महाशिवरात्रि 2024 कब है? महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? इसका पूजा- मुहूर्त एवं विधान क्या है?

हमारे देश में महादेव भगवान शिव शंकर को भोले कहकर भी पुकारा जाता है। वे सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता भी माने जाते हैं। कैलाश पर्वत वासी भगवान शिव के सभी भक्तों के लिए महाशिवरात्रि (mahashivratri) का त्योहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष भगवान शिव के भक्तों को महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है। यदि आप भी भगवान शिव के अनन्य भक्त हैं और आपको भी महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार है तो आज की यह पोस्ट आपके ही लिए है। हम आपको बताएंगे कि महाशिवरात्रि 2024 कब है? महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? इसका पूजा मुहूर्त एवं विधान क्या है? आइए, शुरू करते हैं-

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महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (Why mahashivratri is celebrated?)

दोस्तों, इससे पूर्व कि हम आगे बढ़ें, आइए सबसे पहले यह जान लेते हैं कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (Why mahashivratri is celebrated?) इसका क्या महात्म्य है? (What is its importance?) दोस्तों, आपको बता दें कि महाशिवरात्रि को शिव-शक्ति के मिलन का दिन कहा जाता है। महाशिवरात्रि के पीछे दो कथाएं प्रचलित हैं।

महाशिवरात्रि 2024 कब है

पहली कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव शंकर द्वारा वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी तिथि पर रात्रि में भगवान शिव शंकर एवं मां पार्वती दांपत्य सूत्र बंधन में बंधे थे। माना जाता है कि भगवान शिव ने उत्तराखंड स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर (triyugi narayan temple) में मां पार्वती को अपनी जीवन संगिनी बनाया था।

वहीं उनके साथ फेरे लिए थे। शिवरात्रि मनाए जाने के पीछे जो दूसरी कथा प्रचलित है, उसके अनुसार महाशिवरात्रि की तिथि पर भगवान शिव पहली बार प्रकट हुए थे। उनका प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में हुआ था। यह भी कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही 64 अलग-अलग जगहों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि इस दिन पूरे मन से भगवान शिव शंकर का ध्यान करने एवं उनके पूजन से भक्तों एवं उनके प्रियजनों के समस्त संकट स्वत: समाप्त हो जाते हैं।

महाशिवरात्रि 2024 कब है? (When is mahashivratri 2024?)

दोस्तों, आइए अब जान लेते हैं कि वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि कब है? आपको बता दें कि महाशिवरात्रि फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। लिहाजा, इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च, 2024 को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च, 2024 को रात 9 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी, जो अगले दिन 9 मार्च, 2024 को शाम 6 बजकर, 17 मिनट पर समाप्त होगी। दोस्तों, आपको बता दें कि इस दिन सुबह से लेकर रात्रि भर जागरण कर शिवशंकर पूजा का विधान है।

महाशिवरात्रि 2024 का पूजा मुहूर्त क्या है? (What is mahashivratri 2024 Pooja muhurat?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में की जाती है। लिहाजा इसमें उदयातिथि देखना आवश्यक नहीं है। इस बार महाशिवरात्रि पूजा व्रत मुहूर्त इस प्रकार रहेगा-

  • निशिता काल मुहूर्त – प्रात: 12.07 बजे से लेकर प्रात: 12.55 बजे तक (9 मार्च 2024)
  • व्रत पारण समय – सुबह 6.37 बजे से लेकर – दोपहर 3.28 बजे तक (9 मार्च 2024)।

महाशिवरात्रि 2024 चार प्रहर मुहूर्त (Mahashivratri 2024 Char Prahar Puja Time)—

  • रात्रि प्रथम प्रहर का पूजा समय – 8 मार्च, शाम 6:25 बजे से लेकर रात 9:28 बजे तक।
  • रात्रि द्वितीय प्रहर का पूजा समय – रात 9:28 बजे से लेकर 9 मार्च को प्रात: 12.31 बजे तक।
  • रात्रि तृतीय प्रहर का पूजा समय – 9 मार्च को प्रात: 12.31 बजे से लेकर प्रात: 3.34 बजे तक
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय – 9 मार्च को प्रात: 3.34 बजे से लेकर प्रात: 6:37 बजे तक।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि क्या है? (What is the Pooja vidhi of mahashivratri?)

दोस्तों, महाशिवरात्रि की पूजा का भी एक विधान है। आइए जान लेते हैं कि महाशिवरात्रि की पूजा विधि क्या है-

  • महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान करें।
  • इसके पश्चात पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ भगवान शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • व्रत संकल्प के समय ही व्रत की अवधि पूरा करने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लेना न भूलें।
  • अब आप व्रत निर्जला या फलाहार लेने संबंधी संकल्प लें।
  • इसके पश्चात शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें।
  • सर्वप्रथम भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • इसके पश्चात केसर मिश्रित जल के 8 लोटे चढ़ाएं। इसके साथ ही चंदन का तिलक लगाकर पूर्ण रात्रि का दीपक जलाएं।
  • यह तो आप जानते ही हैं कि भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है। लिहाजा, तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा का चढ़ावा चढ़ाएं।
  • सबसे अंत में केसर युक्त खीर का भोग लगाएं तथा सबको इसका प्रसाद वितरित करें।

भगवान शिव की सबसे प्रचलित आरती कौन सी है? (Which is the most recited arti of lord Shiva?)

दोस्तों, हर कोई भगवान शिव का स्मरण, ध्यान अपने -अपने तरीके से करता है, लेकिन यदि भगवान शिव शंकर की सर्वाधिक प्रचलित आरती की बात करें तो वह इस प्रकार से है –

  • जय शिव ओंकारा हर शिव ओंकारा,
  • ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा।।
  • एकानन चतुरानन पंचानन राजे, हंसासन गरुड़ासन वर्षवाहन साजे।।
  • दो भुज चार चतुर्भुज दशभुज ते सोहे,
  • तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे।।
  • अक्षमाला बनमाला रुण्डमालाधारी,
  • त्रिपुरारी कंसारी करमाला धारी।। श्वेतांबर पीतांबर बाघांबर अंगे,
  • सनकादिक ब्रहमादिक भूतादिक संगे।।
  • कर मध्ये कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता,
  • जगकरता जगहरता जगपालन करता।।
  • ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,
  • प्रणवाक्षर के मध्ये यह तीनों एका।।
  • त्रिगुण शिव की आरती जो कोई नर गावे,
  • कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे।।

महाशिवरात्रि की आरती क्या है? (What is mahashivratri arti?)

दोस्तों, आइए अब आपको महाशिवरात्रि की आरती बताएं, जो कि इस प्रकार से है-

आ गई महाशिवरात्रि पधारो शंकर जी

हो पधारो शंकर जी आरती उतारें पार

उतारो शंकर जी हो उतारो शंकर जी

तुम नयन-नयन में हो मन मन में धाम

हे नीलकंठ है कंठ कंठ में नाम तेरा

हो देवों के देव जगत के प्यारे शंकर जी

तुम राजमहल में तुम्हीं भिखारी के घर में

धरती पर तेरा चरण मुकुट है अंबर में

संसार तुम्हारा एक हमारे शंकर जी

तुम दुनिया बसा कर भस्म रमाने वाले हो

पापी के भी रखवाले भोले-भाले हो

दुनिया में भी दो दिन तो गुजारो शंकर जी

क्या भेंट चढ़ाएं तन मैला घर सूना है

ले लो आंसू के गंगाजल का नमूना है

आकर के नयन में चरण पखारो शंकर जी।

विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कहां स्थित है? (Where the highest lord Shiva temple is situated?)

दोस्तों, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर भारत में है। जी हां दोस्तों, आपको जानकारी दे दे कि विश्व का सबसे ऊंचा शिवालय उत्तराखंड राज्य (uttarakhand state) के रुद्रप्रयाग जिले (rudraprayag district) में स्थित होने का दावा किया जाता है।

इसका नाम तुंगनाथ मंदिर (tungnath temple) है। इस मंदिर की ऊंचाई (height) करीब 3,680 मीटर है। कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों द्वारा किया गया। वर्तमान में यहां दुनिया भर से भगवान शिव के भक्त आते हैं। इसके अतिरिक्त तुंगनाथ ट्रेकिंग के लिए भी बेहद मशहूर है। यहां वर्ष भर ट्रेकर आते रहते हैं। तुंगनाथ की स्नो ट्रेकिंग खास तौर युवाओं को बेहद लुभाती है।

भारत के प्रमुख शिव मंदिर कौन कौन से हैं? (Which are the main shiv temples of India?)

हमारे देश में माना जाता है कि कण-कण में भगवान है। लोग बेहद विश्वास एवं श्रद्धा के साथ भगवान की आराधना करते हैं। भगवान शिव को आदि देव माना गया है। हमारे देश में शिव को समर्पित अनेक प्राचीन व विख्यात मंदिर हैं। इन मंदिरों में देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। जिस शहरों में ये मंदिर हैं, उन शहरों की बड़ी आर्थिकी इन मंदिरों से होने वाले राजस्व (revenue) पर निर्भर करती है। दोस्तों, यदि भारत के प्रमुख शिव मंदिरों की बात करें तो ये इस प्रकार से हैं-

  1. केदारनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड)।
  2. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।
  3. त्र्यंबकेश्वर मंदिर, नासिक (महाराष्ट्र)‌।
  4. महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)।
  5. लिंगराज शिव मंदिर, भुवनेश्वर (ओडिशा)
  6. रामनाथ स्वामी मंदिर, तमिलनाडु।
  7. तुंगनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड)

वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि कब है?

वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि 8 मार्च को है।

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

इसके पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनके बारे में आप ऊपर पोस्ट में पढ़ सकते हैं।

क्या महाशिवरात्रि पूजन में उदयातिथि देखी जाती है?

जी नहीं महाशिवरात्रि पूजन में उदया तिथि नहीं देखी जाती।

दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कौन सा है?

दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ मंदिर को माना जाता है।

तुंगनाथ मंदिर कहां स्थित है?

तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि महाशिवरात्रि 2024 कब है? महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? इसका पूजा- मुहूर्त एवं विधान क्या है? उम्मीद करते हैं कि आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी। यदि इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट आप हमसे चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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