क्यू -कॉलर क्या होता है? यह कैसे काम करता है? इन दिनों यह डिवाइस चर्चा में क्यों है?

यदि आप क्रिकेट देखते हैं तो यह जरूर जानते होंगे कि कई बार क्रिकेट का खेल बहुत ख़तरनाक साबित होता है। कई बार तब, जबकि गेंदबाज द्वारा फेंकी गई बॉल आपके शरीर के किसी नाजुक हिस्से को चोटिल कर दे। खासतौर पर आपके सिर अथवा गर्दन को। कई बार सिर में बॉल लगने से क्रिकेटरों की जान भी जा चुकी है। ऐसे में क्रिकेटर अब अपने सिर की सुरक्षा के लिए जहां हेलमेट पहनते हैं, वहीं गले में क्यू-कॉलर भी पहनकर खेलते देखे जा सकते हैं।

क्या आप जानते हैं कि यह क्यू-कॉलर क्या होता है? यह कैसे काम करता है? इन दिनों यह डिवाइस चर्चा में क्यों है? यदि नहीं तो आज की यह पोस्ट आपके ही लिए है। आज हम आपको क्यू-कॉलर के संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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क्यू-कॉलर क्या होता है? (What is Q-collar?)

दोस्तों, आपको बता दें कि क्यू-कॉलर (Q-collar) एक ऐसी डिवाइस (device) है, जो सिर पर चोट यानी हेड इंजरी (head injury) के दौरान मस्तिष्क (brain) में चोट से बचने में मदद करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह बैंड गले पर हल्का प्रेशर बनाकर मस्तिष्क की चोटों को रोकने का बेहद महत्वपूर्ण कार्य करता है‌।

क्यू कॉलर क्या होता है यह कैसे काम करता है

क्यू-कॉलर कैसे काम करता है? (How does Q-collar work?)

दोस्तों, आइए अब जान लेते हैं कि क्यू-कॉलर कैसे काम करता है। आपको बता दें कि यह क्यू-कॉलर गले की नसों पर हल्का दबाव यानी लाइट प्रेशर (light pressure) बनाता है। इससे स्कल (scull) में खून की मात्रा यानी ब्लड वॉल्यूम (blood volume) बढ़ जाता है। इससे मस्तिष्क स्थिर यानी स्टेबल (stable) रहता है और चोट के दौरान इसका मूवमेंट (movement) कम से कम होता है।

यह तो सभी जानते हैं कि चोट के वक्त सामान्यतः ब्रेन मूवमेंट (brain movement) की वजह से ही ब्रेन इंजरी (brain injury) होती है। तो साफ है कि यह डिवाइस ब्लड वॉल्यूम (blood volume) को बढ़ाकर ब्रेन इंजरी के चांस को घटा देती है। दोस्तों यह तो आप जानते ही हैं कि क्रिकेट के खेल में अक्सर पिच के अनियमित व असामान्य उछाल की वजह से कई बार बॉल के प्लेयर के सिर में लगने का खतरा रहता है।

यह डिवाइस सिर में बॉल यानी गेंद लगने की स्थिति में प्लेयर्स का बचाव करता है। जब भी कोई प्लेयर खेल के दौरान गिरता है या उसको बॉल लगती है तो यह क्यू कॉलर बैंड उस झटके को एब्जॉर्ब (absorb) कर लेता है। मस्तिष्क तक उसका असर कम होता है।

हाल ही में क्यू कॉलर क्यों चर्चा में रहा है? (Why Q-collar has been in news recently?)

दोस्तों, अब जान लेते हैं कि हाल ही में क्यू-कॉलर चर्चा में क्यों रहा है? मित्रों, यह तो आप जानते ही हैं कि वर्तमान में इंडियन प्रीमियर लीग (Indian premier league) यानी आईपीएल (IPL) का सीजन (season) चल रहा है। आईपीएल के ही एक मैच में पंजाब किंग्स (Punjab kings) की राजस्थान रॉयल्स (rajasthan royals) से भिड़ंत होनी थी। राजस्थान के ओपनर (opener) बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल (yashaswi jaiswal) टॉम कोहलर कैडमोर के साथ ओपन करने उतरे थे।

कैडमोर ने इस डिवाइस Q-collar को अपनी गर्दन में पहना हुआ था, जिसके बाद सभी की निगाह इस डिवाइस (device) पर गई। और हर कोई यह जानने के लिए आतुर हो गया कि आखिर है क्या है। दोस्तों, आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि कैडमोर ने इस डिवाइस को पहना है। इससे पहले वे इस डिवाइस को बिग बैश लीग (Big bash league) यानी बीबीएल (BBL) एवं द हंड्रेड (The Hundred) में भी पहन चुके हैं।

कैडमोर द्वारा इस डिवाइस का इस्तेमाल कब से शुरू किया गया? (When did Tom cadmor started to use this device?)

दोस्तों, आपको बता दें कि टॉम कोहलर कैडमोर इंग्लैंड (England) के विकेटकीपर बल्लेबाज (wicketkeeper batsman) हैं, जो समर सेट (summer set) के लिए भी खेलते हैं। दोस्तों, आपको शायद पता न हो कि आज से करीब 2 वर्ष पूर्व सन् 2022 में कैडमोर पोस्ट कॉन्कशन सिंड्रोम (syndrome) हुआ था। जिसके पश्चात उन्हें इस डिवाइस को पहने हुए देखा गया। उनकी इस डिवाइस को पहने हुए कई तस्वीरें सोशल मीडिया (social media) पर भी वायरल (viral) हुई थीं। इसके बाद फीफा वुमन वर्ल्ड कप (FIFA women world cup) के दौरान भी इस डिवाइस ने खासी चर्चा बटोरी थी।

इस डिवाइस का इस्तेमाल अधिकांशतः किसके द्वारा किया जाता है? (Mainly this device Q-collar is used by whom?)

दोस्तों, आपने बेशक क्रिकेटरों (cricketers) को इस डिवाइस के साथ बहुत कम खेलते देखा है, लेकिन आपको बता दे कि फुटबॉल प्लेयर्स (football players) के लिए यह डिवाइस बेहद आम है। खास तौर पर अमेरिकन फुटबॉल (American football), यूरोपीय फुटबॉल (European football), एनएफएल (NFL), रग्बी (rugby) आदि के प्लेयर्स खासतौर पर इस डिवाइस का इस्तेमाल खेल के दौरान करते हैं। यह डिवाइस उन्हें दिमाग की चोटों से बचाने में मदद करती है।

एक क्यू-कॉलर की कीमत कितनी है? (How much does a Q-collar cost?)

दोस्तों, आइए अब जान लेते हैं कि मस्तिष्क को चोटों से बचाने में कारगर माने जाने वाले एक क्यू-कॉलर की कीमत कितनी होती है। दोस्तों, बाजार में एक क्यू-कॉलर की कीमत 199 डॉलर यानी लगभग 16,600 रुपए पड़ती है। जान लीजिए कि इस डिवाइस का निर्माण Q-30 नाम की कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जिसकी वजह से इस डिवाइस को Q-collar का नाम दिया गया है।

दोस्तों, लगे हाथों आपको यह भी बता दे कि विभिन्न टूर्नामेंटों में Q-Collar के इस्तेमाल को लेकर अभी तक किसी प्रकार का कोई नियम या रूल (rule) नहीं बनाया गया है। लेकिन यह भी साफ माना जा सकता है कि यदि इस डिवाइस को लेकर कोई रूल बनाया जाए, तो निश्चित रूप से वह खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

क्यू-कॉलर की ईजाद किसके द्वारा की गई? (Who invented Q-collar?)

साथियों, अब आप सोच रहे होंगे कि क्यू-कॉलर को किसने ईजाद किया है? तो आपको बता दें दोस्तों कि इस डिवाइस की ईजाद अमेरिका के डॉक्टर डेविड स्मिथ द्वारा की गई। आपको आश्चर्य होगा कि एक पक्षी कठफोड़वा, जिसे अंग्रेजी में वुडपेकर (woodpecker) भी कहते हैं, का बॉडी मैकेनिज्म (body machanism) देखकर उन्हें यह आइडिया आया।

डॉक्टर स्मिथ ने देखा कि जब वुडपेकर अपनी चोंच से पेड़ में छेद करता है तो उसकी गर्दन सिकुड़ जाती है। ऐसी स्थिति में खून का फ्लो उसकी गर्दन में एकत्र हो जाता है। यही वजह है कि जब वुडपेकर की चोंच लगने वाला झटका उसके सिर तक नहीं पहुंचता। इससे प्रेरणा लेकर डॉक्टर स्मिथ ने क्यू-कॉलर का आविष्कार कर डाला।

क्या क्यू-कॉलर एक मेडिकल डिवाइस है? (Is Q-collar a medical device?)

दोस्तों, क्यू-कॉलर एक मेडिकल डिवाइस (medical device) है या नहीं, इस बात को लेकर डॉक्टरों का बहुत विरोध रहा है। उनका कहना था कि अभी तक सिर को बचाने के लिए हेलमेट (helmet) लगाने वाले खिलाड़ी इस डिवाइस (device) को पहनकर रिस्क (risk) लेकर खेलेंगे, जो कि उनके लिए घातक साबित हो सकता है। लेकिन आज से करीब तीन वर्ष पूर्व यानी सन् 2021 में अमेरिका (America) के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Food and drug administration) यानी एफडीए (FDA) द्वारा इस डिवाइस के इस्तेमाल को मंजूरी (approval) दे दी गई।

What is Q-collar In Hindi Related FaQ

क्यू-कॉलर क्या है?

यह एक ऐसी डिवाइस है, जो गले पर हल्का प्रेशर बनाकर मस्तिष्क की चोटों को रोकने का बेहद महत्वपूर्ण कार्य करती है‌।

क्यू-कॉलर कैसे काम करता है?

इसकी पूरी जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है। आप वहां से देख सकते हैं।

क्यू-कॉलर को किसके द्वारा मंजूरी दी गई है?

इसे अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा मंजूरी दी गई है।

इस डिवाइस का इस्तेमाल अधिकांशतः किसके द्वारा किया जाता है?

इस डिवाइस का इस्तेमाल अधिकांश तहत फुटबॉल एवं रग्बी प्लेयर्स द्वारा किया जाता है।

एक क्यू-कॉलर की बाजार में क्या कीमत है?

एक क्यू-कॉलर की बाजार में कीमत 199 डॉलर यानी करीब 16,600 रुपए है।

हाल ही में क्यू-कॉलर चर्चा में क्यों रहा है?

आईपीएल में पंजाब किंग्स व राजस्थान रॉयल्स के मैच में राजस्थान के खिलाड़ी टॉम कोहलर कैडमोर द्वारा क्यू-कॉलर पहने जाने के बाद से यह डिवाइस चर्चा में रही है।

कैडमोर द्वारा क्यू-कॉलर का इस्तेमाल कब से शुरू किया गया?

सन् 2022 में पोस्ट कॉन्कशन सिंड्रोम के पश्चात कैडमोर को क्यू-कॉलर पहने देखा गया। कैडमोर इंग्लैंड के विकेटकीपर बल्लेबाज हैं।

क्यू-कॉलर का आविष्कार किसके द्वारा किया गया?

अमेरिका के डॉक्टर डेविड स्मिथ द्वारा क्यू-कॉलर का आविष्कार किया गया।

किस पक्षी को देखकर डॉक्टर स्मिथ को क्यू-कॉलर के आविष्कार का आइडिया आया?

वुडपेकर यानी कठफोड़वा को देखकर डॉक्टर स्मिथ को क्यू-कॉलर के आविष्कार का आइडिया आया।

क्या क्यू-कॉलर के इस्तेमाल को लेकर किसी प्रकार का कोई नियम भी है?

जी नहीं। विभिन्न टूर्नामेंट्स में इस डिवाइस के इस्तेमाल को लेकर अभी तक किसी भी प्रकार का कोई भी नियम निर्धारित नहीं किया गया है।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको जानकारी दी कि क्यू -कॉलर क्या होता है? यह कैसे काम करता है? इन दिनों यह डिवाइस चर्चा में क्यों है? उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। भविष्य में भी इस प्रकार की ज्ञानवर्धक पोस्ट पाने के लिए आप हमें नीचे दिए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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