भारत में मौसम बदलने के साथ-साथ कई प्रकार के वायरस पर प्रसार लेते हैं। अधिकांश वायरसों के संवाहक मच्छर होते हैं। इन दोनों वेस्ट नाइल वायरस की बड़ी चर्चा है। क्या आप जानते हैं कि वेस्ट नाइल वायरस क्या है? यदि नहीं, तो आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। और आपको बताएंगे कि वेस्ट नाइल वायरस क्या है? यह कैसे फैलता है? यह वायरस इन दिनों चर्चा में क्यों है? आइए, शुरू करते हैं-
वायरस क्या होता है? (What is a virus?)
दोस्तों, इससे पूर्व कि हम आगे बढ़ें, आइए सबसे पहले यह जान लेते हैं कि वायरस क्या होता है? आपको बता दें दोस्तों कि वायरस एक संक्रामक सूक्ष्म जीव है। यह प्रोटीन आवरण से घिरे न्यूक्लिक एसिड (nucleic acid) डीएनए (DNA) अथवा आरएनए (RNA) के एक खंड से बना होता है। दोस्तों, आपको बता दें कि एक वायरस अकेले अपनी प्रतिकृति नहीं बना सकता। लिहाजा, वह व्यक्ति के शरीर की कोशिकका (cells) को संक्रमित करता है उस मेजबान कोशिका के घटकों का इस्तेमाल करके पुनरुत्पादन (reproduction) करता है।
इस प्रकार एक वायरस शरीर की सारी कोशिकाओं को संक्रमित कर उन्हें क्षतिग्रस्त कर सकता है। दोस्तों, आपको बता दें कि वायरस को हिंदी में विषाणु भी कहा जाता है वायरस एक लैटिन शब्द (latin word) है, जिसका एक अर्थ जहर भी होता है। आपको बता दें कि एक वायरस मनुष्यों, पौधों एवं जानवरों को समान रूप से संक्रमित कर सकता है। वायरस कई गंभीर रोगों के संवाहक होते हैं।
वेस्ट नाइल वायरस क्या है? (What is west Nile virus?)
दोस्तों, आपको बता दें कि वेस्ट नाइल वायरस मच्छर से पैदा होता है। इसे एक फ्लेविवायरस कहा जाता है। यह जापानी एन्सेफलाइटिस और पीले बुखार का कारण बनने वाले वायरस से संबंधित है। आपको बता दें दोस्तों कि अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार वेस्ट नाइल बुखार मनुष्यों के बीच संक्रामक नहीं है। लेकिन मुख्य रूप से मच्छर के काटने से फैलता है।
वेस्ट नाइल वायरस को यह नाम कहां से मिला है? (From where Nile virus has got its name?)
दोस्तों, अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इस वायरस को नाइल वायरस क्यों पुकारा जाता है? तो आपको बता दें कि इस वायरस को पहली बार आज से करीब 87 वर्ष पूर्व सन् 1937 में युगांडा (Uganda) स्थित वेस्ट नाइल जिले की एक महिला में देखा गया था। वहीं से इसे वेस्ट नाइल नाम मिला। आपको बता दें दोस्तों कि इसकी पहचान सन् 1953 में नील डेल्टा क्षेत्र में कौओं एवं कबूतरों जैसे पक्षियों में भी की गई। सन् 1997 में इस वायरस के चलते इजरायल में विभिन्न पक्षियों की मौत हुई। इसके पश्चात सन्
1999 में वेस्ट नाइल वायरस का स्ट्रेन इजराइल एवं ट्यूनीशिया (Israel and Tunisia) से न्यूयॉर्क (newyork) पहुंच गया। वहां इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिला। इसके पश्चात इसने लगभग पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) एवं कनाडा (Canada) से वेनेजुएला (Venezuela) तक अपने पैर पसार लिए।
वेस्ट नाइल वायरस कैसे फैलता है? (How does west Nile virus spread?)
दोस्तों, अब आप सोच रहे होंगे कि वेस्ट नाइल वायरस कैसे फैलता है? तो आपको बता दें कि क्यूलेक्स प्रजाति (qulex species) के मच्छर वेस्ट नाइल वायरस के फैलाव में बड़े संवाहक का काम करते हैं। आपको बता दें दोस्तों कि संक्रमण पैदा करने वाले मच्छर पक्षियों के साथ ही मनुष्यों और पशुओं में इस वायरस का संक्रमण कर उन्हें बीमार कर देते हैं।
दरअसल, मच्छर जब संक्रमित पक्षियों को खाते हैं, तो खुद संक्रमित हो जाते हैं और ये वायरस पहले मच्छरों के अंदर आता है और फिर वहां से मच्छर की लार ग्रंथियों में प्रवेश कर जाता है। दोस्तों, यह भी जान लीजिए कि अभी तक यह मालूम नहीं चल सका है कि ये संक्रमित मनुष्यों या जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है अथवा नहीं। दोस्तों, हम यदि यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (us centre for desease control and prevention) यानी सीडीसी (CDC) के दावों पर यकीन करें तो यह पक्षियों समेत संक्रमित जानवरों को खाने से नहीं फैलता।
वेस्ट नाइल संक्रमण के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms of west Nile infection?)
दोस्तों, यदि इस वायरस के संक्रमण के लक्षण की बात करें तो इस संक्रमण के साथ सबसे खराब बात यही है कि 80 प्रतिशत संक्रमित लोगों में किसी खास तरह के लक्षण दृष्टि गोचर नहीं होते। इससे संक्रमित अधिसंख्य लोगों में जो लक्षण आम तौर पर दिखते हैं, वे इस प्रकार से हैं-
- बुखार।
- सिरदर्द।
- थकान।
- शरीर में दर्द।
- मतली आना।
- दाने होना।
- शरीर में सूजन आदि।
भारत में वेस्ट नाइल के मामले कहां-कहां देखने को मिले हैं? (Where in India the cases of west Nile have been seen?)
दोस्तों, आपको बता दें कि हाल फिलहाल इसके मामले केरल (kerala) में देखने को मिले हैं। दोस्तों, जान लीजिए कि प्रवासी पक्षियों के मार्गों पर इनके अधिक प्रकोप स्थल पाए जाते हैं। जैसे कि 300 से अधिक पक्षियों के माध्यम से वर्तमान में इस वायरस का फैलाव यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, पश्चिम एशिया एवं मध्य पूर्व में देखने को मिला है। दोस्तों, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि
भारत में वेस्ट नाइल की आमद नई नहीं है। जी हां। वेस्ट नाइल के खिलाफ पहली बार आज से 72 वर्ष पूर्व यानी सन् 1952 में मनुष्य में एंटी बॉडी पाई गई थी। आपको बता दें कि उस वक्त मध्य (centre), दक्षिण (South) एवं पश्चिम भारत (west india) में इस वायरस के एक्टिव (active) होने व संक्रमण (infection) की बात सामने आई थी।
वेस्ट नाइल वायरस का मनुष्य पर क्या असर हो सकता है? (What can be the effect of west Nile virus on human being?)
दोस्तों, बात आती है कि वेस्टर्न नाइल वायरस का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है या क्या असर हो सकता है? तो आपको बता दें कि वेस्ट नाइल वायरस का संक्रमित के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर स्थायी प्रभाव हो सकता है। संक्रमित करीब 150 व्यक्तियों में से एक संक्रमित इस बीमारी से गंभीर बीमार हो सकता है। इसके असर से उबरने में कई सप्ताह अथवा महीने भी लग सकते हैं। यद्यपि इन्सेफलाइटिस यानी जापानी बुखार की तुलना में इस वायरस से ग्रस्त लोगों की मृत्यु दर (death rate) कम है।
दोस्तों, एक बिंदु और कि दुर्लभ मामलों में यह वायरस इन्सेफिलाइटिस (insafilitis) और मेनिनजाइटिस (meningitis) जैसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल (neurological) जटिलताओं को जन्म दे सकता है। यह संक्रमित के लिए बेहद घातक हो सकता है।
वेस्ट नाइल वायरस रोग का क्या इलाज है? (What is the treatment of west Nile virus infection?)
दोस्तों, अब वेस्ट नाइल के इलाज के बारे में बात करते हैं। आपको बता दें कि वेस्ट नाइल की अभी तक कोई वैक्सीन (vaccine) ईजाद नहीं हुई है। लेकिन इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सहायक उपचार दिए जाते हैं। इनमें अन्य उपचारों के साथ ही मच्छरों के पनपने व पास आने से रोकने के उपाय शामिल हैं। यदि वेस्ट नाइल की रोकथाम की बात करें तो उसके लिए यह कदम उठाए जा सकते हैं-
- मच्छरों की आबादी को कम करना।
- कीट प्रतिरोधी चीजों का इस्तेमाल किया जाए।
- पूरी बाजू के सुरक्षात्मक कपड़े पहने जाएं।
- जहां मच्छर पनपते हैं वहां पानी को इकट्ठा रखने से बचाएं आदि।
वेस्ट नाइल वायरस से जुड़े प्रश्न उत्तर FaQ
वायरस क्या होता है?
सामान्य शब्दों में वायरस एक संक्रामक सूक्ष्म जीव होता है।
वायरस को हिंदी में क्या पुकारा जाता है?
वायरस को हिंदी में विषाणु पुकारा जाता है।
वायरस किस भाषा का शब्द है?
वायरस लैटिन भाषा का शब्द है। इसका अर्थ जहर भी होता है।
वेस्ट नाइल वायरस क्या है?
यह मच्छर से पैदा होने वाला एक फ्लेविवायरस है, जो इंसेफेलाइटिस यानी जापानी बुखार और पीले बुखार का कारण बनने वाले वायरस से संबंधित है।
वेस्ट नाइल वायरस को यह नाम कहां से मिला है?
युगांडा के वेस्ट नाइल नाम के जिले में पहली बार इस वायरस का केस मिलने के कारण इसे वेस्ट नाइल वायरस कहा जाता है।
वेस्ट नाइल वायरस का केस पहली बार कब मिला था?
इस वायरस का केस पहली बार सन् 1937 में मिला था।
हाल ही में इस वायरस के मामले भारत में कहां देखने को मिले हैं?
हाल ही में इस वायरस के मामले भारत में केरल में देखने को मिले हैं।
वेस्ट नाइल की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
इन कदमों की जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से दी है। आप वहां से देख सकते हैं।
क्या कोई एंटी वेस्ट नाइल वायरस वैक्सीन भी बनी है?
जी नहीं। अभी ऐसी कोई वैक्सीन नहीं बनी है।
क्या भारत में इससे पूर्व वेस्ट नाइल के मामले सामने आए हैं?
सन् 1952 में भारत में पहली बार वेस्ट नाइल एंटीबॉडी मनुष्यों में देखने को मिली थी।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको विस्तार से बताया कि वेस्ट नाइल वायरस क्या है? यह कैसे फैलता है? यह वायरस इन दिनों चर्चा में क्यों है? उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट से आपकी जानकारी में वृद्धि हुई होगी। यदि आप इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट हमसे चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।