मार्कोस कौन होते हैं? मार्कोस कैसे बना जा सकता है?

भारतीय सूरमा अपनी बहादुरी के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। समय-समय पर विभिन्न ऑपरेशंस में उन्होंने इस बात को साबित भी किया है। हमारे देश में सेना में जाकर देश की सेवा में जान निछावर करने वाले युवाओं की कमी नहीं।

इनमें से हजारों ऐसे हैं, जो मार्कोस बनना चाहते हैं। क्या आप जानते हैं कि मार्कोस क्या होता है? मार्कोस कैसे बन सकते हैं? यदि नहीं, तो भी चिंता ना करें। आज इस पोस्ट में हम आपको इस संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

Contents show

नेवी क्या है? (What is Navy?)

दोस्तों, इससे पूर्व कि हम मार्कोस पर बात करें, आइए यह जान लेते हैं कि नेवी क्या है? दोस्तों, नेवी (Navy) यानी नौसेना हमारे देश देश की संगठित समुद्री सेना को पुकारा जाता है। इसमें युद्ध पोत, क्रूज़र, ध्वंसक, वायुयान वाहक, पानी के नीचे सुरंगें बिछाने एवं नष्ट करने के साधन, समुद्री तटों पर निर्माण एवं देखभाल, प्रशासन, कमान, इनसे जुड़े रिसर्च संस्थान आदि सभी कुछ शामिल हैं।

मार्कोस कौन होते हैं मार्कोस कैसे बना जा सकता है

दोस्तों, आपको यह भी बता दें कि हमारे देश में नेवी के दो प्रकार हैं। पहला इंडियन नेवी यानी भारतीय नौसेना, जो कि जहाजों समेत विभिन्न साधनों से देश की समुद्री सीमा की रक्षा करती है। दूसरा मर्चेंट नेवी, जो कि कॉमर्शियल है। इसमें यात्रियों एवं सामान को जहाजों के जरिए एक से दूसरे स्थान ले जाया जाता है।

मार्कोस कौन होते हैं? (Who is a Marcos?)

दोस्तों, आपको बता दें कि मरीन कमांडो (marine commando) मार्कोस कहलाते हैं। वे नेवी (navy ) यानी भारतीय नौसेना की मरीन कमांडो फोर्स (Marine commando force -MCF) का हिस्सा होते हैं। दोस्तों, मार्कोस कमांडर को पानी के भीतर खतरों से खेलने और विभिन्न अभियानों को अंजाम देने में महारथ हासिल है।

चाहे होस्‍टेज रेस्‍क्‍यू (Hostage rescue) यानी दुश्मन /समुद्री लुटेरों से बंधकों को छुड़ाने का अभियान हो या फिर गैर परंपरागत युद्ध, ये तमाम ऑपरेशन को सफलता के साथ अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं। वे समुद्र के साथ ही हवा और जमीन पर भी विभिन्न ऑपरेशंस को अंजाम देते हैं।

कश्मीर में आतंक निरोधी अभियान में भी उनका बड़ा योगदान है। उनके द्वारा नियमित रूप से झेलम नदी और वूलर झील के करीब 65 वर्ग किलोमीटर (16,000 एकड़) क्षेत्र में गश्त की जाती है। इनका ध्येय वाक्य The few, The fearless है। इन्हें दाढ़ी वाला फौज के उपनाम से भी पुकारा जाता है।

मार्कोस नेवी की किस यूनिट का हिस्सा होते हैं? (Marcos are a part of Navy’s which unit?)

दोस्तों, आपको बता दें कि मार्कोस नेवी की मरीन कमांडो फोर्स (Marine commando force) यानी एमसीएफ (MCF) का हिस्सा होते हैं। दोस्तों आपको बता दें कि गठन के समय इसका नाम भारतीय समुद्री विशेष बल यानी इंडियन मरीन स्पेशल फोर्स (Indian marine special force -MCF) रखा गया था, जिसे बदलकर बाद में मरीन कमांडो फोर्स किया गया।

एमसीएफ की स्थापना कब हुई थी? (When was MCF got established?)

दोस्तों, आपको बता दें कि एमसीएफ की स्थापना आज से तकरीबन 37 वर्ष पूर्व सन् 1987 में हुई थी। दरअसल, इससे ठीक एक वर्ष पूर्व सन् 1986 में भारतीय नौसेना द्वारा एक स्पेशल फोर्स यूनिट (special force unit) की स्थापना का खाका तैयार किया गया था।

उसका इरादा एक ऐसी यूनिट बनाने का था, जो समुद्री अभियान चलाने, छापे मारी करने, दुश्मन की टोह लेने व आतंक-रोधी (anti terrorist) अभियानों को अंजाम देने में सक्षम (efficient) हो। इसके लिए सन् 1955 में नौ सेना द्वारा बनाई गई डाइविंग यूनिट (diving unit) से तीन अफसरों का चयन किया गया।

उन्होंने कोरोनाडो में यूनाइटेड स्टेट्स (United States) की नेवी सील (seal) के साथ प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (training course) पूरा किया। दोस्तों, फरवरी, 1987 में IMSF के आधिकारिक रूप से (officially) अस्तित्व में आने के बाद तीनों अधिकारी इसके पहले सदस्य बनाए गए। दोस्तों, IMSF की स्थापना के ठीक चार वर्ष बाद सन् 1991 में इसका नाम बदलकर मरीन कमांडो फोर्स (Marine commando force) कर दिया गया।

मार्कोस का मुख्य रूप से क्या कार्य होता है? (What is the main function of Marcos?)

दोस्तों मार्कोस का नाम सुनते ही दुश्मन के हौसले पास हो जाते हैं लिए जान लेते हैं कि मार्कोस क्या क्या करते हैं –

  • स्पेशल सर्विलांस और सर्च ऑपरेशन (special servilliance and search operation)
  • डाइविंग आपरेशन और स्पेशल रेड्स (Diving operation and special raids)
  • शत्रु क्षेत्र के भीतर सीक्रेट आपरेशन। (Secret operation in enemies’ areas)
  • प्रत्यक्ष कार्रवाई (straight action)
  • बंधक बचाव अभियान (hostage rescue operation)।
  • आतंकवाद विरोधी अभियान (anti terrorist operations)।
  • गैर परंपरागत युद्ध (non conventional war)
  • समुद्री सीमाओं की सुरक्षा (Marine boundaries Defence)।
  • वायु सीमा सुरक्षा में मदद (assistance in air boundaries defence)।

मार्कोस किन किन ऑपरेशन में अपनी धाक जमा चुके हैं? (Name the operations where Marcos have proved themselves?)

मित्रों, आपको बता दे की मार्कोस ने कई बार ऑपरेशन चला कर आतंकियों/ दुश्मन के कब्जे से बंधकों को मुक्त कराया है। कई आतंक निरोधी अभियान चलाए हैं। इसके अलावा भी खतरों के इन खिलाड़ियों ने एयर फोर्स आर्मी आदि के साथ मिलकर उनके ऑपरेशंस महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं-

  • ऑपरेशन कैक्टस (operation cactus)।
  • ऑपरेशन पवन (operation Pawan)।
  • कारगिल युद्ध (Kargil war)।
  • ऑपरेशन काला बवंडर (operation black thunder)।
  • ऑपरेशन साइक्लोन (operation cyclone)।
  • कश्मीर में आतंक विरोधी ऑपरेशन (anti terrorism operations in Kashmir)।

वर्तमान में मार्कोस का संचालन कहां से होता है? (Where Marcos are get operated at present)

दोस्तों, आपको बता दें कि नौसेना का संचालन मुंबई (Mumbai), गोवा (Goa), विशाखापत्तनम (Vishakhapatnam), कोच्चि (kochhi) एवं पोर्ट ब्लेयर (Portblair) स्थित नौसैनिक अड्डों से होता है। लेकिन यदि मार्कोस की बात करें तो स्थापना के वक्त आईएनएस अभिमन्यु (INS Abhimanyu) मार्कोस का आधार यानी बेस (base) था।

यह तो आप समझ गए होंगे कि इस आईएनएस का नाम महाकाव्य महाभारत के एक पात्र अभिमन्यु के नाम पर रखा गया था। दोस्तों, यह बेस पश्चिमी नौसेना कमान (Western navel command) का एक हिस्सा है। इसका निर्माण मूल रूप से सन् 1974 में किया गया था।

1 मई, 1980 में इसे चालू किया गया। आपको बता दें दोस्तों कि सन् 1987 में इंडियन स्पेशल मरीन फोर्स का गठन आईएनएस अभिमन्यु (IMS Abhimanyu) पर ही हुआ था। इसके ठीक 29 साल बाद 12 जुलाई, 2016 को विशाखापत्तनम (vishakhapatnam) के पास आईएनएस कर्ण (INS Karna) को नौसेना बेस और यूनिट के गैरीसन (Garrison) तथा स्थायी आधार (permanent base) के रूप में कमीशन (commission) किया गया। यही इसका मुख्यालय (headquarters) है।

मरीन कमांडो कैसे बना जा सकता है? (How one can become a Marine commando?)

दोस्तों, बहुत से युवा सेना में जाकर देश की सेवा करने का सपना रखते हैं। इनमें से बहुत से मरीन कमांडो भी बनना चाहते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि वह मरीन कमांडो (Marine commando) कैसे बन सकते हैं? तो आपको बता दें कि मरीन कमांडो को भारतीय नौसेना से चुना जाता है। इसके लिए उन्हें यह करना होगा –

  • कक्षा 12 उत्तीर्ण करें।
  • इसके बाद सीडीएस/आईएनईटी (CDSE) / INET/NDA) का टेस्ट दें।
  • टेस्ट में उत्तीर्ण होने के बाद फिजिकल/मेडिकल जैसे मापदंडों पर खरा उतरना होगा।
  • नाविक या अधिकारी के रूप में नेवी ज्वाइन करने के बाद मार्कोस के लिए चयनित हो सकते हैं।
  • आप चाहें तो ग्रेजुएशन के बाद NCC (National Cadet Corps) के जरिए भी नेवी में भर्ती हो सकते हैं, लेकिन मार्कोस बनने के लिए 20 वर्ष से कम आयु रखी गई है।
  • एक मरीन कमांडो के लिए चयन मानक (selection standard) बेहद उच्च हैं।
  • मार्कोस बनने के लिए सख्त चयन एवं प्रशिक्षण प्रक्रिया (selection process and training) से गुजरना होता है।

मरीन कमांडो की ट्रेनिंग कैसी होती है? (How is the Marine commando training?)

दोस्तों, आपको बता दे की मरीन कमांडो की ट्रेनिंग इतनी सख्त होती है कि बेहद सख्त जान युवा ही इस ट्रेनिंग को पार कर पाते हैं। मार्कोस में शामिल होने के इच्छुक भारतीय नौसेना कर्मियों को सबसे पहले बेहद सख्त शारीरिक फिटनेस (physical fitness) एवं एप्टीट्यूड टेस्ट (aptitude test) से गुजरना होता है। आपको बता दें कि शुरुआती ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाने में अमेरिकी एवं ब्रिटिश स्पेशल फोर्सेज की भी सहायता ली गई है। वर्तमान में नए रंगरूटों के लिए साढ़े सात से आठ महीने का ट्रेनिंग प्रोग्राम (training program) चलता है।

मार्कोस की ट्रेनिंग कहां कहां होती है? (Where Marcos get the training?)

दोस्तों, आपको बता दें कि मरीन कमांडो की ज्यादातर ट्रेनिंग मार्कोस के घरेलू बेस INS अभिमन्यु पर होती है। उसके बाद इन्हें विभिन्न ट्रेनिंग स्कूलों में स्पेशल ट्रेनिंग (special training) दी जाती है। यहां भारतीय सेना के स्पेशल फोर्स के अधिकारियों के साथ ट्रेनिंग देने के अलावा अपरंपरागत युद्ध (non conventional war) के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है। ये स्कूल इस प्रकार से है-

  • कमांडो ट्रेनिंग विंग, बेलगावी (कर्नाटक)
  • पर्वत घटक स्कूल, तवांग (अरुणाचल प्रदेश)
  • इंडियन स्पेशल फोर्स ट्रेनिंग स्कूल-नाहन (हिमाचल प्रदेश)।
  • जूनियर लीडर्स कमांडो ट्रेनिंग कैंप, बेलगाम (कर्नाटक)।
  • डेजर्ट वॉरफेयर स्कूल, (राजस्थान)।
  • हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग (कश्मीर)।
  • काउंटर-इनसर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल, वैरेंगटे (मिजोरम)।
  • इंडियन नेवी डाइविंग स्कूल, कोच्चि।
  • स्पेशल फोर्सेज ट्रेनिंग स्कूल, बकलोह (हिमाचल प्रदेश)
  • पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल, आगरा (उत्तर प्रदेश)
  • आर्मी एयरबोर्न ट्रेनिंग स्कूल, आगरा (उत्तर प्रदेश)

मार्कोस की ट्रेनिंग में क्या क्या शामिल होता है? (What is included in the training of Marcos?)

बताएं कि मार्कोस को हर तरह की स्थिति के लिए तैयार रहना पड़ता है होना केवल समुद्र में बल्कि जमीन पर और हवा में भी सुना को मदद करते हैं। ऐसे में उन्हें न केवल बेसिक कमांडो स्किल सिखाए जाते हैं, बल्कि बेसिक डाइविंग कोर्स के जरिए निपुण गोताखोर बनाया जाता है। साथ ही उन्हें विभिन्न हथियारों के संचालन की ट्रेनिंग दी जाती है।

उन्हें चाकू, स्नाइपर राइफल, हैंडगन, क्रॉसबो असॉल्ट राइफल, मशीन गन चलाने में निपुण बनाया जाता है। हथियार और उपकरणों में प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अलावा एयरबोर्न ट्रेनिंग, पनडुब्बी संचालन, बेसिक पैराशूट ट्रेनिंग, पैराशूट फ्री फॉलिंग, हाई माउंटेन वाॅरफेयर डेजर्ट वाॅरफेयर, एक्स्प्लोजन, जैसी तमाम चीजों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में ऑपरेशन के नजरिए से उन्हें भाषाई कौशल यानी लैंग्वेज स्किल (language skills) में भी निपुण बनाया जाता है।

मार्कोस ट्रेनिंग में ‘ हेल वीक’ क्या होता है? (What is hell week in Marcos training?)

दोस्तों, आपको बता दें कि यूनाइटेड स्टेट्स की नेवी सील्स (SEALS) में एक कमांडो स्क्रीनिंग प्रक्रिया (screening process) ‘हेल वीक’ है। ठीक उसी तर्ज पर इंडियन नेवी में भी कमांडो की स्क्रीनिंग प्रक्रिया को हेल वीक (hell week)पुकारा जाता है। इसे आप हिंदी में नर्क सप्ताह कहकर भी पुकार सकते हैं।

ट्रेनिंग के लिहाज से यह पांच दिन का सप्ताह होता है, जो रविवार शाम से शुक्रवार सुबह तक चलता है। इस बीच प्रशिक्षुओं को हर दिन 20+ घंटे तक कठोर फिजिकल ट्रेनिंग से गुजरना होता है। इसमें रबर की नाव का बोझ ढोकर 200 मील से भी अधिक दौड़ना भी शामिल है।

रेत, पानी सभी जगह एक्सरसाइज करने के बाद सोने के लिए उन्हें चार घंटे से भी कम समय मिलता है। इसी का एक हिस्सा डेथ क्रॉल भी है, जिसमें 25 किलो का वजन लेकर प्रशिक्षु को कई किलोमीटर ऊंचाई पर चढ़ने, बाधाओं को पार करने जैसे इम्तिहान देने होते हैं। जो इन परीक्षाओं में खरा उतरता है, मार्कोस बनने की राह पर आगे बढ़ सकता है।

मार्कोस ट्रेनिंग की ड्राप आउट दर क्या है? (What is the Marcos training’s drop out rate?)

दोस्तों, जान लीजिए कि मार्कोस की ट्रेनिंग इतनी सख्त मानी जाती है कि इसकी औसत ट्रेनिंग ड्रॉप-आउट रेट (drop out rate) 80% से अधिक है। जी हां दोस्तों, इसका अर्थ यह है कि चयन प्रक्रिया (selection process) के दौरान 80 ही फीसदी आवेदकों की स्क्रीनिंग (screening) कर दी जाती है। उन्हें बाहर कर दिया जाता है।

हाल ही में मार्कोस चर्चा में क्यों रहे हैं? (Why Marcos have been in news recently?)

दोस्तों, आपको बता दें कि कुछ ही समय पूर्व समुद्री डाकुओं द्वारा लाइबेरिया के ध्वज वाले बल्क कैरियर (bulk carrier) एमवी लीला नॉरफॉक को का अपहरण करने का प्रयास किया गया था। वहां सूचना मिलते ही भारतीय नौसेना के मार्कोस पहुंच गए थे। समुद्री डाकू रात के अंधेरे में भाग खड़े हुए। मार्कोस द्वारा विमान में सवार सभी 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाला गया, जिनमें 15 भारतीय भी थे। तभी से हर ओर मार्कोस की चर्चा है।

मार्कोस बनने के लिए एक युवा में क्या खासियत होनी चाहिए? (What is speciality a youth should have to be a markos?)

दोस्तों, हर कोई मार्कोस नहीं बन सकता। मार्कोस बनने के लिए एक युवा में कुछ खासियत आवश्यक रूप से होनी चाहिए, जो कि इस प्रकार से हैं-

शारीरिक फिटनेस (physically fitness):

मार्कोस बनने के लिए एक युवक को फिजिकली फिट होना बेहद आवश्यक है। यह तो आप जानते ही हैं कि इसीलिए कड़ी शारीरिक परीक्षा से गुजरना पड़ता है। यदि आप शारीरिक रूप से मजबूत नहीं है तो मार्कोस बनने की सोच भी नहीं सकते।

मानसिक मजबूती (mentally strong):

मार्कोस बनने के लिए शरीर के साथ ही मेंटली भी बहुत स्ट्रांग होने की आवश्यकता है। कई बार मार्कोस को ऐसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, जहां मानसिक रूप से मजबूत हुए बिना कोई ठहर ही नहीं सकता।

त्वरित निर्णय (quick decision maker) :

मार्कोस को अपनी स्थिति के अनुसार तेजी से निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। ऐसे में यदि कोई युवा मार्कोस बनना चाहता है तो उसमें त्वरित निर्णय लेने की क्षमता अवश्य होनी चाहिए।

विश्लेषण की क्षमता (analytical ability) :

मार्कोस को विभिन्न ऑपरेशंस (operations) में हिस्सा लेना पड़ता है। तरह तरह की स्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उनमें स्थितियों का विश्लेषण (analysis) करने की क्षमता होनी चाहिए।

टेक्निक फ्रेंडली (technique friendly) :

यह तो आप जानते ही हैं कि इन दिनों परंपरागत युद्ध (conventional war) की जगह गैर परंपरागत युद्ध (non conventional war) अधिक लड़े जाते हैं। ऐसे में मार्कोस बनने के इच्छुक युवा का टेक्निक फ्रेंडली (technique friendly) होना बेहद आवश्यक है। खास तौर पर कंप्यूटर में दक्षता (efficiency in computer) समय की मांग है।

FaQ

मार्कोस कौन होते हैं?

मरीन कमांडो को ही मार्कोस कहा जाता है?

मार्कोस किसका हिस्सा होते हैं?

मार्कोस इंडियन नेवी की मरीन कमांडो फोर्स का हिस्सा होते हैं।

मरीन कमांडो फोर्स की स्थापना कब हुई?

मरीन कमांडो फोर्स की स्थापना 1987 में इंडियन मरीन स्पेशल फोर्स के रूप में हुई थी।

इंडियन मरीन स्पेशल फोर्स का नाम कब बदला गया?

इंडियन मरीन स्पेशल फोर्स का नाम सन् 1991 में बदला गया।

मार्कोस को ट्रेनिंग देने वाले विभिन्न स्कूल कहां-कहां हैं?

ऐसे प्रमुख स्कूलों की सूची हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है। आप वहां से देख सकते हैं।

हेल वीक क्या होता है?

यह मार्कोस की स्क्रीनिंग का हिस्सा होता है। यह 5 दिन का होता है। इस दौरान प्रशिक्षुओं को हर दिन 20 घंटे से अधिक शरीर तोड़ना पड़ता है। वे केवल चार ही घंटे सो पाते हैं।

मार्कोस ट्रेनिंग का ड्राप आउट रेट क्या है?

मार्कोस ट्रेनिंग का ड्रॉप आउट रेट करीब 80% है।

मार्कोस का घरेलू बेस क्या है?

आईएनएस अभिमन्यु मार्कोस का घरेलू बेस है।

मार्कोस बनने के लिए युवा में क्या खूबियां होनी चाहिए?

इन खूबियों के संबंध में हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताया है। आप वहां से देख सकते हैं।

मार्कोस का ध्येय वाक्य क्या है?

मार्कोस का ध्येय वाक्य The few, The fearless है।

दोस्तों, इस पोस्ट (Post) में हमने आपको बताया कि मार्कोस कौन होते हैं? मार्कोस कैसे बन सकते हैं? उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। इस पोस्ट को सेना में जाने के इच्छुकों के साथ अवश्य शेयर करें। इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई भी सवाल आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके भेज सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
[fluentform id="3"]

Leave a Comment