यह तो आप जानते हैं कि कोरोना महामारी की मार हमारे देश भारत समेत दुनिया भर के मुल्कों के लोगों ने झेली है। लोगों को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न देशों में लोगों का वैक्सीनेशन किया गया। इसमें भारत भी शामिल था। यहां लोगों को बड़े पैमाने पर कोवैक्सीन एवं कोविशील्ड लगाई गई। हाल ही में कोविशील्ड के दुष्प्रभाव के रूप में टीटीएस होने की बात सामने आई है।
क्या आप जानते हैं कि यह टीटीएस क्या है? यदि नहीं तो आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आपको बताएंगे कि टीटीएस क्या है? इसके क्या लक्षण हैं? इससे क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं? इन दिनों यह चर्चा में क्यों है? आइए, शुरू करते हैं-
टीटीएस क्या है? (What is TTS?)
दोस्तों, आपको बता दें कि टीटीएस (TTS) की फुल फॉर्म थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (thrombosis with thrombocytopenia syndrome) है। आपको बता दें दोस्तों कि यह कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 vaccine) से जुड़ा एक दुर्लभ साइड इफेक्ट है।
थ्रोम्बोसिस की वजह से इंसान में खून के थक्के बन जाते हैं। वहीं, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की वजह से प्रभावित व्यक्ति में प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाता है। इससे सीधे उसकी प्रतिरोधक क्षमता यानी रेजिस्टेंट पावर (resistant power) पर असर पड़ता है। शरीर की इम्युनिटी (immunity) बेहद काम हो जाने से कई बार जान का संकट खड़ा हो जाता है।
टीटीएस के मरीज को किस प्रकार की दिक्कत होती है? (What problems does a TTS patient face?)
दोस्तों, आइए अब जान लेते हैं कि थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी टीटीएस के मरीज को किस प्रकार की दिक्कतों एवं समस्याओं (problems) का सामना करना पड़ सकता है। ये दिक्कतें इस प्रकार से हैं-
- खून के थक्के बनने से हार्ट (heart) में ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) कम हो जाता है, जिससे कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) हो सकता है।
- खून के थक्के बनने से ब्रेन (brain) में ब्लड (blood) कम पहुंचता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक (brain stroke) का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रभावित व्यक्ति की रक्त वाहिनियों यानी ब्लड वेसल्स (blood vessels) में रुकावट पैदा हो सकती है।
- कभी-कभी शरीर के कुछ हिस्सों में रक्त प्रवाह यानी ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) में बढ़ोतरी हो सकती है।
- किसी भी व्यक्ति के इम्यून सिस्टम (immune system) के लिए आवश्यक प्लेटलेट्स काउंट (platelets count ) कम हो सकता है।
टीटीएस की क्या पहचान या लक्षण हैं? (What are the symptoms of TTS?)
दोस्तों लिए जान लेते हैं कि टीटीएस के क्या लक्षण हैं? सामान्य रूप से अन्य कई बीमारियों में भी यह लक्षण (symptoms) देखने को मिलते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-
- सांस लेने में तकलीफ (difficulty in breathing)।
- पैर में सूजन (swelling in legs)।
- पेट में दर्द (stomach pain)।
- आसानी से चोट लगना।
- छाती में दर्द (chest pain) रहना।
- लगातार सिरदर्द (persistent headache) बने रहना।
- मतली-उल्टी (vomiting) होना।
- बेहोशी छा जाना आदि।
इन दिनों टीटीएस चर्चा में क्यों है? (Why TTS is in news these days?)
दोस्तों, यह जान लेते हैं कि टीटीएस बीमारी इन दिनों चर्चा में क्यों है? आपको पता ही होगा कि कोविड वैक्सीन (COVID vaccine) बनाने वाली ब्रिटेन (Britain) की फार्मास्युटिकल कंपनी (pharmaceutical company)ए स्ट्राजेनेका (AstraZeneca) के खिलाफ 51 मुकदमे चल रहे हैं। दर्जनों मामले कोविड वैक्सीन के कारण जान जाने एवं लोगों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने के हैं।
एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) द्वारा कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुछ लोगों को इसके गंभीर एवं दुर्लभ साइड इफेक्ट्स झेलने पड़ सकने की बात को स्वीकार किया गया है। उसने इस बात पर मुहर लगा दी है कि कोविशील्ड वैक्सीन की डोज लेने वालों को थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) होने का खतरा है।
भारत के लोगों में टीटीएस के बारे में जानने को लेकर क्यों आतुरता है? (Why the people of India are eager to know about TTS?)
दोस्तों, आपको बता दें कि भारत के सीरम इंस्टीट्यूट (serum institute) द्वारा एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले से ही कोविशील्ड वैक्सीन को तैयार किया गया था। ऐसे में देश भर में यह बीमारी चर्चा का विषय बनी हुई है। हर कोई इस बीमारी के बारे में जानने को आतुर है। बहुत से लोगों ने खून के थक्के जमने से दिक्कत की बात कही है। बहुत से लोगों को कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) हुआ है। वे जानने के इच्छुक हैं कि क्या यह सब वैक्सीन (vaccine) से जुड़ा हो सकता है?
टीटीएस की बीमारी पहली बार कब सामने आई? (When did this disease came into existence for the first time?)
दोस्तों, यदि टीटीएस (TTS) का इतिहास (history) खंगालने चलेंगे तो पाएंगे कि टीटीएस की बीमारी पिछले करीब सौ साल से हम लोगों के बीच है। आपको बता दें कि इसका सबसे पहला मामला आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व सन् 1924 में एक 16 वर्षीय बालिका एली मोशकोवित्ज में देखने को मिला था। कोरोना महामारी के प्रकोप से बचने के लिए लगाई गई कोविड वैक्सीन कोविशील्ड (COVID vaccine covishield) के साइड इफेक्ट्स (side effects) सामने आने के बाद दोबारा से इस पर चर्चा शुरू हो गई है।
टीटीएस जैसे लक्षण दिखें तो क्या करें? (What to do if someone face symptoms like TTS?)
दोस्तों, अब आप पूछेंगे कि यदि यदि किसी व्यक्ति में टीटीएस जैसे लक्षण (symptoms) दिखे तो उसे क्या करना चाहिए। ऐसे लोगों को डॉक्टरों द्वारा यह सलाह दी जाती है कि उन्हें किसी योग्य चिकित्सक से मिलकर अपने सभी आवश्यक टेस्ट करा लेने चाहिए। दरअसल कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात सामने आने के बाद डॉक्टरों ने यह साफ किया है कि प्रत्येक चीज का कोई ना कोई साइड इफेक्ट होता ही है। यह बेहद दुर्लभ साइड इफेक्ट है।
खून के थक्कों की पहचान के लिए कौन सा टेस्ट किया जाता है? (Which that is done to know whether there is blood clotting?)
दोस्तों, आपको बता दें कि खून के थक्के यानी ब्लड क्लॉटिंग की पहचान के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। इनमें सबसे कॉमन डी-डिमर टेस्ट है। इसके अतिरिक्त इसके लिए इमेजिंग टेस्ट (imaging test) भी किया जाता है। आपको बता दें दोस्तों कि इस टेस्ट में शरीर में खून के थक्कों को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड (ultrasound) का इस्तेमाल किया जाता है।
दोस्तों, विशेषकर पैर की नसों एवं दिल (heart) में इसकी जांच की जाती है। कुछ जांचों के लिए सीटी स्कैन (CT scan) तक की भी सहायता ली जाती है। इस प्रकार व्यक्ति के शरीर में किसी भी स्थान पर बने खून के थक्कों या ब्लड क्लॉट्स की जानकारी मिल जाती है।
किन लोगों के शरीर में खून का थक्का बनने का रिस्क अधिक रहता है? (Which people have more risk of blood clotting in the body?)
दोस्तों, आइए अब यह भी जान लेते हैं कि किन लोगों के शरीर में खून का थक्का बनने का रिस्क अधिक रहता है? दोस्तों, आपको बता दें कि जिन लोगों के शरीर में विटामिन के (vitamin k) की कमी (deficiency) होती है, ऐसे लोगों को खून में थक्का बनने का अधिक खतरा यानी रिस्क (risk) रहता है। दोस्तों, इसके अतिरिक्त एक सावधानी और आपको बरतने की आवश्यकता है।
यदि आप लगातार ऐसी दवाओं (medicine) का सेवन कर रहे हैं जिनमें एस्ट्रोजन (astrogen) होता है, तो इससे भी रक्त के थक्के बनने का रिस्क यानी खतरा बढ़ सकता है। दरअसल, डायबिटीज (diabetes), रूमेटाइड आर्थराइटिस (rumetied arthritis), अधिक धूम्रपान (excessive smoking), बढ़ रहा मोटापा (increasing obesity), उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure) एवं हाई कोलेस्ट्रॉल high (cholesterol) आदि भी खून के थक्के बनने यानी ब्लड क्लॉटिंग (blood clotting) के नजरिए से बड़े रिस्क फैक्टर (risk factor) हैं। इन तमाम बीमारियों से जूझ रहे या इनकी कगार पर खड़े मरीजों को अपने सभी टेस्ट या जांचें आवश्यक रूप से करानी चाहिए।
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टीटीएस की फुल फॉर्म क्या है?
टीटीएस की फुल फॉर्म थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम है।
इस बीमारी में किस प्रकार की दिक्कतें देखने को मिलती हैं?
इन दिक्कतों के बारे में हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताया है। आप वहां से देख सकते हैं।
इन दिनों टीटीएस चर्चा में क्यों है?
कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को यह दुर्लभ बीमारी होने का खतरा सामने आने के बाद से यह चर्चा में है।
कोविड वैक्सीन कोविशील्ड से टीटीएस का खतरा होने का कैसे पता चला है?
ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात कुबूली गई है।
एस्ट्राजेनेका की बनाई वैक्सीन का भारत से क्या संबंध है?
इसी कंपनी के फार्मूले पर भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने कोरोना की वैक्सीन तैयार की थी, जो देश के करोड़ों नागरिकों को लगी है।
टीटीएस का पहला मामला कब सामने आया था?
टीटीएस का पहला मामला आज से करीब 100 वर्ष पूर्व सन 1924 में सामने आया था।
यदि किसी व्यक्ति को टीटीएस जैसे लक्षण दिखें तो क्या करना चाहिए?
उस व्यक्ति को किसी योग्य चिकित्सक से मिलकर अपने सभी संबंधित टेस्ट कराने चाहिए।
किन लोगों के शरीर में खून का थक्का बनने का खतरा अधिक होता है?
जिन लोगों को विटामिन के की कमी होती है, ऐसे लोगों के शरीर में खून का थक्का बनने का खतरा अधिक होता है।
ब्लड क्लॉट्स की पहचान के लिए कौन से टेस्ट होते हैं?
इन टेस्ट के बारे में हमने आपको ऊपर पोस्ट में जानकारी दी है। आप वहां से देख सकते हैं।
कौन सी बीमारियां ब्लड क्लॉटिंग के लिए बड़े रिस्क फैक्टर का काम करती हैं?
डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे बीमारियां ब्लड क्लॉटिंग के लिए बड़े रिस्क फैक्टर का काम करती हैं।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि टीटीएस क्या है? इसके क्या लक्षण हैं? इससे क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं? इन दिनों यह चर्चा में क्यों है? उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट से आपकी जानकारी में बढ़ोतरी हुई होगी। इस पोस्ट को लेकर कोई भी सवाल अथवा सुझाव आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।