ईपीएफ के फायदे एवं नुकसान । Benefits and disadvantages of EPF in Hindi

|| ईपीएफ के फायदे व नुकसान क्या क्या हैं?, What are the benefits and disadvantages of EPF in hindi, ईपीएफ के फायदे एवं नुकसान । Benefits and disadvantages of EPF in Hindi ||

यदि आप किसी सरकारी अथवा प्राइवेट नौकरी में हैं तो जाहिर है कि आपका ईपीएफ कट रहा होगा। बहुत से लोग इसे एक बेहतर कदम मानते हैं, क्योंकि आपकी तनख्वाह से एक निश्चित कटौती कर उसे ईपीएफ एकाउंट में जमा किया जाता है।

यह राशि नौकरी छोड़ते वक्त अथवा रिटायरमेंट के वक्त आपके बहुत काम आती है। लेकिन क्या ईपीएफ के केवल लाभ हैं, इसका कोई नुकसान नहीं? आज हम आपको इस पोस्ट में ईपीएफ के फायदे व नुकसान दोनों से अवगत कराएंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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ईपीएफ का क्या अर्थ है? (what is the meaning of EPF?)

आगे बढ़ने से पूर्व सबसे पहले ईपीएफ (EPF) का अर्थ जान लेते हैं। इसकी फुल फाॅर्म है एंप्लाइज प्रोविंडेंट फंड (employees provident fund)। इसे हिंदी में कर्मचारी भविष्य निधि भी पुकारा जाता है।

प्रत्येक सरकारी अथवा ऐसी निजी कंपनी, जिसमें 20 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, उसे ईपीएफ में रजिस्ट्रेशन कराना एवं कर्मचारियों का ईपीएफ काटना आवश्यक होता है।

यह राशि संबंधित कर्मचारी को नौकरी छोड़ते वक्त अथवा सेवानिवृत्ति की स्थिति में भुगतान कर दी जाती है। ईपीएफ एकाउंट होल्डर (EPF account holder) को ईपीएफ के साथ ही पेंशन का भी लाभ मिलता है।

ईपीएफ के फायदे एवं नुकसान । Benefits and disadvantages of EPF in Hindi

ईपीएफ कितना काटा जाता है? (How much amount is deducted in EPF)

ईपीएफ के लाभ एवं हानि के विषय में जानकारी देने से पूर्व आपको यह बेसिक बात बता देते हैं कि कर्मचारी की तनख्वाह का कितना हिस्सा पीएफ के रूप में काटा जाता है।

आपको बता दें कि कर्मचारी के ईपीएफ एकाउंट EPF (account) में उसकी बेसिक सैलरी (basic salary) यानी उसके मूल वेतन+डीए की 12 प्रतिशत राशि काटकर जमा की जाती है। इतनी ही राशि संस्थान के नियोक्ता (employer) की ओर से कर्मचारी के एकाउंट में जमा किया जाता है।

इस प्रकार प्रतिमाह कुल 24 प्रतिशत कर्मचारी के खाते में जमा होता है। नियोक्ता के अंशदान (employer’s contribution) का 8.33 प्रतिशत ईपीएस (EPS) यानी पेंशन कोष (pension fund) में जमा हो जाता है।

ईपीएफ के मुख्य लाभ क्या क्या हैं? (what are the advantages of EPF?)

अब हम पहले बात कर लेते हैं ईपीएफ (EPF) के मुख्य लाभों की। जो कि इस प्रकार से हैं-

आर्थिक सुरक्षा (financial security)-

ईपीएफ कटौती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि पीएफ से कर्मचारी को अतिरिक्त आर्थिक सुरक्षा (additional financial security) प्राप्त होती है। कर्मचारी इसमें लंबे समय तक पैसे जमा करता है। ऐसे में कर्मचारी जब इस पैसे को निकलता है तो एक अच्छा खासा अमाउंट (amount) उसके हाथ में आता है।

कर लाभ (tax benefit)-

दोस्तों, आपको बता दें कि ईपीएफ राशि पर अर्जित किया गया ब्याज (interest) पूरी तरह से टैक्स मुक्त (tax free) होता है। इसके अतिरिक्त एकाउंट मैच्योर हो जाने पर निकाली गई पीएफ राशि भी टैक्स फ्री होती है।

लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि यदि ईपीएफ पांच वर्ष से पूर्व निकाला जाता है तो उस पर टैक्स कटता है। नियोक्ता की ओर से पीएफ में किया जाने वाला अंशदान (contribution) भी टैक्स छूट (tax rebate) के योग्य होता है।

आपको बता दें कि इसमें एकाउंट होल्डर (account holder) आयकर अधिनियम (income tax act) के सेक्शन 80सी के अंतर्गत टैक्स कटौती का लाभ ले सकते हैं।

पेंशन लाभ (pension benefit)-

मित्रों, आपको बता दें कि कर्मचारी पेंशन योजना (employee pension scheme) यानी ईपीएस (EPS) में नियोक्ता के अंशदान (employer’s contribution) का 8.33 प्रतिशत जाता है।

लगातार 10 वर्ष तक पीएफ में पैसा जमा करने वाले कर्मचारी पेंशन पाने के हकदार हो जाते हैं, जो उन्हें सेवानिवृत्ति (retirement) के पश्चात मिलनी प्रारंभ हो जाती है। यद्यपि 10 वर्ष से कम समय तक काम करने वाले कर्मचारी भी पीएफ के साथ ही पेंशन भी निकाल सकते हैं।

ईपीएफ ट्रांसफर करना आसान है (it’s easy to transfer EPF)-

यदि किसी व्यक्ति ने एक स्थान पर नौकरी छोड़ दी है और नई जगह ज्वाइन की है तो वह आसानी से अपना ईपीएफ ट्रांसफर करा सकता है। यहां उसका यूएएन (UAN) काम आता है, जिसे यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (universal account number) पुकारा जाता है।

आपको बता दें कि इसके साथ आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स, पैन कार्ड आदि केवाईसी लिंक (KYC link) होने के पश्चात कोई भी एकाउंट होल्डर (account holder) पीएफ आसानी से ट्रांसफर करा सकता है।

पीएफ से एडवांस भी निकाला जा सकता है (PF advance can also be withdrawn)

ऐसी कई परिस्थितियां हैं, जिनमें कोई भी खाताधारक अपने ईपीएफ से एडवांस राशि निकाल सकता है। कर्मचारी का विवाह, गृह निर्माण, बीमारी आदि ऐसी कई परिस्थितियां हैं, जिनमें पीएफ से एडवांस निकाला जा सकता है।

जीवन बीमा लाभ (life insurance benefits)-

ईपीएफ एकाउंट होल्डर्स (EPF account holders) को लाइफ इंश्योरेंस (life insurance) का भी लाभ मिलता है। यदि आपको न पता हो तो आपको जानकारी दे दें कि एंप्लायर के योगदान से 0.5 फीसदी राशि ईडीएलआई (EDLI) योजना के तहत जमा हो जाती है।

जिस कंपनी में कर्मचारियों के लिए कोई ग्रुप इंश्योरेंस (group insurance) नहीं होता, उसे इस योजना के अंतर्गत अंशदान (contribution) करना आवश्यक होता है।

कर्मचारी को डबल पैसा मिलता है (employee gets double amount)

यह तो आप जानते ही होंगे कि कर्मचारी के खाते में पीएफ के रूप में उसकी बेसिक सैलरी (basic salary) का 12 फीसदी कटता है।

इतनी ही राशि एंप्लायर की भी कटती है। ऐसे में साफ है कि जितना पैसा कर्मचारी का कटता है, उसे उसकी डबल राशि वापस मिलती है।

पीएफ पर लोन सुविधा (loan facility on PF)

व्यक्ति अपने पीएफ खाते पर लोन भी अवेल कर सकता है। इस लोन से वह वक्त जरूरत अपनी किसी भी मुश्किल का समाधान निकाल सकता है।

ईपीएफ के नुकसान क्या क्या है? (what are the disadvantages of EPF?)

हमने आपको ऊपर पीएफ के लाभ के बारे में जानकारी दी। अब हम आपको बताएंगे कि इस खाते के क्या क्या नुकसान हैं-

  • पीएफ में पैसा लंबी समय तक जमा हो तो ही इसे निकालकर मुश्किल के वक्त इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश लोगों को जिंदगी के शुरूआती दौर में मुश्किलों से उबरने को पैसा चाहिए होता है।
  • बहुत से लोग इस पैसे को कहीं और इन्वेस्ट करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।
  • जिस तरह महंगाई बढ़ रही है, ऐसे में बचत का वास्तविक मूल्य (real value of savings) बहुत कम रह जाता है।
  • यदि व्यक्ति पांच वर्ष पूरा करने से पहले पीएफ निकालता है तो उसे टैक्स अदा (tax pay) करना पड़ता है। ऐसे में उसकी बचत का मूल्य और कम रह जाता है।

पीएफ जमा करना ही फायदेमंद क्यों माना जाता है?

हमने आपको इस पोस्ट में ईपीएफ के फायदे व नुकसान समझाए। लेकिन पीएफ के मामले में फायदे अधिक एवं नुकसान कम है। ईपीएफ की यह राशि भविष्य की अनिश्चितता (future insecurity) को देखते हुए काम की साबित होती है।

यही वजह है कि सरकार ने भी 20 से अधिक कर्मचारियों के नियोक्ताओं को उनका ईपीएफ काटना आवश्यक किया हुआ है। यदि कोई ऐसा नहीं करता तो ऐसे संस्थान के खिलाफ विधिक कार्रवाई (legal proceedings) का प्रावधान किया गया है।

ईपीएफ कटौती के क्या क्या नियम हैं? (what are the rules of EPF deduction?)

हमने आपको ईपीएफ कटौती के फायदे व नुकसान पर विस्तार से जानकारी दी है। आपको यह भी बता देते हैं कि ईपीएफ कटौती के क्या क्या नियम हैं? इनका ब्योरा इस प्रकार से है-

  • देश की प्रत्येक निजी कंपनी अथवा संस्थान के लिए, जिसमें 20 या इससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों, ईपीएफओ (EPFO) के लिए रजिस्ट्रेशन (registration) कराना आवश्यक है। उसे अपने सभी कर्मचारियों को ईपीएफ काटकर काटकर कर्मचारी के ईपीएफ खाते (EPF account) में जमा करना आवश्यक है।
  • 20 कर्मचारी से कम होने की स्थिति में भी कोई भी निजी कंपनी अथवा संस्थान ईपीएफओ की सदस्यता लेने का अधिकारी है। यद्यपि ऐसे संस्थानों की तादाद बेहद कम है।
  • यदि किसी कंपनी अथवा संस्थान ने 20 से अधिक कर्मचारी होने पर ईपीएफओ में रजिस्ट्रेशन करा लिया है एवं किसी वक्त उस संस्थान में 20 से कम कर्मचारी रह जाते हैं तो भी उस पर ईपीएफओ के नियम कानून पूर्व की भांति लागू होंगे।
  • सिनेमा, थिएटर आदि के लिए पांच कर्मचारी होने पर भी ईपीएफओ में रजिस्ट्रेशन एवं कर्मचारी का पीएफ काटना आवश्यक किया गया है।
  • कुछ स्पेशल कैटेगरी (special category) के उद्योगों (industries) को 10 फीसदी ही पीएफ काटने की भी इजाजत है। जैसे-जूट, ईंट, नारियल जटा फैक्ट्री आदि।
  • यदि किसी कंपनी को औद्योगिक एवं वित्तीय पुनःसंरचना बोर्ड (industrial and financial reconstruction board) यानी बीआईएफआर (BIFR) की ओर से बीमार घोषित किया जा चुका है तो वह भी 10 फीसदी पीएफ कटौती का रास्ता अपना सकती है। उसे लाभ में कमी अथवा घाटे के चलते यह छूट दी जाती है।
  • आपको बता दें कि कोरोना काल (corona period) के दौरान कर्मचारियों एवं कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति (financial condition) के मद्देनजर सरकार की ओर से कंपनियों को कर्मचारी का 10 प्रतिशत ही पीएफ काटने की छूट दी गई थी।
  • जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 15 हजार रूपये से अधिक होती है, उन्हें पीएफ खाते का लाभ नहीं मिलता। लेकिन ऐसे कर्मचारी चाहें तो प्राइवेट प्रोविंडेंट फंड (private provident fund) के सदस्य बन सकते हैं। ये ट्रस्ट ईपीएफओ से मान्यता प्राप्त होने आवश्यक हैं। साथ ही यह भी आवश्यक है उनकी ब्याज दर (interest rate) भी ईपीएफओ के समान हो।

पीएफ खाते पर खाताधारक को कितना ब्याज मिलता है? (How much interest a of account holder gets?)

यह तो आप जानते ही हैं कि पीएफ खाते पर खाताधारक को ब्याज मिलता है, लेकिन यह ब्याज कितना होता है? आपको बता दें कि ब्याज की दर सरकार उस वक्त लागू ब्याज दर के हिसाब से करती है।

किसी साल की पीएफ जमा राशि पर कितना ब्याज मिलता है, इसकी घोषणा सरकार वित्त वर्ष (financial year) के आखिर में करती है। इसी घोषणा के हिसाब से पिछले वित्त वर्ष में जमा पर ब्याज मिलता है। फिलहाल सरकार की ओर से यह ब्याज दर 8.5 फीसदी नियत की गई है।

सरकार पीएफ की ब्याज दर कैसे तय करती है? (how government fixes interest rate on PF?)

अब यह सवाल आपके मन को जरूर मथ रहा होगा कि आखिर सरकार पीएफ की ब्याज दर (interest rate) कैसे तय करती है? आपको बता दें कि सरकार ईपीएफ के पैसे को बांड (bond), ईटीएफ (ETF) आदि में निवेश (invest) करती है।

इससे मिलने वाले रिटर्न (return) के आधार पर ही सरकार खाताधारकों के लिए ब्याज दर की घोषणा करती है। पीएफ खाताधारकों की नजर सरकार की घोषणा पर लगी रहती है, क्योंकि इसी के आधार पर वह कैलकुलेट (calculate) कर लेते हैं कि उनकी जमा राशि में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।

कोरोना काल में पीएफ बहुत से लोगों का सहारा बना

यूं तो आम चलन है कि पीएफ को लोगों के बुढ़ापे का सहारा मानकर चला जाता है। लेकिन आपको बता दें कि कोरोना के विषम काल में पीएफ बहुत से लोगों का सहारा बना। सरकार ने यह सुविधा दी थी कि कोरोना काल में लोग अपने खातों से पीएफ की निश्चित राशि निकाल सकें।

ताकि रोजगार छूट जाने की स्थिति में, बीमारी में दवा दारू आदि के खर्च के लिए उन्हें किसी का मुंह न देखना पड़े। सरकार द्वारा दी गई इस सुविधा का लोगों ने जमकर लाभ उठाया।

यह तो आप जानते ही हैं कि अब यूएएन नंबर होने एवं उसके केवाईसी दस्तावेजों से लिंक होने पर कोई भी व्यक्ति घर बैठे अपना पीएफ आनलाइन अप्लाई कर सकता है। उसके लिए उसे ईपीएफओ के चक्कर काटने की कतई आवश्यकता नहीं रह गई है।

ईपीएफ की फुल फाॅर्म क्या होती है?

ईपीएफ की फुल फाॅर्म एंप्लाई प्रोविडेंट फंड होती है। इसे हिंदी में भविष्य निधि संगठन भी पुकारा जाता है।

कितने कर्मचारियों पर किसी कंपनी को ईपीएफ रजिस्ट्रेशन आवश्यक है?

20 से अधिक कर्मचारी होने पर किसी भी निजी कंपनी/संस्थान को ईपीएफ में रजिस्टर्ड होना आवश्यक है।

ईपीएफ में किस किस का अंशदान शामिल होता है?

ईपीएफ में कर्मचारी एवं नियोक्ता का बराबर अंशदान शामिल होता है।

किसी कर्मचारी की तनख्वाह पर कितना पीएफ काटा जाता है?

किसी कर्मचारी की बेसिक तनख्वाह यानी उसके मूल वेतन+डीए का 12 प्रतिशत ईपीएफ के तौर पर काटा जाता है। इतना ही योगदान नियोक्ता का भी होता है, जिसमें से 8.33 प्रतिशत पेंशन फंड में जाता है।

कितनी बेसिक सैलरी वाले कर्मचारी ईपीएफ के दायरे में नहीं आते?

15 हजार बेसिक सैलरी वाले कर्मचारी ईपीएफ के दायरे में नहीं आते।

यदि 15 हजार बेसिक से अधिक सैलरी वाले पीएफ के सदस्य बनना चाहें तो क्या कर सकते हैं?

वे किसी प्राइवेट प्रोविडेंट फंड ट्रस्ट के सदस्य बन सकते हैं। बशर्ते कि इस ट्रस्ट को ईपीएफओ ने मान्यता प्रदान की हो।

पीएफ का सबसे बड़ा लाभ क्या है?

पीएफ के सबसे बड़े दो लाभ हैं। पहला कर्मचारी की आर्थिक सुरक्षा एवं दूसरा इस खाते में जमा राशि पर अर्जित ब्याज टैक्स फ्री होता है।

सरकार ईपीएफ की राशि कहां निवेश करती है?

सरकार ईपीएफ की राशि बांड, ईटीएफ आदि में निवेश करती है।

इस पोस्ट में हमने आपको पीएफ के फायदे व नुकसान के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। यदि आप भी किसी सरकारी अथवा प्राइवेट कंपनी में कर्मचारी है तो निश्चित रूप से यह पोस्ट आपके काम की साबित होगी।

यदि अभी तक आप यही सोचते हैं कि यह राशि आप कहीं और इन्वेस्ट करते तो अच्छा रिटर्न पाते तो समझ लीजिए कि इसमें राशि जमा करना अधिक बेहतर है, क्योंकि यह लांग टर्म में आपके लिए सुरक्षा कवच बनती है। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल है तो बेखटके नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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