सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने में कौन सी धारा लगती है? | Which section is applicable on posting inflammatory post on social media? | सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट का चलन क्यों बढ़ गया है? | क्या सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालना अपराध है? ||
इन दिनों सोशल मीडिया का नशा हर किसी के सिर चढ़कर बोल रहा है। कोई भी घटना होती है उस पर सोशल मीडिया पर त्वरित प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। कई बार ऐसा भी होता है कि सोशल मीडिया पर लोग भड़काऊ पोस्ट डाल देते हैं, जिससे कई बार सांप्रदायिक हिंसा आगजनी और झगड़ों की भी नौबत आ जाती है। पुलिस प्रशासन की ओर से ऐसी पोस्टों पर कार्यवाही भी की जाती है। क्या आप जानते हैं कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने पर कौन सी धारा लगती है? यदि नहीं तो भी चिंता की कोई बात नहीं। आज हम आपको इसी विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-
दोस्तों, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, भड़काऊ पोस्ट (inflammatory post) से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया जैसे-फेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter), इंस्टाग्राम (Instagram), व्हाट्सएप (WhatsApp) आदि पर पोस्ट एवं शेयर (post and share) किए गए ऐसे कंटेंट (content) से है, जिससे कि किसी की भावनाएं भड़कती हों।
आहत होती हों। धर्म, जाति, नस्लीय भेदभाव आदि को लेकर की जाने वाली अधिकांशतः पोस्टें इसी श्रेणी में रखी जा सकती हैं। दोस्तों बीते दिनों माफिया अतीक अहमद एवं अशरफ की हत्या के बाद भी इसी प्रकार की धर्म एवं संप्रदाय को लेकर भावनाएं भड़काने वाली पोस्टें सोशल मीडिया (social media) पर खूब देखने को मिली थी जिन पर पुलिस-प्रशासन (police and administration) द्वारा नियमानुसार कार्रवाई की गई।
दोस्तों, बहुत से लोग 24 घंटे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए इस बात का ध्यान नहीं रखते कि पोस्ट का कंटेंट कैसा है। वे जो मन में आता है, वह सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं। उन्हें इस बात का ध्यान नहीं रहता कि उनकी ऐसी पोस्ट से किसी की भावनाएं भड़क सकते हैं।
वही कुछ लोग जो सांप्रदायिक माहौल का फायदा उठाना चाहते हैं, वे इस तरह की पोस्ट के जरिए दूसरों की भावनाओं को भड़काने का ही कार्य करते हैं। वे इसमें कुछ भी गलत नहीं समझते। लेकिन आपको बता दें दोस्तों कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालना कानून की नजर में अपराध (crime) है। दंगा ग्रस्त क्षेत्रों में अक्सर पुलिस-प्रशासन की नजर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट पर बनी रहती है। और वह इसे अपराध में दर्ज करते हैं।
साथियों, आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालना साइबर अपराध (cyber crime) की श्रेणी (category) में आता है। यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया (social media) पर अपनी पोस्ट के जरिए किसी भी धर्म, जाति, संप्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है या कोई अफवाह फैलाता है या दंगा भड़काता है तो इसे साइबर अपराध (cyber crime) माना जाता है।
मित्रों, आपको जानकारी दे दे कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने पर आईटी एक्ट- 2000 की धारा 66-A के अंतर्गत उसे अपराध मानते हुए एक्ट की धारा 67 के तहत कार्यवाही होती है। यदि आप अपने सोशल मीडिया एकाउंट (social media account) के जरिए कोई भड़काऊ, आपत्तिजनक अथवा दो समुदायों (communities) के बीच नफरत या घृणा पैदा करने वाला पोस्ट डालते हैं अथवा ऐसा कोई फोटो अथवा वीडियो शेयर करते हैं, तो धारा 67 के प्रावधानों के अनुसार आपको जेल जाना पड़ सकता है। जुर्माना लगेगा सो अलग।
साथियों, जान लीजिए कि आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत सोशल मीडिया (social media) पर भड़काऊ पोस्ट डालने के दोषी व्यक्ति को 3 साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ ही उसे जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है। कुछ विशेष मामलों में जेल की अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है। दोस्तों, सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने के दोषी पर कितना जुर्माना लगेगा, यह संबंधित जज के विवेक पर निर्भर करेगा। बेहतर यही है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने से बचा जाए, ताकि जेल जाने की नौबत ना आए
आईटी एक्ट क्या है? (What is IT Act?)
मित्रों, अब आईटी एक्ट पर भी थोड़ी चर्चा कर लेते हैं और जान लेते हैं कि आईटी एक्ट क्या है? दोस्तों, आपको बता दें कि सोशल मीडिया की मदद से होने वाले अपराधों को रोकने के लिए आज से करीब 23 वर्ष पूर्व सन् 2000 में यह पारित किया गया था। आईटी एक्ट (IT Act) की फुल फॉर्म इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट (information technology act) है। इसे हिंदी में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम कहकर भी पुकारा जाता है। सन् 2008 में इस एक्ट के प्रावधानों में कुछ संशोधन किए गए, जो कि सन् 2009 से लागू हुए। मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि आईटी एक्ट कुल 13 अध्यायों में विभक्त है। इसमें विभिन्न प्रावधानों से जुड़ी कुल 94 धाराएं हैं।
मित्रों, आपको बता दें कि साइबर अपराधों (cyber crimes) की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अब प्रत्येक थाने में एक साइबर सेल (cyber cell) होता है। इसमें आईटी के एक्सपर्ट (IT experts) बंदे होते हैं जो कि स्थानीय स्तर (local level) पर सोशल मीडिया पोस्टों (social media posts) पर नजर रखते हैं। इसके अलावा बहुत से लोग 100 नंबर पर फोन करके भी इस प्रकार की पोस्ट की जानकारी पुलिस तक पहुंचाते हैं।
या फिर वह संबंधित पुलिस की ईमेल आईडी (email ID) के जरिए इस तरह की भड़काऊ पोस्ट की जानकारी पुलिस तक पहुंच जाती है। बहुत बढ़िया भी होता है कि इस तरह की पोस्ट को कोई संबंधित पुलिस के साथ टैग कर देता है या सोशल मीडिया पर संबंधित भड़काऊ पोस्ट का स्क्रीनशॉट (screen shot) पुलिस को भेज देता है, जिसके बाद पुलिस एक्शन (action) में आती है।
मित्रों, आप यह भी देख रहे होंगे कि इन दिनों सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डाले जाने का चलन काफी बढ़ गया है। आखिर इसकी वजह क्या है? (What is the reason of this?) इसकी वजह यह है कि लोगों को घर बैठे बैठे मन की भड़ास निकालने का एक रास्ता हाथ लग गया है। उन्हें मोबाइल फोन (mobile phone) उठाकर सोशल मीडिया (social media) पर कुछ भी पोस्ट कर देना बेहद आसान लगता है।
ऐसे बहुत कम लोग होते हैं, जो पोस्ट (post) डालने के बाद के असर के बारे में सोचते हैं। उन्हें इस तरह की पोस्ट डालने के बाद की पुलिसिया कार्रवाई या एक्शन (police action) के बारे में भी अधिक जागरूकता (awareness) नहीं होती। वे सोचते हैं कि उन्होंने चंद लाइन नहीं तो लिखी है उसका क्या फर्क पड़ जाएगा। बहुत से लोग अपनी असली पहचान (real identity) छुपाकर इस तरह की भड़काऊ पोस्ट डालते हैं।
वे यह नहीं जानते कि यदि इनके द्वारा सोशल मीडिया पर डाली गई भड़काऊ पोस्ट पर शिकायत होती है तो पुलिस उनके मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप (mobile, computer or laptop) के आईपी एड्रेस (ip address) से उन तक आसानी से पहुंच सकती है। यदि वे अपने पोस्ट डालने से पहले 2 बार यह सोचें कि उनकी सोशल मीडिया पर डाली गई भड़काऊ पोस्ट का क्या असर हो सकता है? या इससे क्या क्या मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं तो शायद सोशल मीडिया पर हम और आपको भड़काऊ पोस्ट ना देखने को मिलें।
भड़काऊ पोस्ट क्या होती है?
ऐसी पोस्ट जिससे कि धार्मिक अथवा अन्य भावनाएं भड़कें, भड़काऊ पोस्ट कहलाती है।
क्या सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालना अपराध है?
जी हां सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालना अपराध है।
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालना किस अपराध की कैटेगरी में आता है?
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालना साइबर अपराध की कैटेगरी में आता है।
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने पर कौन सी धारा लगती है?
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने पर आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत कार्रवाई होती है।
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने पर कितनी सजा मिलती है?
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट का दोषी होने पर 3 साल तक की सजा मिल सकती है। जिसे विशेष मामलों में बढ़ाया भी जा सकता है।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आप को जानकारी दी कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने पर कौन सी धारा लगती है? उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट के सभी बिंदु आपको स्पष्ट हो गए होंगे। इसके बावजूद यदि इस विषय पर कोई सवाल आपके दिमाग में है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमसे पूछ सकते हैं। ।।धन्यवाद।।