हर किसी को टीवी पर अपनी पसंद के मुताबिक प्रोग्राम देखने की चाह होती है। कोई एंटरटेनमेंट चैनल देखता है तो कोई स्पोर्ट्स। किसी को आज तक न्यूज चैनल सबसे पसंदीदा लगता है तो किसी को इंडिया न्यूज पसंद है। दर्शकों की पसंदगी के आधार पर ही किसी टीवी चैनल या प्रोग्राम की टीआरपी जारी की जाती है। इसका डाटा एक निश्चित समयांतराल पर जारी किया जाता है।
दोस्तों, आपने भी टीआरपी के बारे में जरूर सुना होगा। जैसे कि क्रिकेट की टीआरपी बहुत ज्यादा है या फिर फलां सीरियल की टीआरपी बहुत ज्यादा है या फिर अमुक चैनल की टीआरपी सबसे ज्यादा है।
आपके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर यह टीआरपी क्या है? यदि आप भी उन्हीं लोगों में हैं, जिन्हें इसका मतलब नहीं मालूम तो भी निराश न हों। आज इस पोस्ट के जरिये हम आपको टीआरपी के बारे में पूरी जानकारी देंगे मसलन, टीआरपी क्या है? इसे किस तरह निकालते हैं? इसका क्या लाभ है? आइए, शुरू करते हैं-
टीआरपी क्या है? What is TRP?
दोस्तों, आइए अब आपको टीआरपी (TRP) का अर्थ बताते हैं। इसकी फुल फाॅर्म टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (Television Rating Point) है। यह इस बात का पैमाना है कि दर्शक कौन सा टीवी चैनल या प्रोग्राम सबसे ज्यादा देखते हैं। या यूं कह लीजिए कि दर्शक सबसे ज्यादा किस चैनल या प्रोग्राम को देख पसंद कर रहे हैं यह पता उसकी टीआरपी से चलता है। इन दिनों टीआरपी की माया ही सभी टीवी चैनल वालों के सिर चढ़कर बोल रही है। वह ‘टीआरपी के लिए कुछ भी करेगा’ की धुन पर नाच रहे हैं।
इसके लिए उन्होंने सारे नियम कायदों को ताक पर रखा हुआ है। न्यूज़ चैनल्स इस तरह के न्यूज पैकेज प्लान कर रहे हैं, जो अधिक से अधिक टीआरपी बटोर सकें। इन चैनलों पर चतने वाली बहस भी इसी का हिस्सा हैं। बीते दिनों इन बहसों में भाषा के गिरा स्तर पर्याप्त चर्चा का विषय रहा है, हालांकि यह भी टीआरपी की बढ़ती भूख का ही हिस्सा हैं।
टीआरपी का पता कैसे लगाते हैं? How to find out TRP?
टीआरपी का पता लगाने के लिए शहर में कुछ स्थानों पर पीपुल्स मीटर लगाया जाता है। दर्शकों का एक सैंपल सर्वे किया जाता है। कुछ हजार टीवी देखने वालों को इसमें शामिल किया जाता है। एक स्पेसिफिक फ्रीक्वेंसी के जरिये यह पता लगाया जाता है कि कहां कौन सा प्रोग्राम या चैनल टीवी पर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। है। इस मीटर के जरिये टेलीविजन की एक एक मिनट की सूचना को मानिटरिंग टीम इंडियन टेलीविजन आडियंस मेजरमेंट (Indian Television Audience Measurements) तक पहुंचाया जाता है। यही ITAM सूचना को एनालिसिस करने के बाद यह तय करता है कि किस चैनल या प्रोग्राम की टीआरपी कितनी है।
दोस्तों, आपको बता दें कि यह भी गूगल एनालिटिक्स की तरह ही काम करता है। टीआरपी की गणना को दर्शक के लगातार देखे जा रहे प्रोग्राम और समय को लगातार रिकाॅर्ड किया जाता है। इसके बाद इस डाटा को 30 से गुना करके प्रोगाम का एवरेज रिकाॅर्ड निकाला जाता है।
टीआरपी का असर चैनल की कमाई पर पड़ता है?
टीआरपी का सीधा असर चैनल की आय पर पड़ता है। दरअसल, इस डाटा का इस्तेमाल विज्ञापनदाता करते हैं। वह टीआरपी के आधार पर ही तय करते हैं कि विज्ञापन किस चैनल या प्रोग्राम के दौरान दिए जाएं। दोस्तों, आप जानते ही हैं कि इन सभी चैनल्स की आय का जरिया इन्हें मिलने वाले विज्ञापन होते हैं। ऐसे में सरल शब्दों में कहें तो समझ लीजिए कि जिस चैनल की टीआरपी सबसे ज्यादा होती है, उसे सबसे ज्यादा विज्ञापन मिलते हैं।
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कम टीआरपी का खामियाजा उन्हें कम आय के रूप में भुगतना पड़ता है। आपको बता दें कि जिन चैनल या प्रोग्राम की टीआरपी ज्यादा होती है, उनकी विज्ञापन की दरें भी ज्यादा होती हैं, यानी इन चैनलों, प्रोग्रामों में विज्ञापन दिखाने के लिए विज्ञापन दाताओं को अधिक राशि का भुगतान करना होगा। हर चैनल के रेट इसी आधार पर तय होते हैं।
पांच सालों का सबसे लोकप्रिय टीवी शो बना रामायण
साथियों, आपको बता दें कि रामायण 2015 से अब तक का पांच सालों में सबसे लोकप्रिय टीवी शो बना है। एंटरटेनमेंट कैटेगरी में इस सीरियल की टीआरपी सबसे ज्यादा दर्ज की गई। आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए लाॅकडाउन के दौरान करीब 33 साल बाद इस सीरियल का पुनः प्रसारण किया गया। इसने एक बार फिर लोकप्रियता के सभी रिकाॅर्ड तोड़ दिए।
बच्चे, बूढ़े, जवान सभी आयु वर्ग के दर्शकों ने इस सीरियल का भरपूर आनंद उठाया। इस सीरियल को टीआरपी ज्यादा होने से विज्ञापन भी खूब मिले। पहले की तरह सीरियल को विस्तार से नहीं दिखाया गया, बल्कि आज की पीढ़ी की जरूरत को देखते हुए इसे काट-काटकर प्रसारित किया गया। यह सीरियल लंबे समय तक चला था, जिसे कुछ कड़ियों तक सिमटा दिया गया। हालांकि रामायण की संपूर्ण कथा का आख्यान कुछ कड़ियों में भी दर्शकों ने समझ लिया। इसकी एक वजह यह भी है कि वह बचपन से रामायण की कहानी सुनते चले आ रहे हैं।
दूरदर्शन ने टीआरपी की वजह से ही अन्य पुराने सीरियल्स भी दिखाए
मित्रों, आपको बता दें कि यह टीआरपी ही थी, जिसे देखते हुए दूरदर्शन ने भी लाॅकडाउन को देखते हुए तमाम पुराने सीरियलों का पुनः प्रसारण किया। रामायण के बारे में तो हम आपको बता ही चुके हैं कि वह पांच साल का सर्वाधिक टीआरपी हासिल करने वाला सीरियल रहा। इसके अलावा महाभारत, चाणक्य, वागले की दुनिया जैसे सीरियलों को दूरदर्शन ने दोबारा दिखाया। चाणक्य को लेकर तो हालांकि राजनीति हावी हुई और इस चैनल का प्रसारण बीच में ही बंद कर दिया गया। इसे लेकर दूरदर्शन को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। इसके अलावा बच्चों के कार्टून शो को भी अच्छी टीआरपी हासिल हुई।
दोस्तों, आपको इस बात की भीलगे हाथ जानकारी दे दें कि किसी सीरियल का कोई कैरेक्टर इतना मशहूर हो जाता है कि उसका सीरियल से हटना टीआरपी पर असर डालता है। ऐसे में दर्शकों की मांग पर उस कैरेक्टर को सीरियल में फिर से लाया जाता है। आपको मशहूर सीरियल और फिल्म निर्माता एकता कपूर का सीरियल सास भी कभी बहू थी का कैरेक्टर मिहिर विरानी जरूर याद होगा। इसे सीरियल के बीच में बदल दिया गया था, लेकिन बाद में दर्शकों की मांग पर उन्हें वापस लाना पड़ा, क्योंकि उनके जाने से सीरियल की टीआरपी प्रभावित हुई थी। यह कलाकार अमर उपाध्याय थे। हालांकि इसका प्रसारण बहुत लंबे समय चला। बाद में इस कैरेक्टर को रोनित राॅय ने भी प्ले किया।
सास-बहू आधारित और काॅमेडी टीवी सीरियलों की टीआरपी टाप पर
मशहूर सीरियल निर्माता एकता कपूर के अधिकांश सीरियल सास, बहू और साजिश पर आधारित होते हैं। इसका कारण भी टीआरपी होती है। उनके इस तरह के धारावाहिकों को सर्वाधिक दर्शक मिले हैं, ऐसे में वह अपनी लाइन नहीं बदलतीं। उनके अभी जितने भी सीरियल आए हैं, उनमें ज्यादातर इसी तरह की स्टोरी लाइन रही है।
जाहिर सी बात है कि टीआरपी ज्यादा तो कमाई ज्यादा और निर्माता को सबसे ज्यादा लाभ तो सीरियल के लिए मिलने वाले विज्ञापनों से ही होता है। इसके अलावा काॅमेडी टीवी सीरियलों को भी बेहतरीन टीआरपी मिली है। कपिल शर्मा शो इसका उदाहरण है। यह भी बेहद लोकप्रिय सीरियल रहा है।
कलाकार भी प्रभावित करते हैं टीआरपी
कलाकार भी टीआरपी प्रभावित करते हैं। जैसे कौन बनेगा करोड़पति को ले लीजिए। अमिताभ बच्च्न की मौजूदगी की वजह से सोनी पर चल रहे इस टीवी सीरियल की टीआरपी जबरदस्त रहती है। वहीं, जब इसकी देखा देखी सलमान खान दस का दम लेकर आए तो वह ज्यादा कमाल नहीं कर सका। हालांकि दोनों ही शो एक ही तरह की थीम पर आधारित थे।
ट्रेंड पंडित मानते हैं कि आज भी पर्दे पर बिग बी की मौजूदगी कमाल करती है। बढ़ती उम्र के बावजूद उनका जलवा कायम है। उनके नाम पर ही इस शो को दर्शक मिल जाते हैं।हालांकि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं, छात्रों के लिए भी यह शो बेहद काम का है। कई युवाओं ने स्वीकारा है कि इसमें मिलने वाली जानकारी उनके लिए बेहद उपयोगी साबित हुई है। वहीं, कई लोग इसलिए इस शो को देखने बैठते हैं, क्योंकि वह खुद भी इसमें शामिल होना चाहते हैं।
इन दिनों आईपीएल की टीआरपी जबरदस्त –
साथियों, स्पोट्र्स चैनल्स की बात करें तो इन दिनों स्टार स्पोर्ट्स की टीआरपी जबरदस्त है, क्योंकि आईपीएल चल रहा है। अनलाॅक-5 से पहले सिनेमाहाॅल बंद थे, स्विमिंग पूल बंद थे, केवल ओपन थियेटर्स को खोले जाने की इजाजत मिली थी। ऐसे में लोगों को मनोरंजन की जबरदस्त कमी खल रही थी। उनकी इस कमी को पूरा किया आईपीएल ने। 19 सितंबर, 2020 से आईपीएल यानी इंडियन प्रीमियर लीग शुरू हुई है, जिसने क्रिकेट दीवानों के लिए मनोरंजन का सूखा खत्म कर दिया है।
इसे देखते हुए शनिवार और रविवार को दो दो मुकाबले खेले गए हैं। आईपीएल को स्टेडियम में दर्शक बेशक नहीं मिले हैं, लेकिन टीवी के पर्दे के आगे के दर्शकों की वजह से आईपीएल और जिस चैनल पर आईपीएल दिखाया जा रहा है, उन दोनों पर कमाई की बरसात की है।
टीआरपी बढ़ाने के लिए आजमाते हैं नए नए तरीके –
मित्रों, जैसा कि हमने आपको बताया कि टीवी चैनलों की आय टीआरपी पर निर्भर करती है, ऐसे में इसे बढ़ाने के लिए चैनल नए नए तरीके आजमाते हैं। आप टीवी चैनल्स को लें, जैसे मनोरंजक गीत संगीत से जुड़े कार्यक्रमों के दौरान फिल्म स्टारों को आमंत्रित किया जाता है, इसी तरह न्यूज चैनल वाले समाचार को मनोरंजन की चाशनी में लपेटकर परोसते हैं। आप रिपब्लिक भारत को एक ऐसे ही केस की तरह देख सकते हैं। इसके संपादक अर्णब गोस्वामी ने समाचार कहने के चीख चिल्लाहट के अंदाज को अपनाकर एक नई राह दूसरे टीवी चैनलों को भी दिखाई है। टीआरपी की रेस में उसने सबसे तेज टैगलाइन के साथ चलने वाले आज तक को पछाड़ा है।
ऐसे कई नए चैनल उभरकर आए हैं, जो पुराने चैनल को टीआरपी की रेस में आइना दिखा रहे हैं। यह येन केन प्रकारेण टीआरपी हासिल करना चाहते हैं। किसी का रिपोर्टर साइकिल पर सर्कस कर रहा है तो कोई सड़क पर गोल गोल घूमकर रिपोर्टिंग कर रहा है। कंटेंट की भूख गायब है, केवल टीआरपी की भूख हावी है।
दोस्तों, यह थी टीआरपी के संबंध में जानकारी। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। यदि आप इसी तरह के किसी रोचक विषय पर हमसे जानकारी चाहते हैं तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों का इंतजार रहेगा। ।।धन्यवाद।।