सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने में कौन सी धारा लगती है? | Which section is applicable on spreading the rumours on social media? | सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ आईपीसी में क्या प्रावधान किया गया है? | क्या सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना अपराध है? ||
सोशल मीडिया के रूप में एक बेहद मजबूत हथियार लोगों के हाथ में है। इन प्लेटफॉर्म की सहायता से नेटवर्किंग करना बेहद आसान हो गया है। लोग इसके जरिए नौकरी तलाशते हैं। अपना कारोबार बढ़ाते हैं। वहीं, फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म लोगों को अपने पुराने मित्रों से मिलने, नए दोस्त बनाने में सहायक हैं।
लेकिन जब इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अफवाह फैलाई जाती है, तब ये बड़े पैमाने पर नुकसान भी करते हैं। इस तरह के नुकसान पर रोक के लिए कानून में कुछ प्रावधान भी किए गए हैं। सोशल मीडिया में अफवाह फैलाने पर कौन सी धारा लगती है? (Which section is applicable on spreading the rumours on social media?)। आज इस पोस्ट में हम इसी संबंध में हम विस्तार से जानेंगे। आइए, शुरू करते हैं-
अफवाह क्या होती है? (What is a rumour?)
साथियों, आगे बढ़ने से पूर्व सबसे पहले यह जान लेते हैं कि अफवाह (rumour) क्या होती है? आम तौर पर ज्यादातर लोग झूठे कथनों और असत्य तथ्यों को ही अफवाह की संज्ञा दे देते हैं। लेकिन यदि सामाजिक विज्ञान की बात करें तो उसमें ऐसे कथनों को अफवाह कहा गया है, जिनकी सत्यपरकता यानी कि उनकी सच्चाई की शीघ्र अथवा कभी भी जांच न की जा सके। वहीं, कुछ विद्वान इसे अधिप्रचार का ही एक रूप करार देते हैं।
अफवाह को कुछ उदाहरणों से कैसे समझें? (How to understand rumour through some examples?)
मित्रों, अफवाह के बहुत सामान्य स्वरूप तब देखने को मिलते हैं जब किसी सेलिब्रिटी के मरने के बारे में खबर आती है, जबकि वे जीवित होते हैं। यहां खबर देने वाले मौत की खबर की सतह पर रखना की जांच नहीं करते। जैसे ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार को ही ले लीजिए। कई बार सोशल मीडिया पर उनकी मौत की अफवाह उड़ी।
लेकिन सबसे ज्यादा नुकसानदेह वे अफवाहें होती हैं, जिनकी वजह से कोई सांप्रदायिक दंगा भड़कता है अथवा किसी महिला के शील या उसकी मान प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है। समाज में उसकी रुसवाई होती है। सांप्रदायिक दंगों में तो अफवाह की वजह से कई बार बहुत सी जानें चली जाती हैं। यही वजह है कि ऐसी स्थिति में प्रभावित इलाकों में पुलिस एवं प्रशासन द्वारा सोशल मीडिया की निगहबानी की जाती है।
और यदि कोई अफवाह फ़ैलाने वाली पोस्ट सामने आती है, जो आग में घी का काम कर सकती है तो ऐसी पोस्ट करने वाले व्यक्ति पर कानून सम्मत कार्रवाई की जाती है। इस तरह के मामले का ताजा उदाहरण आप माफिया अतीक अहमद और अशरफ के मरने के बाद इलाहाबाद का ले सकते हैं। जहां पुलिस प्रशासन द्वारा अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की गई।
दोस्तों, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि क्या सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना अपराध यानी क्राइम (crime) की कैटेगरी में आता है? तो आपको बता दें कि जी हां, ऐसा करना साइबर अपराध (cyber crime) की श्रेणी में रखा गया है। सोशल मीडिया में कंप्यूटर (computer), इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (electronic device), मोबाइल फोन (mobile phone) अथवा अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (electronic medium) की मदद से किए जाने वाले अपराध (crime) को साइबर अपराध में शामिल किया गया है।
इन तमाम मामलों में कार्रवाई करने के लिए आईटी (संशोधन) एक्ट-2008 बनाया गया है। आपको बता दें दोस्तों कि सोशल मीडिया पर कोई भी ऐसी अफवाह फैलाना, जिससे किसी धर्म या जाति की भावनाओं को ठेस पहुंचे अथवा दंगा भड़के, किसी की निजता पर हमला हो, या किसी के मान को आंच पहुंचे, ये सभी साइबर अपराध माने जाते हैं। ऐसे में दोषी को आईटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
मित्रों, आपको बता दें कि यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का दोषी पाया जाता है तो उसे पर आईटी एक्ट-2000 की धारा 67 लगती है। इस धारा के अंतर्गत यदि कोई पहली बार सोशल मीडिया (social media) पर अफवाह फैलाने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है।
साथ ही साथ उस पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि संबंधित व्यक्ति यही अपराध (crime) दोहराता है और उस पर दोष साबित हो जाता है तो उसे 5 साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ ही 10 लाख रुपए तक का जुर्माना (penalty) भुगतना पड़ सकता है।
मित्रों, जान लीजिए कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (indian penal code) यानी आईपीसी (IPC) की धारा-505 के तहत भी प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति किन्हीं दो समूहों अथवा वर्गों के बीच नफरत फैलाने के लिए अफवाह का सहारा लेता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-505 के तहत केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।
मित्रों, इस बात को अच्छी तरह दिमाग में बैठा लीजिए कि झूठी जानकारी वाले ईमेल या मैसेज भेजना भी आपको जेल पहुंचा सकता है। इसके अतिरिक्त यदि सोशल मीडिया के जरिये अफवाह फैलाने पर तोड़-फोड़ होती है और सार्वजनिक संपत्ति (public property) का नुकसान होता है तो कानून में यह प्रावधान (provision) है कि इस नुकसान की वसूली (recovery of loss) अफवाह फैलाने वाले से ही की जाएगी।
दोस्तों, यह तो सभी जानते हैं कि सोशल मीडिया एक बहुत तेज मीडियम है। यहां जरा-सी बात सेकेंड्स के भीतर कहीं से कहीं पहुंच जाती है। कोई व्यक्ति एक जगह कमेंट करता है, जो उससे हजारों, लाखों किलोमीटर दूर बैठा शख्स सेकेंड्स में पढ़ लेता है। लोग सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट और कॉमेंट्स post and (comments) की सत्यता पर जाने में कोई रुचि (interest) नहीं दिखाता। होता यह है कि पल भर में एक पोस्ट को कई अन्य लोगों द्वारा भी शेयर (share) कर दिया जाता है।
यदि पोस्ट द्वारा कोई अफवाह फैलाई जा रही है तो वह चंद मिनट्स में ही लाखों लोगों तक पहुंच जाती है। और इसकी एक त्वरित प्रतिक्रिया (fast reaction) भी देखने को मिलती है जो कई बार नकारात्मक (negative) रूप में सामने आती है। ऐसे पोस्ट पर रोक लगा पाना कई बार पुलिस-प्रशासन (police -registration) के लिए बेहद सर दर्द भरा साबित होता है। हालांकि फेसबुक जैसे प्लेटफार्म (platform) सब स्वयं हिंसा (violence) व नकारात्मक टिप्पणियों वाली पोस्ट पर नजर रख रहे हैं।
वे इस प्रकार की पोस्टों को कम्युनिटी स्टैंडर्ड (community standard) पर खरा न पाते हुए पर इन पर प्रतिबंध (restrict) लगा देते हैं या उनकी रीच (reach) को कम कर देते हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाली पोस्टों के मद्देनजर अब केंद्र सरकार (central government) द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के संबंध में नए नियम (new rules) भी लाए गए हैं, ताकि इस प्रकार की पोस्ट पर कंट्रोल (control) किया जा सके। और अफवाहों के जारी नफरत फैलाने वाली पोस्टों पर रोक लगाई जा सके।
अफवाह क्या होती है?
अफवाह का अर्थ इन कथनों से लिया जा सकता है जिनकी सत्य परकता की शीघ्र तो कभी भी जांच नहीं की जा सकती।
क्या सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना अपराध है?
जी हां, ऐसा करना साइबर क्राइम की कैटेगरी में आता है।
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने में कौन सी धारा लगती है?
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने में आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत कार्यवाही होती है।
यदि कोई पहली बार सोशल मीडिया पर पर फैलाने का दोषी पाया जाता है तो उसे क्या सजा मिलती है?
यदि कोई पहली बार सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल की कैद हो सकती है। साथ ही उस पर ₹500000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
यदि कोई दूसरी बार सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का अपराध करता है तो उस पर क्या कार्रवाई होती है?
यदि कोई दूसरी बार सोशल मीडिया पर फैलाने का अपराध करता है तो उसे 5 साल तक की सजा मिल सकती है। इसके साथ ही उस पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको जानकारी दी कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने पर कौन सी धारा लगती है। उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट के सारे बिंदु आपको स्पष्ट हो गए होंगे। इसके बावजूद यदि इस पोस्ट के संबंध में आप कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।