|| रुपये में गिरावट का क्या अर्थ है? रुपये की तुलना डालर से ही क्यों की जाती है? डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों गिर रहा है? रुपये में गिरावट का क्या असर होता है? (What is the meaning of fall in rupee? Why rupee is compared to dollar only? What is the impact of fall in rupee?) ||
इन दिनों आप रोज डालर (dollar) के मुकाबले रुपये (rupee) के गिरने की बात सुनते होंगे। कुछ ही समय पूर्व रुपये में भारी गिरावट आई थी और वह लुढ़ककर 77.72 प्रति डालर के रिकार्ड निचले स्तर आ गया था। इससे खलबली मच गई थी।
आपके मन में भी आता होगा कि आखिर यह रुपया गिरता क्यों है? इसका मतलब क्या है? इसकी गिरावट डालर के मुकाबले ही क्यों आंकी जाती है? रुपये के गिरने से क्या नुकसान होता है? यदि आप इन सब प्रश्नों के जवाब चाहते हैं तो आज हमारी यह पोस्ट आपके लिए ही है। आपको इस पोस्ट को शुरू से अंत तक पढ़ते चले जाना है। आइए, शुरू करते हैं-
रुपया क्या है? (What is rupee?)
दोस्तों, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि रुपया क्या होता है? (what is rupee?) आपको बता दें कि रुपया, जिसे अंग्रेजी में rupee पुकारा जाता है, इंडियन करेंसी (indian currency) यानी भारतीय मुद्रा का प्रचलित नाम है।
आपको बता दें कि भारत (India) के अलावा पड़ोसी देश पाकिस्तान (pakistan), नेपाल (Nepal), इंडोनेशिया (Indonesia), मालदीव (Maldives), मारीशस (Mauritius), श्रीलंका (srilanka) आदि देशों की मुद्रा भी रुपया ही है। इसके अतिरिक्त अफगानिस्तान (Afghanistan), तिब्बत (Tibet) आदि की पूर्व मुद्रा (ex currency) भी रुपया ही थी।
रुपया शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले किसने किया? (Who used the word rupaiya for the first time?)
मित्रों, लगे हाथों आपको बता दें कि रुपया शब्द का इस्तेमाल सबसे कहां और किसने किया? दोस्तों, इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले शेरशाह सूरी (shershah Suri) ने भारत में 1540-1545 के बीच अपने शासनकाल के दौरान किया था। अलबत्ता, उन्होंने जो रुपया चलाया, वह एक चांदी का सिक्का (silver coin) था।
उनके द्वारा चलाए गए इस सिक्के का भार (weight of the coin) करीब 178 ग्रेन यानी 11.53 ग्राम था। रुपये के अतिरिक्त शेरशाह सूरी ने तांबे एवं सोने के सिक्के भी चलाए। इन्हें क्रमशः दाम एवं मोहर पुकारा जाता था।
रुपये में गिरावट का क्या अर्थ है? (What is the meaning of fall in rupee?)
अब आपको बताते हैं कि रुपये में गिरावट का क्या अर्थ है? दरअसल, जब रुपये की कीमत (value of rupee) डालर (dollar) के सापेक्ष कम हो जाती है तो इसे रुपये में गिरावट (fall in rupee) पुकारा जाता है। इसका सीधा सा अर्थ यह होता है कि एक डालर के मुकाबले आपको अधिक रुपया चुकाना होगा।
अब हम आपको जानकारी देंगे कि रुपये का अमेरिकी डालर के मुकाबले कमजोर होने का क्या अर्थ है? इसका जवाब हम आपको एक उदाहरण के साथ देना चाहेंगे। मान लीजिए कि हम अमेरिका के साथ कुछ कारोबार कर रहे हैं। अमेरिका के पास 74000 रूपये हैं और हमारे पास 1000 डालर। डालर का भाव 74 रूपये है तो इसका अर्थ कि दोनों के पास बराबर रकम है।
ऐसे में यदि हमें अमेरिका में कोई चीज मंगनी है, तो हमें अधिक खर्च करना होगा। यह आप भी जानते होंगे कि हमारे यहां से आयात (import) अधिक होता है और निर्यात (export) कम। ऐसी स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक (Indian reserve Bank) यानी आरबीआई (RBI) अपने भंडार (reserve) एवं विदेश से डालर खरीदकर बाजार में इसकी आपूर्ति (supply) सुनिश्चित करता है।
रुपये की तुलना डालर से ही क्यों होती है? (Why rupee is compared to dollar only?)
अब आपके दिमाग में यह सवाल अवश्य आ रहा होगा कि रुपये के स्तर को नापने के लिए डालर ही बेंचमार्क (benchmark) क्यों है? किसी अन्य देश की मुद्रा (another country’s currency) से इसकी तुलना क्यों नहीं होती है। तो दोस्तों, इसकी वजह यह है कि अमेरिकी डालर (american dollar) को वर्ल्ड करेंसी (world currency) यानी वैश्विक मुद्रा का दर्जा हासिल है।
अधिकांश देश अपने आयात के बिल (import bills) डालर में ही चुकाते हैं। अंतरराष्ट्रीय बैंकों (international banks) में डालर की विदेशी मुद्राओं (foreign currencies) की तुलना में हिस्सेदारी 64 प्रतिशत से अधिक है। 85 प्रतिशत से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार (international trade) में, जिसमें कच्चा तेल (crude oil) भी शामिल है, अमेरिकी डालर शुमार है। इसके अतिरिक्त इंटरनेशनल लेवल (international level) पर करीब 40 फीसदी लोन डालर में मंजूर हैं।
रुपये की कीमत पर किन किन चीजों का असर होता है? (What makes an impact on the value of rupee?)
दोस्तों, रुपये की कीमत कभी एक चीज पर निर्भर नहीं रहती। रुपया कभी आर्थिक हालात (economic condition) से प्रभावित होता है तो कभी सियासी हालात (political condition) से। रुपये की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं पूर्ति (demand and supply) पर तो निर्भर करती ही है।
इसके अतिरिक्त आयात एवं निर्यात (import and export) का भी प्रभाव इस पर पडता है। रुपये में इन दिनों देखे जाने वाली गिरावट की बात करें तो रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) एक महत्वपूर्ण कारक (important factor) है। रूस (Russia) चूंकि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल निर्यातक देश (crude oil exporter country) है। ऐसे में निश्चित रूप से आपूर्ति (supply) बाधित होने से कीमतों में तेजी आई है।
वजह यह है कि अमेरिका (America) एवं चीन (China) के बाद भारत (India) दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता (oil consumer) है। इसके अलावा वैश्विक अनिश्चितता के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (foreign portfolio investors) स्टाक एवं बांड मार्केट (stock and bond market) से पैसा निकाल रहे हैं।
यह तो आप जानते ही हैं कि प्रत्येक देश के पास उस विदेशी मुद्रा (foreign currency) का भंडार होता है, जिसमें वह लेन-देन (transaction) करता है। दरअसल, विदेशी मुद्रा का भंडार घटने एवं बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा की गति तय होती है। अब विदेशी मुद्रा का भंडार कम होगा और इसकी मांग अधिक होगी तो निश्चित रूपये उसकी कीमत बढ़ेगी।
डालर के मुकाबले रुपये में गिरावट का क्या असर होता है? (What is the impact of fall in rupee in comparison to dollar?)
अब आपके मस्तिष्क में यह सवाल अवश्य आ रहा होगा कि आखिर रुपये की गिरती कीमत का क्या असर होगा? तो दोस्तों आपको बता दें कि इससे देश के बाहर से आने वाला सामान महंगा हो जाएगा। जैसे क्रूड आयल, इलेक्ट्रानिक सामान, उर्वरक आदि। इसके अतिरिक्त विदेश शिक्षा, विदेश यात्रा, विदेश में कार्यक्रम आदि सभी कुछ महंगा हो जाएगा।
इसकी वजह हम आपको बता ही चुके हैं कि ये सभी चीजें विदेश से आयात की जाती है। ऐसे में डालर के मुकाबले अधिक रुपया सामान मंगाने के लिए चुकाना होगा। भारत इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में दूसरे देशों से भी सामान आयात करता है। जिस वस्तु की मांग अधिक होती है, उसका मूल्य अधिक होता है।
क्या रुपये का गिरना हमेशा नुकसानदायक होता है? (Is fall in rupee always harmful?)
मित्रों, रुपये में गिरावट हमेशा नुकसानदायक नहीं होती। इसका कई पक्षों को लाभ भी होता है। जैसे भारत से सामान एवं सेवाओं का निर्यात करने वाले लोगों को इससे लाभ होगा। आपको बता दें कि भारत से बहुत से चीजें विदेशों को निर्यात (export) की जाती हैं, जैसे चाय, कॉफी, कलपुर्जे, चावल, मसाले, सी प्रॉडक्ट मीट आदि। रुपये में कमजोरी से इन लोगों को निश्चित रूप से लाभ होगा।
यहां दिक्कत यह है कि भारत का निर्यात उसके आयात की अपेक्षा काफी कम है। हमारा व्यापार घाटा (trade deficit) घटने के स्थान पर करीब 33 प्रतिशत और बढा है। एक रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष (financial year) 2024-2024 में हमारे देश भारत का करेंट एकाउंट डेफिसिट (current account deficit) बढ़ने की आशंका है।
रुपये में गिरावट रिजर्व बैंक के लिए कैसी मुश्किल खड़ी करती है? (What type of difficulty RBI has to face due to fall in rupee?)
साथियों, इस बात से तो आप भी वाकिफ हैं कि देश में महंगाई दर बरसों पुराने रिकार्ड तोड़ रही है। आम लोगों के लिए मुश्किल बहुत बढ़ गई है। लोन की ईएमआई महंगी हो चुकी है। विभिन्न वस्तुओं की थोक एवं फुटकर (whole sale and retail) कीमतें लगातार उछाल भर रही हैं। रुपये का गिरता स्तर हरेक के लिए चिंता की बात है ही, सबसे अधिक चिंता में इस वक्त भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई है।
पहली चीज तो यह है कि वह ब्याज दर (interest rate) बढ़ाकर महंगाई पर काबू पाने की जो कोशिश करता है, इससे उसे झटका लगता है, दूसरी ओर मुद्रा में गिरावट पर नियंत्रण (control to fall in currency) के लिए उसे विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया खरीदकर अपने पास रखी विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है।
आपको जानकारी दे दें कि बैंक रुपये में गिरावट रोकने के लिए केवल मार्च, 2024 में ही 20 अरब डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा स्पाट बाजार (spot market) में खर्च कर चुका है। अब यदि वह इस पर काबू पाने के लिए जून में मानिटरी पालिसी (monitary policy) की समीक्षा कर फिर से ब्याज दरें बढ़ाता है तो देश में पूंजी की लागत (cost of capital) बढ़ जाएगी और इसका जाहिर सी बात है कि इकोनामिक रिकवरी (economic recovery) पर बुरा असर पड़ने की आशंका है।
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रुपया क्या होता है?
रुपया भारत समेत कुछ अन्य देशों जैसे इंडोनेशिया, नेपाल, मारीशस, सेशेल्स आदि की मुद्रा का प्रचलित नाम है।
पहली बार रुपया शब्द का इस्तेमाल किसने किया?
पहली बार रुपया शब्द का इस्तेमाल शेरशाह सूरी ने किया।
रुपया गिरने का क्या अर्थ है?
रुपया गिरने का अर्थ डालर के मुकाबले डालर की कीमत में आई कमी से लगाया जाता है।
रुपया गिरने का क्या नुकसान है?
इससे हमें विदेश से आयात अथवा सामान एवं सेवाएं खरीदने के लिए अधिक रुपये का भुगतान करना पड़ता है। यानी सौदा महंगा पड़ता है। विदेश में शिक्षा, विदेश यात्राएं आदि महंगी हो जाती हैं।
हाल ही में रुपया क्यों बेहद चर्चा में रहा?
हाल ही में रुपये में रिकार्ड गिरावट दर्ज होने की वजह से रुपया चर्चा में रहा।
रुपये की गिरावट के लिए कौन से कारण जिम्मेदार हैं?
इसके लिए आर्थिक एवं सियासी दोनों ही प्रकार के हालात जिम्मेदार होते हैं।
क्या रुपये में गिरावट सदैव नुकसानदायक होती है?
जी नहीं, निर्यातकों के लिए यह लाभ प्रद भी होती है।
भारत में निर्यात की क्या स्थिति है?
भारत से मसाले, चावल, कलपुर्जे, चाय-कॉफी, सी प्रोडक्ट, मीट आदि का निर्यात अन्य देशों में होता है, लेकिन यदि आयात के मुकाबले देखें तो उसका निर्यात कम है.
दोस्तों, हमने इस पोस्ट (post) में आपको रुपये की गिरावट के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके बहुत काम आएगी। यदि आप इसी प्रकार की कोई जानकारीप्रद पोस्ट हमसे चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।