चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं? हिंदी में पूरी जानकारी

चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं? | Why there are potholes on the moon? | चांद इन दिनों चर्चा में क्यों है? | Why moon is in the news these days? | चांद की सतह पर करीब कितने गड्ढे बने हैं? | क्या चांद पर जमीन खरीदी जा सकती है? | Can land on moon be purchased? ||

बहुत पुराने समय से लोग अपने महबूब के चेहरे की तुलना चांद से करते आ रहे हैं। कवियों ने भी चांद की खूबसूरती की मिसाल देती कई कविताएं कही हैं, लेकिन सच यह है कि चांद पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं। विज्ञानियों ने इस बात को तथ्यों के साथ प्रमाणित किया है। क्या आप भी यही सोच रहे हैं कि चांद पर यह गड्ढे कहां से आए हैं? या चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं? तो इसका जवाब आज हम आपको देंगे। आपको बस इस पोस्ट को शुरू से अंत तक ध्यान से पढ़ना है। आइए, शुरू करते हैं –

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चांद यानी चंद्रमा क्या है? (What is moon?)

दोस्तों, हममें से हर कोई रात में चांद को आसमान पर चमकते देखता है। लेकिन सभी लोग यह बात नहीं जानते कि चांद यानी चंद्रमा क्या है? आज हम सबसे पहले यही समझेंगे। दोस्तों, यदि साधारण शब्दों में कहें तो चन्द्रमा हमारी पृथ्वी (earth) का इकलौता प्राकृतिक उपग्रह (natural satellite) है। यदि सौर मंडल की बात करें तो यह चंद्रमा उसका पांचवां एवं सर्वाधिक विशाल प्राकृतिक उपग्रह है।

चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं हिंदी में पूरी जानकारी

दोस्तों , आपको बता दें कि पृथ्वी के इस उपग्रह का आकार (shape) क्रिकेट बॉल की तरह गोल (round) है। बेशक, आपने चांद की रोशनी को लेकर कई उपमाएं सुनी होंगी, लेकिन सच यह है कि चांद खुद से नहीं चमकता। उसमें अपनी रोशनी नहीं होती।

यह सूर्य के प्रकाश (sun light) से आलोकित होता है। मित्रों, यदि पृथ्वी और चांद के बीच दूरी की बात करें तो यह कोई सैकड़ों या हजारों में नहीं, बल्कि लाखों में है। जी हां, आपने सही सुना है। पृथ्वी से चांद की दूरी 3 लाख, 84 हजार किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी के व्यास की करीब 30 गुना है।

चांद इन दिनों चर्चा में क्यों है? (Why moon is in the news these days?)

दोस्तों, इन दिनों हर कोई चांद यानी चंद्रमा की बातें कर रहा है। टीवी, वीडियो, रेडियो, अखबार सब जगह सिर्फ और सिर्फ चंद्रमा ही छाया है। दोस्तों, यह सब भारत के चंद्रयान मिशन की वजह से हो रहा है। भारत (India) द्वारा चंद्रयान-3 (chandrayaan-3) की 23 अगस्त, 2024 को चांद के दक्षिणी ध्रुव (south pole) पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग (soft landing) हुई है।

विक्रम लैंडर (Vikram lander) से प्रज्ञान रोवर (pragyan rover) निकल कर अपने काम में जुट गया है। इस रोवर में मूवमेंट (movement) के लिए 6 पहिए (wheels) लगाए गए हैं। रोवर गड्ढों को देखकर अपना रास्ता बदल पाने में भी सक्षम है। ऐसे में अब वहां से वह लगातार वैज्ञानिकों (scientists) तक चांद से जुड़े राज पहुंचाएगा।

चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं? (Why potholes are there on the surface of moon?)

दोस्तों, चांद के दक्षिणी ध्रुव (south pole) पर उतरे चंद्रयान-3 से भी यह बात साबित हुई है कि चांद पर गड्ढे और पहाड़ हैं। वहां किसी प्रकार का वातावरण (atmosphere) नहीं है। अब हम मुख्य मुद्दे पर आते हैं। और आपको बताते हैं कि चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं?

दोस्तों, दरअसल चांद और पृथ्वी (moon and earth) दोनों पर ही अंतरिक्ष (space) से आने वाले पत्थर गिरते रहते हैं। इन्हें उल्का पिंड भी पुकारा जाता है। चांद की सतह पर इन पत्थरों के गिरने, टकराने से ही गड्ढे बनते हैं। अंग्रेजी में इन्हें इम्पैक्ट क्रेटर (impact cretor) भी पुकारा जाता है। पृथ्वी पर अभी तक 180 इंपैक्ट क्रेटर खोजे गए हैं।

चांद की सतह पर करीब कितने गड्ढे बने हैं? (How many potholes are there on the surface of the moon?)

दोस्तों, एक अनुमान के अनुसार चांद पर लगभग 14 लाख से भी अधिक गड्ढे है। लेकिन अभी तक इनमें से करीब नौ हजार से कुछ ही अधिक की पहचान हो सकी है। लगभग 1675 इंपैक्ट क्रेटर की उम्र का ही अभी तक पता लगाया जा सका है। मित्रों, नासा (NASA) द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार चंद्रमा पर सबसे बड़ा गड्ढा 17 मार्च, 2013 को देखा गया था। यह गड्ढा करीब 40 किलोग्राम के पत्थर से बना था। यह लगभग 90 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की सतह पर टकराया था।

चांद की सतह पर बने गड्ढे क्यों नहीं भरते? (Why the potholes on the surface of moon are not filled?)

दोस्तों, आपने देखा होगा कि पृथ्वी की सतह पर बने गड्ढों में पानी भर जाता है। उनमें मिट्टी जम जाती है। कई बार तो उन पर पौधे भी उग जाते हैं। एक सवाल आपके दिमाग में भी उठ रहा होगा कि क्या पृथ्वी की ही तरह चांद की सतह पर बने गड्ढे भी भरते हैं? तो इसका जवाब है- जी नहीं, यह गड्ढे नहीं भरते।

अब आप पूछेंगे कि यह गड्ढे क्यों नहीं भरते? तो दरअसल, इसका कारण चांद पर हवा, पानी आदि का न होना है। ऐसे में वहां पर मिट्टी नहीं कटती, जिससे ये गड्ढे यानी इंपैक्ट क्रेटर नहीं भर पाते। ये जैसे हैं, वैसे ही बने रहते हैं। दोस्तों, आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि चंद्रमा की सतह पर बने अधिकांश गड्ढे दो सौ करोड़ वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।

चांद पर किस प्रकार की स्थितियां हैं? (What type of situations are there on the moon?)

मित्रों, आइए अब थोड़ा और चांद की सतह की तह तक जाते हैं। जैसा कि अभी तक के वैज्ञानिक अध्ययनों से साबित हुआ है, चांद पर पर्याप्त हवा नहीं है। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि वहां बड़े-बड़े गड्ढे हैं। जो अंतरिक्ष की चट्टानों आदि के टकराने से हुए हैं। दोस्तों, चांद पर हमारी पृथ्वी की भांति जमीन व मिट्टी नहीं है।

यद्यपि कुछ-कुछ चूर्ण जैसा पदार्थ वहां की जमीन को ढकता है, जिसे लूनर रेजोलिथ पुकारा जाता है। दोस्तों, चांद पर गड्ढे व पहाड़ों के साथ ही बहुत अधिक धूल भी है। दोस्तों, यही कारण है कि जब चांद पर या मंगल पर कोई अंतरिक्ष यान (space craft) उतरता है, तो उसे धीमा करना पड़ता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि जिस स्थान पर उसकी लैंडिंग कराई जानी हो, वहां का गुरुत्वाकर्षण (gravity) उसे टारगेट (target) तक खींच सके।

दोस्तों, आइए अब लगे हाथों चांद के तापमान (temprature) पर भी बात कर लेते हैं। आपको जानकारी दे दें कि दिन के वक्त यहां का तापमान 260 डिग्री फारेनहाइट यानि 127 डिग्री सेल्सियस (celcius) तक हो जाता है। मित्रों, ऐसा तब होता है, जबकि चांद पर सूरज पर लगातार सूरज की रोशनी पड़ती रहती है। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि चंद्रमा सूरज की रोशनी से ही चमकता है।

क्या चांद पर जमीन खरीदी जा सकती है? (Can land on moon be purchased?)

दोस्तों, इन दिनों यह बहुत सुना जाता है कि फलां व्यक्ति ने चांद पर जमीन खरीद ली अथवा किसी ने अपने परिजनों को चांद पर प्लॉट गिफ्ट कर दिया। क्या यह सच है? दरअसल, दोस्तों, इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री नाम की एक फर्म द्वारा चांद पर जमीन बेचे जाने का दावा किया जा रहा है। बहुत सी सेलिब्रिटीज (celebrities) ने भी चांद पर जमीन खरीदी है।

मरहूम और मशहूर कलाकार सुशांत सिंह राजपूत (sushant singh rajput) द्वारा भी चांद पर जमीन खरीदी गई थी। आपको बता दें दोस्तों कि उनकी यह जमीन चांद के ‘सी ऑफ मसकोवी’ में है। यदि आप चांद पर जमीन की कीमत जानना चाहते हैं तो इसके लिए लूनर रजिस्ट्री डॉट कॉम lunarregistry.com आपकी मदद कर सकता है। इसके अनुसार चांद पर एक एकड़ जमीन की कीमत 37.50 अमेरिकी डॉलर (us dollars) यानी भारतीय मुद्रा (indian currency) में लगभग 3112.52 रुपए है।

चांद क्या है?

चांद हमारी पृथ्वी का इकलौता प्राकृतिक उपग्रह है।

पृथ्वी से चांद कितना दूर है?

पृथ्वी से चांद 3 लाख, 84 हजार किलोमीटर दूर है।

चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं?

अंतरिक्ष से गिरने वाले पत्थरों की वजह से चांद पर गड्ढे बनते हैं।

चांद पर बने गड्ढे को अंग्रेजी में क्या पुकारा जाता है?

चांद पर बने गड्ढे को अंग्रेजी में इंपैक्ट क्रेटर पुकारा जाता है।

चांद पर बने अधिकांश गड्ढे कितने पुराने हैं?

चांद की सतह पर बने अधिकांश गड्ढे दो सौ करोड़ वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।

क्या चांद की सतह पर बने गड्ढे भरते हैं?

जी नहीं चांद की सतह पर बने गड्ढे नहीं भरते।

हाल ही में चंद्रमा चर्चा में क्यों रहा है?

हाल ही में चंद्रमा चंद्रयान-3 मिशन को लेकर चर्चा में रहा है।

चंद्रयान-3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कब हुई है?

चंद्रयान-3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त, 2024 को हुई है।

चंद्रयान-3 के लेंडर और रोवर का क्या नाम है?

इसके लेंडर और रोवर के नाम क्रमशः विक्रम और प्रज्ञान हैं।

चंद्रमा किसकी रोशनी से आलोकित होता है?

चंद्रमा सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है।

अभी तक चांद पर कितने इंपैक्ट क्रेटर की उम्र का पता लगाया जा सका है?

अभी तक चांद पर 1675 इंपैक्ट क्रेटर की उम्र का पता लगाया जा सका है।

चांद की सतह पर करीब कितने गड्ढे हैं?

चांद की सतह पर लगभग 14 लाख गड्ढे होने का पता चला है।

क्या पृथ्वी पर भी इंपैक्ट क्रेटर मिले हैं?

जी हां, हमारी पृथ्वी पर भी करीब 180 इंपैक्ट क्रेटर खोजे गए हैं।

चांद की जमीन को ढकने वाला पदार्थ क्या कहलाता है?

चांद की जमीन को ढकने वाले पदार्थ को लूनर रेजोलिथ कहा जाता है।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको चांद पर गड्ढे क्यों बनते हैं? विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके ज्ञान में वृद्धि करेगी। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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