च ऑर्गन डोनर कवरेज में शामिल होता है। पॉलिसी खरीदते वक्त ही संबंधित खर्चे का कवरेज देख लेना उचित होता है। ऐसा भी हो सकता है कि हॉक अमाउंट का सम एश्योर 10 से 15 पर्सेंट ही मिल जाए। इसके अलावा क्रिटिकल इलनेस पांलिसी भी ले सकते हैं, इसके अंतर्गत गंभीर बीमारी होने पर भी तय रकम मिल जाती है।
वीसीए क्या है? What is VCA?
अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में नए परिवर्तन देखे जाते हैं, इनमें से वीसीए तकनीक अपनाई जाती है जिसे “वेस्कुलराइज्ड कंपोजिट एलोगाफ्टस” कहते हैं। इसके अंतर्गत रक्त वाहिनी, मसल आते हैं। अमेरिका में भी वीसीए तकनीक अपनाई जाती है जिनका उपयोग चेहरे हाथ और बाहों में किया जाता है।
भारत में अंगदान के लिए संगठन – Organizations for organ donation in India
अगर अंगदान करने की इच्छा हो इसके लिए कई प्रकार के संगठन बने होते हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।
- शतायु
- उपहार एक जीवन
- गिफ्ट योर डोनेशन
- मोहन फाउंडेशन
इस मशीनी युग में नए अंग लगाने की होड़ में कुछ अकल्पनीय बदलाव हुए हैं। जिनके माध्यम से जीवन को बेहतर भी बनाया जा सकता है। प्रत्यारोपण से हर अंग को कार्यरत किया जा सकता है। प्रत्यारोपण में उपयोग किए गए दवाइयों से इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। आने वाले खतरों के लिए लोग तैयार नहीं होते। लोगों को अंग प्रत्यारोपण के लिए भी जागरूक रहने की आवश्यकता है इसके लिए अंगदान दिवस 13 अगस्त को मनाया जाता है। सभी सरकारी, गैर सरकारी संगठनों में लोगों को प्रेरित करने की आवश्यकता है। ऐसे समय में एक दूसरे का साथ बनाए रखना चाहिए जिससे मानवता जीवित रह सके।